सोमवार, जुलाई 04, 2016

राज्यसभा के प्रतिनिधित्व का एक नमूना

राज्यसभा के प्रतिनिधित्व का एक नमूना

वीरेन्द्र जैन
एसोशियेशन आफ डेमोक्रेटिक रिफोर्म [एडीआर] एक ऐसी संस्था है जिसने देश में अनेक चुनाव सुधार करवाये हैं और अभी भी इस दिशा में लगातार सक्रिय है। सिद्धांत और व्यवहार का जो दोहरापन हमारे लोकतंत्र में चल रहा था उसे सामने लाकर इस संस्था ने देश की जनता और उसके कर्णधारों को सोचने के लिए दिशा दी है। इस संस्था के प्रयासों के कारण ही अब हर उम्मीदवार को अपनी शिक्षा सम्पत्ति और दायित्वों तथा उस पर चल रहे प्रकरणों के सम्बन्ध में शपथपत्र देना होता है। यह संस्था उन समस्त शपथपत्रों को समेकित करके रिपोर्ट तैयार करती है और सूचना माध्यमों द्वारा जनता के सामने रखती है।
जन विश्वास है कि चुनावी नेताओं द्वारा दिये गये शपथपत्र शतप्रतिशत भले ही तकनीकी रूप से सही हों किंतु वे चुनावों में जिस तरह से धन बहाते हैं उससे वे असत्य ही लगते हैं। एडीआर ने शपथपत्रों के आधार पर हाल ही में चुने गये 57 राज्यसभा सदस्यों के चरित्रों की जाँच पड़ताल की है। इसके निष्कर्ष संवेदनशील सामाजिक सोच वाले व्यक्तियों के लिए विचारोत्तेजक हो सकते हैं।   
·         चुने गये सभी 57 सदस्यों में से 55 [96%] करोड़पति हैं जिनसे समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने की उम्मीद की जाती है। इन सदस्यों की औसत सम्पत्ति 35.84 करोड़ रुपये है।
·         कुल 19 सांसदों पर एक करोड़ से अधिक की देनदारी भी है।
·         उम्र की दृष्टि से दोनों ओर के रिकार्ड बिहार की आरजेडी ने तोड़े हैं जिसमें एक ओर तो 92 वर्ष के रामजेठमलानी चुने गये हैं तो दूसरी ओर 41 वर्ष की मीसा भारती भी चुनी गयी हैं। बीच की उम्र के 25 [44%] 41 से 60 वर्ष के बीच के हैं तो 31 [54%] 61 से 80 वर्ष की उम्र के हैं।
·         33% महिलाओं का जोर शोर से समर्थन करने वाले दलों ने कुल 4 [7%] महिलाओं को उच्च सदन में भेजा ।  
·         इन सदस्यों में से सभी के पास शिक्षा के प्रमाणपत्र हैं जिनमें से 2 [4%] पीएचडी 33 [58%] स्नातकोत्तर, 18 [32%] स्नातक और 3 [5%] मैट्रिकुलेट हैं।
·         इन [सु]शिक्षित करोड़पति राजनेताओं में से 13 [23%] के खिलाफ आपराधिक प्रकरण चल रहे हैं ऐसा उन्होंने अपने शपथपत्र में बताया है।
·         सबसे अधिक सम्पत्ति घोषित करने वालों में पहला नाम शरद पवार की पार्टी एन सी पी के प्रफुल्ल पटेल हैं जिनकी सम्पत्ति 252 करोड़ है तो दूसरे नम्बर पर काँग्रेस के कपिल सिब्बल हैं जिनकी सम्पत्ति 212 करोड़ है। तीसरे नम्बर पर भी भाजपा नहीं है अपितु बीएसपी के सतीश चन्द्र मिश्रा हैं जिनकी घोषित सम्पत्ति 193 करोड़ है।
·         सबसे कम सम्पत्ति वालों में भाजपा ने पहले दो स्थान अर्जित किये हैं जिनमें 66 लाख की सम्पत्ति घोषित करने वाले अनिल माधव दवे हैं तो 86 लाख की सम्पत्ति घोषित करने वाले रामकुमार हैं। तीसरे नम्बर पर् एक करोड़ आठ लाख घोषित करने वाले काँग्रेस के प्रदीप टम्टा हैं।
·         इनमें से कुछ दोबारा चुने गये हैं और पिछले चुनाव के दौरान घोषित सम्पत्ति की तुलना में इन्होंने चौंकाने वाली प्रगति दर्ज की है। एक बार फिर भाजपा के श्री अनिल माधव दवे का उल्लेख आया है जिन्होंने 2010 के चुनाव में कुल दो लाख पचहत्तर हजार की कुल सम्पत्ति से 2111% का विकास करके 66 लाख तक पहुँचे हैं। दूसरे नम्बर पर शिवसेना के श्री संजय राजाराम रावत हैं जिन्होंने 2010 में घोषित एक करोड़ 51 लाख से 14 करोड़ 22 लाख अर्थात 841% की आर्थिक प्रगति घोषित की है। तीसरे नम्बर पर प्रगति के प्रतिशत में बीएसपी के श्री सतीश चन्द्र मिश्रा हैं जिन्होंने 2010 में घोषित 24 करोड़ 18 लाख से 193 करोड़ तक पहुँच कर 698% विकास करने की घोषणा की है।
·         राजनीति से समाज सेवा करते हुए वर्ष 2014-15 की आयकर विवरणी में सबसे अधिक आय घोषित करने वाले काँग्रेस के कपिल सिब्बल हैं जिन्होंने 39 करोड़ से अधिक की आय घोषित की है तो दूसरे नम्बर पर भी काँग्रेस के श्री विवेक तन्खा हैं जिन्होंने 15 करोड़ 19 लाख से अधिक की आय घोषित की है। तीसरे नम्बर पर एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल हैं जिन्होंने भी 15 करोड़ से अधिक की पारिवारिक आय दर्शायी है।
आंकड़े बहुत सारे हैं पर सब का निष्कर्ष यही है कि राज्यसभा में पहुँचने वाले ज्यादातर पैसे वाले या उनके प्रतिनिधि ही होते हैं, जिनमें से भी ज्यादातर वकील होते हैं। विकास का पाठ पढाने वाले कालेजों को राज्यसभा के अनेक सांसदों को आमंत्रित कर आर्थिक विकास पर व्याख्यान आयोजित करवाना चाहिए।
वीरेन्द्र जैन
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