tag:blogger.com,1999:blog-3138696183834633168.post3458848139511190117..comments2023-07-06T18:51:06.940+05:30Comments on नेपथ्यलीला NEPATHYALEELA: संस्मरण---- राजेन्द्र यादव, लोकतांत्रिक, निर्भय, साहसी और तार्किक थेवीरेन्द्र जैनhttp://www.blogger.com/profile/03394460991280336978noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3138696183834633168.post-23490704037469515092015-11-12T14:21:29.925+05:302015-11-12T14:21:29.925+05:30//साहित्य की दुनिया में वे जड़ता नहीं आने देते थे औ...//साहित्य की दुनिया में वे जड़ता नहीं आने देते थे और समय समय पर साहित्य के मठाधीशों को चुनौती देते रहते थे। एक सम्मेलन के अवसर पर उन्होंने बर्र के छत्ते में यह कह कर हाथ डाल दिया था कि ये कालेज के प्रोफेसर केवल आलोचना या कविताएं ही क्यों लिखते हैं, कहानियां क्यों नहीं लिखते क्योंकि कहानियां लिखने में जान लगती है। आलोचना तो लिखे लिखाये को लिखना है। फिर क्या था सारे प्रोफेसर अपनी सफाई देने में निरंतर हास्यास्पद होते गये और राजेन्द्र जी दूर बैठ कर मजे लेते रहे।//---------व्यक्तित्व की विवेचना बेहद ही सहज भाव में चित्रण आपने , एक पल के लिए लगा हम भी शामिल थे वहाँ। सादर नमन आपको इस संस्मरण को हम सबके संग बांटने के लिए। LAGHUKATHA VRITT - RNI- MPHIN/2018/77276https://www.blogger.com/profile/10872997248363313917noreply@blogger.com