गुरुवार, मार्च 28, 2013

चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित हो रहे हैं जनसंगठन


चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित हो रहे हैं संगठन
वीरेन्द्र जैन

       पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र या किसी राज्य में होने वाले आम चुनाव के प्रारम्भ और चुनावों के बाद में प्रत्याशियों और विजयी उम्मीदवारों के बारे में दिलचस्प और चौंका देने वाले आंकड़ों के समाचार देखने को मिलते हैं। ये देशव्यापी आंकड़े चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित संस्था एडीआर अर्थात एशोसियेशन आफ डैमोक्रेटिक रिफोर्म्स की ओर से जुटाये जाते हैं और सभी संचार माध्यमों को निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे हैं। प्रत्याशियों द्वारा नामांकन भरते समय अपनी सम्पत्ति, देनदारियां, अदालतों में दर्ज आपराधिक प्रकरणों से सम्बन्धित शपथ पत्र दिये जाने को अनिवार्य कराये जाने का नियम बनाये जाने में इन्हीं संस्थाओं की प्रमुख भूमिका रही है। एडीआर के अंतर्गत ही नैशनल इलेक्शन वाच, और राज्यवार एलेक्शन वाच जैसे स्वयंसेवी संगठन काम करते हैं जो निर्वाचन कार्यालयों से ऐसी जानकारियां एकत्रित करके उनको विश्लेषित करते हैं। वे बताते हैं कि सबसे अधिक सम्पत्ति वाले उम्मीदवारों को किस दल ने टिकिट दिया है और सबसे कम सम्पत्ति वाले उम्मीदवारों को किस दल ने टिकिट दिया है। सबसे ज्यादा गम्भीर अपराधों के आरोपी उम्मीदवार किस दल के हैं और सबसे ज्यादा देनदारियों वाले उम्मीदवार किस दल में हैं। किसके पास कितने वाहन हैं, और किस के पास कितने हथियारों के लाइसेंस हैं। इनकी वेबसाइट माईनेता डाट इंफो में प्रत्येक चुनाव के प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा दिये गये शपथपत्र के विवरण उपलब्ध हैं। स्मरणीय है कि पिछले दिनों भ्रष्टाचार मिटाने के खिलाफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाले आन्दोलनों के दौरान राज्य को ‘बनाना स्टेट’ होते जाने के आरोप लगे थे। सक्रिय राजनीति के अनेक नेताओं ने भी ऐसे ही आरोप लगाये थे। उपरोक्त खुलासों से यह साफ है कि दलों के टिकिट पाने वाले अधिकतर उम्मीदवार करोड़पति होते हैं और जीतने वालों में भी अधिक सम्पत्ति वाले ही अधिक होते हैं। तय है कि जब ऐसे लोगों को सरकार चुनने का अधिकार मिल जाता है तो वे अपने व्यापार अथवा कारोबार को सुविधाएं देने की शर्त मानने वालों को ही प्राथमिकता देंगे। इन खुलासों के सामने आ जाने के बाद विवेकवान मतदाता उचित दल और प्रत्याशी का चुनाव करने में अधिक समर्थ महसूस कर सकता है।

       एडीआर प्रतिवर्ष अपनी वार्षिक राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित करता है जिसमें उक्त काम को महत्वपूर्ण समझने वाले लोकतंत्रप्रेमी कार्यकर्ता देश भर से एकत्रित होते हैं और चुनावों को अधिक से अधिक पारदर्शी बना कर सच्चे लोकतंत्र की स्थापना में न केवल अपने अनुभवों को ही बाँटते हैं अपितु मुख्य चुनाव आयुक्त की उपस्तिथि में वांछित सुधारों के बारे में उनसे आग्रह भी करते हैं। इस वर्ष यह आयोजन देश के ऎतिहासिक राज्य की सबसे खूबसूरत राजधानी जयपुर में दिनांक 23 व 24 मार्च 2013 को सम्पन्न हुआ और मुझे दूसरी बार इसमें सम्मलित होने का अवसर मिला। जयपुर के इन्दिरागाँधी पंचायतीराज संस्थान में आयोजित इस सम्मेलन में कुछ ऐसी महिला सरपंचों की संघर्ष कथाएं सुनने को मिलीं जिन्होंने न केवल निरक्षरता से कम्प्यूटर शिक्षा तक का ही सफर तय किया अपितु अपनी पंचायत का सारा काम कम्प्यूटर से करके पंचायत के पूरे कामकाज को पारदर्शी बना दिया। अजमेर जिले के हरमौदा ग्राम की सरपंच श्रीमती नौरती बाई ऐसी ही सरपंच के रूप में उन लोगों के सामने आयीं जो देश भर में चुनाव सुधारों का अलख जगाये हुए हैं। उनके यहाँ मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाएं न केवल सफलतापूर्वक ही चलायी जा रही हैं अपितु वे किसी भी सम्बन्धित को उसकी ईमानदारी परखने की चुनौती भी देती हैं। इस आयोजन में ऐसे भी सरपंच थे जो न केवल छहसौ रुपये ही खर्च करके चुनाव जीते थे, अपितु उन्होंने लाखों रुपये खर्च करने वाले उम्मीदवारों को बुरी तरह हराया भी था। उल्लेखनीय है कि अपने सामाजिक कार्यों के लिए बुकर सम्मान से सम्मानित पूर्व आई ए एस अधिकारी अरुणा राय, जो राष्ट्रीय सलाहकार समिति की सदस्य भी हैं उन्हें निरंतर मार्गदर्शन देती हैं और उनके उत्साहवर्धन के लिए वे इस कार्यक्रम में भी उपस्थित थीं। इन सरपंचों ने मनरेगा में पानी पिलाने के लिए दलितजाति के मजदूर की भागीदारी भी सुनिश्चित करके इस रोजगार गारण्टी कार्यक्रम को सामाजिक बदलाव के कार्यक्रम से भी जोड़ने जैसे कई कामों को अंजाम दिया है।
       निर्वाचन आयोग के सन्युक्त संचालक [खर्च नियंत्रण इकाई] ने पिछले चुनावों के अनुभवों को बताते हुए कि पिछले दिनों गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने ढाईलाख से अधिक की राशि नगद लेकर जाते हुए व्यक्तियों से पूछताछ का जो नियम बनाया था उसे बीच चुनाव में गुजरात हाईकोर्ट ने रोक दिया और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे प्रत्याशी और उसके प्रतिनिधि आदि तक सीमित कर दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी अपने उद्बोधन में बताया कि वे जल्दी ही सभी जिलों के आयकर अधिकारियों की बैठकें आहूत करने जा रहे हैं ताकि चुनावों में काले धन के उपयोग पर प्रभावी रोक लगायी जा सके। इस कांफ्रेंस में निर्वाचन आयोग से मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री वी एस सम्पत, सन्युक्त संचालक भारत भूषण गर्ग, देश को सूचना का अधिकार दिलाने वाली श्रीमती अरुणा राय, विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ राजनेता, ट्रांसिपरेंसी इंटरनैशनल, पीयूसीएल, एमकेएसएस, सोसाइटी फार सोशल जस्टिस, कामन काज, विकास सम्वाद, महिला पुनर्वास समिति, विभिन्न सक्रिय पत्रकार, उत्तरपूर्व से लेकर तामिलनाडु तक के इलेक्शन वाच पदाधिकारियों, ने भाग लेकर दलितों, महिलाओं, और अल्पसंख्यकों आदि के दृष्टिकोण से भी चुनाव सुधारों को देखा। इसमें बीबीसी के पत्रकार नारायण बरेठ, और एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन ने प्रैस और पेड मीडिया की समस्या पर रोचक व महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
       आईआईएम के प्रोफेसर रहे जगदीप छोकर, त्रिलोचन शास्त्री, एवं निखिल डे. अरुन बैरीवाल की सतत सक्रिय भागीदारी से चुनाव सुधारों का यह अभियान भारतीय लोकतंत्र को संविधान की मूल भावना वाले सच्चे लोकतंत्र तक ले जाने में आने वाले अवरोधों को दूर करने के लिए निरंतर और निर्विवाद रूप से सक्रिय है। इस वर्ष की कांफ्रेंस ने राजनैतिक दलों के पंजीकरण एवं गतिविधियों के विनियमन से सम्बन्धित विधेयक का प्रारूप सार्वजनिक राय के लिए रखा है जिसमे राजनीतिक दलों को अलोकतांत्रिक और व्यक्ति केन्द्रित होने से रोकने में मदद मिलेगी। आगामी छह राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए इलेक्शन वाच की टीमें तैयार हैं जो अगले माह बैंगलौर में तैयारी बैठकें कर रही हैं। इस कांफ्रेंस में किसी को भी मत नहीं देने का अधिकार और उस मत की गिनती करने का अधिकार भी सर्वसम्मति से मांगा गया है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
                

बुधवार, मार्च 27, 2013

सामाजिक समस्याएं और धार्मिक हल


सामाजिक समस्याएं और धार्मिक हल
वीरेन्द्र जैन

                 दैनिक प्रवचन के बाद होने वाले प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में जब ओशो रजनीश से पूछा गया था कि आपके प्रवचन सुनने आने के लिए प्रवेश शुल्क लगता है जबकि अन्य स्थानों पर आने वालों को प्रसाद मिलता है तो उन्होंने उत्तर दिया था कि धर्म गरीबों के लिए नहीं है। यह उनके लिए है जो परम संतुष्ट हैं और परमात्मा को धन्यवाद देने आये हैं। मैं तो चाहूंगा कि सारे धर्मस्थलों में गरीबों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी जाये क्योंकि गरीबों ने धर्मस्थलों को अस्पताल बना दिया है, जहाँ बीमार, दुखी और परेशान लोगों की भीड़ ने धर्म का स्वरूप ही बदल दिया है। बीमार व्यक्ति को मन्दिर नहीं अस्पताल जाना चाहिए। जिसे पैसों की चाह है, उसकी जगह बाज़ार है धर्मस्थल नहीं।  मैं चाहता हूं कि मन्दिर में केवल हँसता नाचता गाता हुआ प्रसन्न व्यक्ति ही प्रवेश करे जो आकर कहे कि मैं बहुत खुश हूं और प्रभु को इसके लिए धन्यवाद देने आया हूं।
       दुनिया के महत्वपूर्ण दार्शनिक कार्ल मार्क्स, जिनके बारे में डा. राधा कृष्णन ने कहा था कि मार्क्स वाज दि जीसस आफ दिस एज, ने भी कहा था कि धर्म उत्पीड़ित प्राणी की आह है, निर्दय संसार का मर्म है, निरुत्साह परिस्थितियों का उत्साह है और धर्म जनता [सर्वहारा] की अफीम है। यह सच है कि धर्म का लोग गलत उपयोग कर रहे हैं। उससे हमने गलत उम्मीदें पाल ली हैं और भ्रमित होते रहते हैं। हिन्दू समाज में जो निरंतर सुधारवादी आन्दोलन चले हैं उनमें से एक प्रमुख ‘आर्य समाज’ रहा है। कहा जाता है कि जब आर्य समाज के प्रवर्तक दयानन्द सरस्वती ने एक मूर्ति के आगे रखे लड्डू को चूहे द्वारा ले जाते हुए देखा था तो उनकी समझ में आया था कि जो भगवान [मूर्ति] अपने लड्डू की रक्षा नहीं कर सकती वह हमारी रक्षा क्या करेगी। बाद में आर्य समाज एक बड़ा आन्दोलन बना।
       धर्म से जुड़े व्यक्तियों से सम्बन्धित पिछले दो-तीन महीनों में प्रकाश में आये समाचारों पर निगाह डालने पर पता चलता है कि कोई व्यक्ति यदि सामाजिक व्यवस्थाओं में लापरवाही करता है या उनका उल्लंघन करता है तो धर्म उसकी कुछ भी मदद नहीं करता अपितु उसका दुष्परिणाम उसे भोगना ही होता है।
09/01/13- भोपाल- हनुमानगंज इलाके में सिन्धी चुराहे स्थित दुर्गा मन्दिर से रात्रि में चोर माता के जेवर उतार कर ले गये। पुजारी व्यथित।
22/01/13 -इन्दौर- हज में हर साल 622 करोड़ की लूट। सब्सिडी देने के बाद प्रत्येक हाजी से  1.53 लाख रुपये वसूले जा रहे हैं।    
12/02/13- इलाहाबाद- मौनी अमावस्या के दिन रेलवे स्टेशन पर तीर्थयात्रियों की भगदड़ में हुयी मौतों की संख्या 36 हो गयी है क्योंकि 14 और घायलों की म्रत्यु हो गयी। मृतकों के परिजनों ने बताया कि बीस रुपये का कफन 1200 रुपये में बेचा गया।
17/02/13- भोपाल- आर्च बिशप लियो कार्नेलियो पर फादर आनन्द मुटुंगल ने डायसिस सोसाइटी में भ्रष्टाचार व अनियमितताओं का आरोप लगाया है और हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए उन पर करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार करने व यौन शोषण का आरोप लगाया है, जिसके लिए उन्हें अग्रिम जमानत लेनी पड़ी।
21/02/13- जबलपुर- आशारम बापू के शिष्य को जहर देकर मौत के घाट उतारने के मामले में मृतक के पिता ने पुलिस के सामने यह आशंका जाहिर की कि उसके बेटे को जहर सत्संग परिसर में ही दिया गया।
23/02/13- भोपाल- होशंगाबाद रोड स्थित दानिश नगर निवासी परिवार समेत दर्शन के लिए वैष्णो देवी गये थे लौटते हुए मालवा एक्सप्रैस की बोगी संख्या-10 में घुस आये अज्ञात व्यक्तियों ने उनका बैग, दो कैमरे व एटीएम कार्ड चुरा ले गये। इसी बोगी से उज्जैन निवासी तीर्थयात्री दम्पति का सामान भी चोरी हो गया।
23/02/13- भोपाल- सलामतपुर में हुए हादसे में छोला खेड़ापति हनुमान मन्दिर के महंत समेत 4 लोग घायल हो गये जबकि उनके चालक की मौत हो गयी।
24\02\13- रीवा- इलाहाबाद से कुम्भ स्नान कर लौट रही टाटा मैजिक पर ट्रक पलट जाने से सात लोगों की मौत हो गयी। मृतकों में छह माह का एक मासूम भी शामिल है।
24/02/13- भोपाल- राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में पढने वाले छात्रों के कमरे से पुलिस ने कुंजन नगर स्थित शिव मन्दिर से चोरी गया चान्दी का मुकुट और दान पेटी बरामद की है, जिसमें बारह हजार रुपये थे।
24/02/13- जयपुर- मन्दिर की ज़मीन पर गत 42 साल से कब्जा कर लेने वालों के खिलाफ फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मन्दिर एक परफेक्चुअल माइनर [अवयस्क] है और उसका मौन रहना स्वाभाविक है, पर उसके मौन रहने का यह मतलब नहीं कि कोई उसकी जमीन पर कब्जा कर ले।
27/02/13- भोपाल - अयोध्यानगर में रहने वाले एक ठेकेदार दो दिन पहले पत्नी के साथ इलाहाबाद कुम्भ स्नान के लिए गये थे और लौट कर पाया कि नगदी जेवर समेत उनके घर से लगभग बारह लाख का माल चोरी हो गया।
28/02/13 – गैरतगंज- थाना गैरतगंज के अंतर्गत ग्राम सिंहपुर एवं पाटन के बीच रह रहे महंत रामलाल उम्र सत्तर साल की दो युवकों ने कुल्हाड़ी से पैर काटकर हत्या कर दी।
01/03/13 – भोपाल- दाउदी बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना साहब के जन्मोत्सव पर शहर में निकाले जा रहे जुलूस में बग्घी पर सवार दस वर्षीय बालक मुर्तजा अली की गिरने से मौत हो गयी। बाद में इन्हीं धार्मिकों ने अस्पताल में तोड़फोड़ कर दी।
10/03/13 – ग्वालियर/बेहट- ग्राम बड़ेरा फुटकर से कांवर भरने गये सात श्रद्धालुओं को राजस्थान में मनियां के नजदीक ट्रक ने चपेट में ले लिया। हादसे में पाँच कांवड़ियों की मौत हो गयी जबकि दो की हालत गम्भीर है।
11/03/13 –इलाहाबाद- संगम में डुबकी लगाने इलाहाबाद आये असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का बैग टैक्सी से गायब हो गया है। 
       तीर्थस्थलों और बड़े बड़े मन्दिरों को पुण्य भूमि माना जाता है व मध्यप्रदेश में पूरे नगर के नगर पवित्र घोषित कर दिये गये हैं जहाँ तरह तरह की वर्जनाएं लागू हैं किंतु इन्हीं के आसपास सबसे अधिक कुष्ट रोगी, विकलांग भिखारी भी वर्षों से रह रहे हैं पर अन्धे कोआँख मिलने व कोढियों को काया मिलने की बात केवल प्रार्थनाओं में ही सुनाई देती है, कभी समाचार नहीं बनती। इसलिए जरूरी यह है कि हम अपनी सामाजिक जिम्मेवारियों को अनाम और अदृष्य पर न डालें। कभी एक शे’रनुमा पंक्तियां हुयी थीं-
वो खुदा था, बना गया दुनिया
आपको रास्ते बनाने हैं
वीरेन्द्र जैन
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बुधवार, मार्च 20, 2013

संघर्षमूर्ति उमा भारती का भविष्य


संघर्ष मूर्ति उमा भारती का भविष्य
वीरेन्द्र जैन
       बाबरी मस्जिद ध्वंस के मुख्य आरोपियों में सम्मलित होने के बाद से उमा भारती ने निरंतर इतने संघर्ष किये कि मीडिया वाले उन्हें साध्वी से फायर ब्रांड लीडर तक कहने लगे। उनके इसी जुझारू तेवर के कारण उनकी पार्टी द्वारा उन्हें उन चुनाव क्षेत्रों में झौंका जाता रहा जहाँ भाजपा को जीतने की सम्भावना बिल्कुल नहीं होती थी। अपनी ज़िद पर भोपाल से टिकिट लेने के पहले वाले चुनाव में उन्हें खजुराहो से लड़ाया गया था, जहाँ कांग्रेस की आपसी फूट के कारण सौभाग्यवश वे जीत तो गयीं पर अपनी असली हैसियत को समझ गयी थीं, तब दूसरी बार उन्होंने खजुराहो क्षेत्र के प्रतिनिधित्व में स्वास्थ ठीक नहीं रहने के बहाने भोपाल जैसे सुरक्षित क्षेत्र से टिकिट लेना ठीक समझा था जिसके लिए उन्हें मध्यप्रदेश भाजपा के भीष्म पितामह सुन्दरलाल पटवा समेत बहुत सारे लोगों से टकराना पड़ा था। इस टकराहट में उनकी नुकसान पहुँचाने की क्षमता ने बड़ा काम किया था और उन्हें मजबूरन टिकिट देना पड़ा था। फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बनने के लिए उन्हें टकराना पड़ा था, जहाँ से केन्द्रीय मंत्री रहते हुए उन्हें भोपाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ आन्दोलन करने के लिए तैनात किया गया था, जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं की पूरी फौज थी। इस दौरान कुछ ऐसा घटनाक्रम हुआ कि उन्होंने अनशन स्थल पर अपनी हत्या की सम्भावनाएं व्यक्त कीं पर दिग्विजय सिंह द्वारा मेडिकल कराये जाने के प्रस्ताव के बाद वे अनशन से अचानक उठ कर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से स्तीफा दे अज्ञातवास पर चली गयीं। उनके अज्ञातवास से लौटने के बाद एक अखबार ने उनके बारे में कुछ ऐसा छाप दिया जिसको अपमानजनक मान कर वे उस अखबार के खिलाफ अनशन पर बैठ गयीं।
       अटलजी द्वारा उन्हें फिर से मंत्रिमण्डल में सम्मलित किये जाने के कुछ ही दिन बाद उन से मंत्रिपद ले मध्यप्रदेश के विधान सभा चुनाव में इस समझ के साथ भेजा गया कि वहाँ दिग्विजय सिंह जैसे चतुर राजनीतिज्ञ के सामने जीतना तो असम्भव है पर उमाजी की साम्प्रदायिक छवि से चुनाव में ध्रुवीकरण तेज होगा और भविष्य में मदद मिलेगी। पर यहाँ भी सरकारी कर्मचारियों के असंतोष व कांग्रेस की गुटबाजी से ऐसे पाँसे पड़े कि वे पार्टी को विधानसभा चुनाव जिता ले गयीं और चुनाव परिणामों से हतप्रभ भाजपा नेतृत्व को वादे के मुताबिक उन्हें मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। भाजपा ने उन्हें संगठन के अनुशासन में कठपुतली मुख्यमंत्री बनाना चाहा तो यहाँ पर भी उन्हें असली भूमिका पाने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। एक बार तो उन्होंने कहा कि जिसे संगठन का काम मिला है वह संगठन का काम करे और जिसे सरकार चलाने का काम मिला है वह सरकार चलायेगा। अचानक संगठन से सलाह लिए बिना उन्होंने अपने विश्वसनीय लोगों को निगम मण्डलों के पद बाँटे और चुपचाप तीर्थयात्रा पर निकल गयीं। लौट कर आने पर उन्होंने संगठन के लोगों से खूब टकराहट ली तो संगठन ने उन्हें पद से हटाने की कमर कस ली। संयोग से उसी समय हुबली काण्ड का फैसला आ गया जिसमें वे दोषी सिद्ध हुयीं। अवसर की तलाश में बैठे भाजपा नेतृत्व ने उनके साथ सहानिभूति दिखाने की जगह जिस त्वरित गति से उन्हें पद से हटने के आदेश दिये वैसी तेजी न पहले कभी दिखायी थी और न ही बाद में दिखायी। वैकल्पिक मुख्यमंत्री पद सम्हालने के लिए अरुण जैटली के साथ जिन शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली से भेजा गया था, उनको सत्ता देने से उन्होंने साफ इंकार कर दिया और अपने अनुशासन में रहने के प्रति आश्वस्त बाबूलाल गौर को सत्ता सौंपी। अपमानित जैटली और शिवराज वापिस लौट गये। इस टकराहट का लाभ लेने के लिए कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हुबली के उस प्रकरण को जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गयी थी, राजनीतिक आन्दोलन मानकर वापिस ले लिया जिससे उमाजी जेल से बाहर आ गयीं। पर भाजपा ने वादे के बाद भी इतनी जल्दी मुख्यमंत्री फिर से बदलने से मना कर दिया और एक साल इंतजार करने को कहा। एक साल तक बाबूलाल गौर के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहने के बाद भी जब उन्हें सत्ता नहीं मिली तो वे बिफर गयीं। अरुण जैटली द्वारा उनकी आत्महत्या कर लेने की धमकी को प्रैस को लीक करने की सूचना से वे और भी व्यथित हुयीं तथा टीवी कैमरों के सामने अडवाणी समेत राष्ट्रीय नेतृत्व को भला-बुरा कह डाला जिस कारण वश उन्हें निलम्बित करना पड़ा था। विधायकों के बहुमत के आधार पर मुख्यमंत्री चयन की उनकी माँग को ठुकराते हुए 2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह से पराजित रहे शिवराज सिंह चौहान को बतौर मुख्यमंत्री बैठा दिया। आक्रोश में उन्होंने पार्टी छोड़ी, तिरंगायात्रा , रामरोटी यात्रा, आदि निकालीं, नई पार्टी बनायी उससे विधानसभा चुनाव लड़े, अपनी पार्टी के पक्ष में बारह लाख तक वोट पाये, पाँच विधायक जिताये, पर भावी सम्भावनाएं सूंघ कर, पार्टी समेट कर भाजपा में पुनर्प्रवेश के लिए लाइन में लग गयीं। उनसे लम्बी प्रतीक्षा करवायी गयी, इस बीच स्वार्थ के कारण जुड़े सारे लोग एक एक करके उनका साथ छोड़ते गये और उनसे अपमानित हो चुके लोग उनके पुनर्प्रवेश में बाधक बन कर अड़ गये। गडकरी और संघ दोनों के साथ उन्होंने ढेरे सारी बैठकें की और आखिरकार उन्हें मना ही लिया। संघ के आदेश के सामने शिवराज सिंह की स्तीफे की धमकी काम नहीं आयी, पर मध्यप्रदेश में उमाजी के प्रवेश करने पर पाबन्दी लगवाने में वे सफल रहे। अपने पिता समान भाई की गम्भीर बीमारी की दशा में उन्हें देखने आने के लिए भी अपने प्रदेश में उन्हें गुपचुप आना पड़ता था। इसी बीच गोबिन्दाचार्य जैसे गुरुसम सलाहकार ने भी उनसे दूरी बना ली।
       उन्हें म.प्र. से दूर रखने और अन्यत्र व्यस्त रखने के लिए उन्हें गंगा की स्वच्छता का गैर राजनीतिक प्रभार सौंप दिया गया और बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश के एक लोधी बहुल चुनाव क्षेत्र से टिकिट दे दिया गया, इतना ही नहीं चुनाव के दौरान, सरकार बनने की दशा में उन्हें उ.प्र. का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गयी क्योंकि चुनाव परिणामों का सही अनुमान सबको था इसलिए इस घोषणा में भाजपा को कोई खतरा नहीं था। वे किसी तरह खुद तो चुनाव जीत गयीं पर भाजपा के वोट प्रतिशत में ही गिरावट नहीं आयी अपितु उसकी सीटें पिछले चुनाव से भी दो कम हो गयीं। मुख्यमंत्री उम्मीदवार तो घोषित कर दिया गया था पर उन्हें विधायक दल का नेता नहीं बनाया गया तो वे भी शपथ लेने के बाद विधानसभा नहीं गयीं। भाजपा के नेतृत्व समेत मध्यप्रदेश के नेता खुश थे कि उन्होंने उमाजी का प्रदेश निकाला ही कर दिया। उल्लेखनीय है कि उमाजी ने म.प्र. की भाजपा सरकार को अपना बच्चा बताया था और शिकायत की थी कि उन से उनका बच्चा छीन लिया गया है।
       पिछले कुछ दिनों से वे वात्सल्य भाव से म.प्र. के अधिक चक्कर लगा रही हैं। जिन शिवराज सिंह चौहान पर बड़ामल्हरा चुनाव के दौरान उन्होंने उनकी हत्या करवाने के प्रयास का आरोप लगाया था, अब वे उनके बड़े भाई का पद पाने लगे हैं। समानांतर रूप से उनके पैनल के लोग विधानसभा चुनावों में टिकिट पाने के लिए तैयारी कर रहे हैं और चुनावी तैय्यारियों में जुट चुके हैं, जो टिकिट न मिलने की दशा में निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
       पिछले दिनों लोधी जाति के नेता कल्याण सिंह ने लखनऊ में आयोजित एक समारोह में अपनी पार्टी का समर्पण भाजपा में करा दिया पर उस कार्यक्रम में उ.प्र. से विधायक व मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित प्रत्याशी रही उमाभारती को कोई स्थान नहीं दिया गया। दोनों ही नेता लोधी जाति के नेता हैं और दोनों ने ही भाजपा में मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद अपनी अलग पार्टी बनायी थी पर उसके असफल होने के कारण एक एक करके भाजपा में वापिस आते गये हैं। कल्याण सिंह नहीं चाहते हैं कि उमा भारती उत्तरप्रदेश में लोधियों की नेता के रूप में उभरें इसलिए वे उन्हें उसी तरह दूर करना चाहते हैं, जैसे कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान उन्हें प्रदेश में घुसने ही नहीं देना चाहते। स्मरणीय है कि जब उमा भारती ने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था तब महीनों तक उनके पाँच विधायकों को विधायक दल में सम्मलित नहीं किया गया था व उन्हें मंत्री तो दूर किसी को भी निगम मण्डल के अध्यक्ष का पद भी नहीं दिया है। उमा भारती से जुड़े रहे लोगों को संगठन में भी उचित स्थान नहीं मिला है व किसी भी जीत सकने वाले चुनाव क्षेत्र से टिकिट न मिलना भी तय है। देश में यही दोनों राज्य ऐसे हैं जहाँ उमाभारती जानी जाती हैं, और दोनों ही जगहों से उन्हें बेदखल कर दिया गया है।
       जिन गडकरी से उमाजी को कुछ भरोसा था वे अब भाजपा के अध्यक्ष पद से विदा हो चुके हैं, और उन्हें अध्यक्ष पद पर पुनर्प्रतिष्ठित करने की इच्छा रखने वाले संघ के लोगों का भी दबदबा कम हुआ है। ऐसे में तय है कि मुँहदेखी बात करने वाले नेताओं वाली पार्टी में उमा भारती की हालत मदन लाल खुराना की तरह हो जाने वाली है। पर युवा उमा भारती ने जीवन भर संघर्ष से मुँह नहीं मोड़ा और आगे भी नहीं मोड़ेंगीं। उनके प्रदेश में उनसे असंतुष्ट सुषमा स्वराज को सुरक्षित क्षेत्र दे दिया गया है, ऐसे में देखना होगा कि वे अपने प्रदेश के वात्सल्य से कब तक दूर रह सकेंगीं।
वीरेन्द्र जैन
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रविवार, मार्च 17, 2013

फिल्म समीक्षा जोल्ली एलएलबी - न्याय व्यवस्था का यथार्थ


फिल्म-समीक्षा
ज़ोल्ली एलएलबी – न्याय व्यवस्था का यथार्थ
वीरेन्द्र जैन

       बेहतरीन कलाकार बोमन ईरानी के कन्धों पर टिकी ‘जोल्ली एलएलबी’ हमें हमारी न्याय व्यवस्था के यथार्थ से साक्षात्कार कराती है। इस फिल्म में एक सच्ची घटना से गूंथ कर कहानी रची गयी है, जो एक अमीरज़ादे द्वारा शराब और पैसे के नशे में मदमत्त होकर फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर मजदूरों पर अपनी नई कार चढा देने और पैसे वाले वकील की मदद से न्याय को अपनी जेब में डाल लेने की गाथा से जोड़ी गयी है। अदालतों में यदा कदा आते जाते रहने वाले जो लोग फिल्मी अदालतों के नकलीपन से परिचित हैं वे इस फिल्म की अदालत, वकीलों की दशा, उनके लटके झटके, आदि को देख कर असली जैसी अदालत जैसे यथार्थसुख की अनुभूति पा सकते हैं। अदालतों के अहाते में बैठकर मक्खी मारने वाले वकील हैं जो अपने पुराने जमाने के टाइपराइटर को अपने साइन बोर्ड से ढककर उस पर ताला लगा कर जाते हैं। वे मुवक्किल को पटाने के लिए हस्तरेखा विशेषज्ञ भी बनते हैं, और कान से मैल निकालने वालों की तरह एक एक व्यक्ति में ग्राहक की सम्भावना तलाशते हैं,तथा पार्टटाइम में किसी आर्केस्ट्रा में गाना भी गाते हैं। एक निरीह सी अदालत है जो मौसम की मार से ही परेशान नहीं है अपितु न्यायव्यवस्था से भी परेशान है जिसमें ढेरों केस लटक रहे हैं।  राजधानी का एक बहुत बड़ा वकील कहता है कि नये वकील जल्दबाजी में बहुत हैं जबकि अदालत में जल्दी कुछ नहीं होता। न्यायाधीश कहता है कि न्याय अन्धा होता है पर न्यायाधीश नहीं और दूसरी ओर उसकी व्यथा यह भी है कि जिस मामले में वह व पूरा परिवेश पहले दिन से जानता है कि दोषी कौन है, उसे गवाहों सबूतों के अभाव में वर्षों बाद तक सजा नहीं दे पाता। बड़े वकील का खौफ ही अदालत का पलड़ा झुका देता है तो दूसरी ओर उनकी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सुविधाएं भी न्यायाधीश को डगमग कर सकती हैं। बड़ा वकील अपने धनी ग्राहक से कहता है कि उसे दी गयी राशि में से उसे कुछ और भी मैनेज करना होता है। पैसेवाले लोगों के फँस जाने पर उसका अपना वकील भी उससे और रुपया ऎंठने के लिए उसके विरोध में नकली गवाह भी पैदा कर देता है व प्रतिपक्ष के वकील को भी मिलाने का काम करता है। वकील के पैसे से न मानने पर उसे पिटवाया भी जाता है। पुलिस के लोग पैसे के लालच में कार दुर्घटना को ट्रक दुर्घटना में बदल देते हैं और ज़िन्दा को भी मुर्दा बता देते हैं। सबकुछ मिला कर पूरी फिल्म न्याय व्यवस्था का कच्चा चिट्ठा खोलती है। यह फिल्म यह भी बताती है कि आजकल वकालत का पेशा शिक्षित लोगों के बीच अंतिम शेष पेशे में से एक है और शेष सभी जगह से निराश हो चुके लोग ही इसमें आ रहे हैं जिनकी शिक्षा का स्तर यह है कि वे प्रोसीक्यूशन को प्रोस्टीट्यूशन लिखते हैं।
 एक ओर तो यह फिल्म आदर्शवादी है वहीं दूसरी ओर कहानी को आगे बढाने के लिए बहुत सारे नकली आदर्शों और संयोगों का सहारा लिया गया है। मेरठ से आने वाले वकील, अर्थात फिल्म के नायक को दिल्ली में बड़े वकील से बदला लेने को उतारू एक कैंटीन संचालक, मुफ्त में चेम्बर दे देता है क्योंकि यही बड़ा वकील उसकी बेटी के खिलाफ हुए अपराध के अपराधियों को बचा चुका है। पुलिस के डर से बिहार भाग गया गवाह नायक के कहने भर से वापिस दिल्ली लौट आता है और निर्भय होकर गवाही देता है। एक पुलिस इंस्पेक्टर को बड़ा वकील उसकी भूल के लिए स्वयं पीटता है और वह घरेलू पत्नी की तरह पिटता रहता है। नायक की प्रेमिका/पत्नी भी भिन्न प्रकृति  की आदर्शवादी है जो अभावों में रहते हुए भी अपने पति को ईमानदारी से भटकने पर लताड़ लगाती है और बीस लाख रुपयों के सम्भावनाओं को ठुकरा देने के लिए प्रेरित करती है।
कुल मिलाकर अपनी हास्य भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध बोमन ईरानी, अरशद वारिसी और सौरभ शुक्ला के अभिनय से ओतप्रोत यह सुखांत फिल्म देखने लायक है, जिसे ‘नो वन किल्लिड जेसिका’ की अगली कड़ी कहा जा सकता है। इस फिल्म को न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों को दिखाये जाने की विशेष व्यवस्था होना चाहिए।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
    

बुधवार, मार्च 13, 2013

कितने युवाओं की बलियां और लेगा यह समाज?


कितने युवाओं की बलियां और लेगा यह समाज
वीरेन्द्र जैन
       मैंने अपने एक परिचित के पारिवारिक मामले में दखल देते हुए उसकी बेटी की शादी ऐसे परिवार में करवायी थी जो उनकी जाति के ही थे पर गोत्र में छोटे माने जाते थे। शादी के लगभग दो साल बाद जब उनके घर जाने का संयोग निकला तो स्वाभाविक रूप से बेटी की कुशलता भी पूछी। उन्होंने गम्भीर होकर कहा कि लड़की का ससुराल उनकी तुलना में कई गुना सम्पन्न है, कोठी है गाड़ियां हैं अच्छा व्यापार है और घर में सामंजस्य है पर शादी के बाद उन्होंने एक बार भी बेटी को उनके घर नहीं भेजा। जब भी बेटी को बुलाते हैं तो दामाद स्वयं ही गाड़ी लेकर आते हैं और शाम को उसे लेकर वापिस लौट जाते हैं।
       उनकी बात में एक ओर तो संतोष झलकता था तो दूसरी ओर वे दुखी भी थे। जब मैंने पूछा कि क्या उनके पास उनकी निगाह में उनके ही समान गोत्र में इससे भी अच्छा कोई रिश्ता था, तो उन्होंने इंकार में सिर हिला दिया। जब मैंने कहा कि यह स्थिति तो समान गोत्र की शादी में भी आ सकती थी तो उन्होंने सहमति जताते हुए कहा कि आम तौर पर समान गोत्र में स्थितियां अपेक्षाकृत बुरी ही हो सकती थीं। सच तो यह है कि हमारे समाज ने अनावश्यक रूप से बेटी की शादी को अपनी इज्जत से जोड़ लिया है जबकि उसका ‘कन्यादान’ कर देने के बाद उसके पिता के घर आने के अवसर बहुत ही कम होते हैं। तब भी हम यह नहीं सोचते कि विवाह में केवल संतानों के सुखी भविष्य के अलावा दूसरा कोई मापदण्ड नहीं होना चाहिए। समान धर्म, जातियों, गोत्रों, उपगोत्रों में जन्मपत्रिका मिलवा कर व महूर्त देख कर किये गये विवाहों के बाद भी परिवार उतने सुखी और स्वतंत्र नहीं हो पाते जितना वे आत्मनिर्णय से किये गये विवाहों में हो सकते हैं। आइए देखें कि पिछले दो तीन वर्षों में ही अपने कितने सम्भावनाशील युवाओं को अपनी मूर्खताओंवश मौत दे दी है। यह सूची तो कुछ छुटपुट अखबारी कतरनों से इंगित संकेत तक सीमित है जबकि इससे कई गुना अधिक घटनाएं तो पुलिस प्रशासन और मीडिया की निगाहों में आने के पहले ही दब जाती हैं।
2010- दैनिक भास्कर  बिजनौर जिला-हल्दौर थाना- ग्राम खासपुरा पहले प्रेमी की हत्या की, फिर बेटी को जलाया
2010- दैनिक भास्कर  फिरोज़पुर- ग्राम नूरपुर सेठा- प्रेमी प्रेमिका की पीट पीट कर हत्या
20-9-10 दैनिक भास्कर  विदिशा- ग्राम मिर्ज़ापुर- विदिशा में प्रेमी प्रेमिका ने की खुदकुशी
7-11-10- पीपुल्स समाचार  भटनी देवरिया जिला- तीन छात्राओं को मारकर खेत में गाड़ा  और फिर उनकी हत्या, मामले को रफा दफा करने की कोशिश
2010 पीपुल्स समाचार  भोपाल- कोलर क्षेत्र बहन के नाबालिग प्रेमी की बेरहमी से हत्या- पीटा फिर डेम में फेंक दिया
2010 पी. समा. बरेली-यूपी- पेमी युगल ने खाया जहर, लड़की की मौत- लड़का गम्भीर्
2011-पीपुल्स समाचार  सिरसा-फुलकन गाँव-रुई के खेतों में एक युवक और युवती का शव मिला
2011- पीपुल्स समाचार -मुम्बई-विरार- एक महिला ने अपनी 21 साल की बेटी के तीन टुकड़े कर दिये फिर उसे जलाने की कोशिश की
2011 -पीपुल्स समाचार -भोपाल बैरसिया तहसील में प्रेम प्रसंग के चलते एक युवक की बस से उतार कर नृशंस ह्त्या कर दी गयी
2011- पीपुल्स समाचार -भोपाल छोला मन्दिर इलाके में बहिन के प्रेमी की हत्या
2011- पीपुल्स समाचार  गाजियाबाद- मोदीनगर क्षेत्र में प्रेम सम्बन्धों के सन्देह में बाप ने बेटी की जान ले ली
2011- पीपुल्स समाचार  भिंड देहात क्षेत्र-प्रेमी की आत्महत्या के बाद प्रेमिका ने लगायी फाँसी
13-11-11-दैनिक भास्कर  कांगड़ा ग्राम नगरौटा बगवाँ- 20 वर्षीय युवक की हत्या कर शव पेड़ से लटका दिया गया
29-7-11 पी.समा-दतिया- पलवल हरियाणा के प्रेमी युगल ने दी ट्रैन से कट कर जान दी
18-8-11-मुरैना- महुआ थाना क्षेत्र के बड़ापुरा गांव में झूठी शान के लिए भतीजी की हत्या
27-8-11-पीपुल्स समाचार  सीहोर युवक को जिन्दा जलाया
00-8-11- पीपुल्स समाचार  कानपुर घाटमपुर इलाके में एक व्यक्ति ने प्रेम प्रसंग के चलते आपनी दस्वीं में पढ रही लड़की की हत्या कर दी और शव को खेत में गाड़ दिया।
00-8-11- दैनिक भास्कर  नासिक – भद्रकाली पुलिस स्टेशन परिसर ने प्रेम सम्बन्धों के सन्देह में एक माँ ने अपनी 18 वर्षीय लड़की को ज़िन्दा जला दिया
2011- पीपुल्स समाचार  मुजफ्फरनगर- 48 घंटों में आनर किलिंग में तीन लड़कियों की हत्या कर दी गयी
2011- पीपुल्स समाचार  मथुरा- कोलाहर गाँव- प्रेमीयुगल को गांव वालों ने खेत में ही फूंका
12-8-11- जन.स. नोएडा- सूरजपुर थाना क्षेत्र में भाई ने प्रेम करने के आरोप में अपनी बहिन की जान ले ली और  गंग नहर में लाश बहा दी
24-10-11 दैनिक भास्कर  मुरैना ग्राम लहर- दिमनी थाना क्षेत्र- दो बार पेड़ पर लटकाया, डंडों से पीटा, केरोसिन डाला... फिर चिता पर लिटाकर ज़िन्दा जला दिया, दलित के साथ प्रेम करने की सजा
28-10-11 दैनिक भास्कर  टीकमगढ- दिगौड़ा- प्रेमी युगल की हत्या कर शव फाँसी पर लटकाए
10-11-11-पत्रिका-भिंड बरासों थाना क्षेत्र ग्राम गोपालपुरा- बेटी की गोली मार कर हत्या, शव नदी में बहाया
5-11-11 जन. स. मुज़फ्फरनगर किशोरी की झूठी शान के लिए उसके दो भाइयों द्वारा की गयी हत्या के बाद परिवार वालों ने शव भी स्वीकार करने से मना कर दिया
6-11-11-जन.स. मुज़फ्फरनगर बागपत जिला- दार्कवदा गाँव- झूठी शान के लिए बेटी की हत्या
00-11-11 पत्रिका- भोपाल- दो छात्राओं ने ट्रैन से कटकर दी जान- घटनास्थल से बरामद किया
12-11-11-जन.स. बुलन्द शहर- प्रेमिका और प्रेमी के भाई का शव मिला
26-11-11-जन.स. मुरादाबाद- मवई ठुकरान इलाके में नाराज पिता ने बेटी को मार डाला
4-1-12- जन.स. मेरठ- गाँव- हर्रा- प्रेम प्रसंग से नाराज भाई ने बहन की जान ली
18-4-12- दैनिक भास्कर  सागर जिले के बीना में आनर अटैक – युवक को पैट्रोल डाल कर जला दिया- प्यार की सजा, हालत गम्भीर,
25-4-12-दै भा.- मुम्बई- आनर किलिंग में पिता ने बेटी की हत्या की
2012-  दैनिक भास्कर  हरियाणा –रोड़ी- सिरसा- प्रेमी और प्रेमिका दोनों एक साथ जले , सिरसा के शमशान घाट में युवती की जलती चिता पर कूद कर युवक ने किया आत्मदाह
2012-  दैनिक भास्कर  रांची – प्रेमी प्रेमिका चौथी मंज़िल से कूदे, प्रेमिका मरी
10-5-12 दैनिक भास्कर  –सहारनपुर – डीआइजी ने कहा कि भागने वाली लड़की अगर मेरी बहिन होती तो मैं उसे मार डालता
19-6-12 दैनिक भास्कर  सूरत- पैट्रोल छिड़क बेटी को ज़िन्दा जलाया
9-9-12 जन, स. इन्दौर हीरानगर थाना क्षेत्र-इन्दौर में भाई ने बड़ी बहिन को जिन्दा जलाया
नवम्बर 12- पत्रिका- अम्बाह – मुरैना- नखती गाँव- किशोरी को जला कर मारा
15-9-12 डीबी स्टार- भोपाल- भोपाल- पहले उन्होंने अपनी बेटी को मार डाला फिर मेरे बेटे को मरवा दिया और एक्सीडेंट बता दिया। प्रेमी की माँ ने की शिकायत।
अक्टूबर 12-  इटारसी- दैनिक भास्कर, आनर किलिंग में युवक की हत्या गोली मार कर जलाया शव
2/12/12- शाजापुर- दैनिक भास्कर बड़ौद में प्रेमिका के भाइयों ने बहिन को मार डाला और प्रेमी की हत्या की। दोनों ने विवाह कर  लिया था।
9/12/12 कोलकता- दैनिक भास्कर दक्षिण परगना में बड़े भाई ने अपनी छोटी बहिन को मार डाला और कटा सिर लेकर थाने पहुँचा, उसकी बहिन अपने प्रेमी के साथ रह रही थी।
21/12/12 नई दिल्ली- पत्रिका- गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में पीड़ित की शिकायत पर आनर किलिंग के 333 मामले दर्ज किये गये।
21/12/12 शिवपुरी दैनिक भास्कर, -प्रेम विवाह करने पर बेटी को गोली मारी
26/12/12 कौशाम्बी- दैनिक भास्कर- पिता ने रात्रि में प्रेमी से मिलने गयी पुत्री की कुल्हाड़ी मार कर हत्या की
26/12/12 मुज़फ्फरनगर –दैनिक भास्कर बुढाना कस्बे में पिता ने अपनी बेटी और उसके प्रेमी की गोला मार कर हत्या कर दी
11/1/13 राजकोट दिव्य भास्कर – भावनगर जिले के सादरिका गाँव में 24 वर्षीय अमराबेन को प्रेमी के साथ जाने पर उसके परिजनों ने मार डाला
13/1/13 मेरठ- दैनिक भास्कर ओएनजीसी के सुपरिंडेंट इंजीनियर ने अपनी बेटी को बाठरूम्के टब में डुबो कर मार डाला
22/1/13 भोपाल- दैनिक भास्कर- आरक्षक की बेटी ने फाँसी लगाने से पहिले अपने प्रेमी से शादी कर ली थी   
       सह शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, आरक्षण से मिटता जातिगत भेदभाव, घरेलू कार्यों का मशीनीकरण, परिवार नियोजन के साधनों के प्रसार से आये नैतिक परिवर्तनों, के बाद भी हम कब तक विवाह के लिए जातियों के घेरों में सीमित रह कर अपने ही युवाओं को मौत के मुँह में धकेलते रहेंगे? जब इनमें से अधिकांश युवा हैं तो फिर राजनीतिक दलों के युवा संगठनों को इनकी मौत की चिंता क्यों नहीं है? इनमें से बहुत सारे छात्र हैं तो छात्र संगठनों को इनकी म्रत्यु पर आक्रोश क्यों नहीं आता जो छोटी छोटी बात पर आ जाता है। सच तो यह है कि हम वृद्धों के देश में रह रहे हैं क्योंकि जो मौलिक रूप से नहीं सोचता और मृत परम्परा को ढोता चला जाता है वह युवा है ही नहीं। इन असमय की मौतों पर न साहित्य जगत संवेदनशील हो रहा है और न ही मीडिया इसे वस्तुनिष्ठ रूप में ले रहा है। इनमें से अधिकांश जाति समाज से ग्रस्त हिन्दू हैं पर हिन्दू युवा अभी भी ‘कुम्भ’ से बाहर नहीं निकल पा रहा। संघ के प्रमुख पद पर आते ही मोहन भागवत ने अपना पहला चर्चित बयान अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के सम्बन्ध में दिया था, पर उसके बाद उनके मुखारबिन्द से कभी कोई बोल नहीं फूटे।
आखिर हम कब तक शुतुरमुर्ग बने रहेंगे?
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
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