गुरुवार, मार्च 28, 2013

चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित हो रहे हैं जनसंगठन


चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित हो रहे हैं संगठन
वीरेन्द्र जैन

       पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र या किसी राज्य में होने वाले आम चुनाव के प्रारम्भ और चुनावों के बाद में प्रत्याशियों और विजयी उम्मीदवारों के बारे में दिलचस्प और चौंका देने वाले आंकड़ों के समाचार देखने को मिलते हैं। ये देशव्यापी आंकड़े चुनाव सुधारों के लिए कृतसंकल्पित संस्था एडीआर अर्थात एशोसियेशन आफ डैमोक्रेटिक रिफोर्म्स की ओर से जुटाये जाते हैं और सभी संचार माध्यमों को निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे हैं। प्रत्याशियों द्वारा नामांकन भरते समय अपनी सम्पत्ति, देनदारियां, अदालतों में दर्ज आपराधिक प्रकरणों से सम्बन्धित शपथ पत्र दिये जाने को अनिवार्य कराये जाने का नियम बनाये जाने में इन्हीं संस्थाओं की प्रमुख भूमिका रही है। एडीआर के अंतर्गत ही नैशनल इलेक्शन वाच, और राज्यवार एलेक्शन वाच जैसे स्वयंसेवी संगठन काम करते हैं जो निर्वाचन कार्यालयों से ऐसी जानकारियां एकत्रित करके उनको विश्लेषित करते हैं। वे बताते हैं कि सबसे अधिक सम्पत्ति वाले उम्मीदवारों को किस दल ने टिकिट दिया है और सबसे कम सम्पत्ति वाले उम्मीदवारों को किस दल ने टिकिट दिया है। सबसे ज्यादा गम्भीर अपराधों के आरोपी उम्मीदवार किस दल के हैं और सबसे ज्यादा देनदारियों वाले उम्मीदवार किस दल में हैं। किसके पास कितने वाहन हैं, और किस के पास कितने हथियारों के लाइसेंस हैं। इनकी वेबसाइट माईनेता डाट इंफो में प्रत्येक चुनाव के प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा दिये गये शपथपत्र के विवरण उपलब्ध हैं। स्मरणीय है कि पिछले दिनों भ्रष्टाचार मिटाने के खिलाफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाले आन्दोलनों के दौरान राज्य को ‘बनाना स्टेट’ होते जाने के आरोप लगे थे। सक्रिय राजनीति के अनेक नेताओं ने भी ऐसे ही आरोप लगाये थे। उपरोक्त खुलासों से यह साफ है कि दलों के टिकिट पाने वाले अधिकतर उम्मीदवार करोड़पति होते हैं और जीतने वालों में भी अधिक सम्पत्ति वाले ही अधिक होते हैं। तय है कि जब ऐसे लोगों को सरकार चुनने का अधिकार मिल जाता है तो वे अपने व्यापार अथवा कारोबार को सुविधाएं देने की शर्त मानने वालों को ही प्राथमिकता देंगे। इन खुलासों के सामने आ जाने के बाद विवेकवान मतदाता उचित दल और प्रत्याशी का चुनाव करने में अधिक समर्थ महसूस कर सकता है।

       एडीआर प्रतिवर्ष अपनी वार्षिक राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित करता है जिसमें उक्त काम को महत्वपूर्ण समझने वाले लोकतंत्रप्रेमी कार्यकर्ता देश भर से एकत्रित होते हैं और चुनावों को अधिक से अधिक पारदर्शी बना कर सच्चे लोकतंत्र की स्थापना में न केवल अपने अनुभवों को ही बाँटते हैं अपितु मुख्य चुनाव आयुक्त की उपस्तिथि में वांछित सुधारों के बारे में उनसे आग्रह भी करते हैं। इस वर्ष यह आयोजन देश के ऎतिहासिक राज्य की सबसे खूबसूरत राजधानी जयपुर में दिनांक 23 व 24 मार्च 2013 को सम्पन्न हुआ और मुझे दूसरी बार इसमें सम्मलित होने का अवसर मिला। जयपुर के इन्दिरागाँधी पंचायतीराज संस्थान में आयोजित इस सम्मेलन में कुछ ऐसी महिला सरपंचों की संघर्ष कथाएं सुनने को मिलीं जिन्होंने न केवल निरक्षरता से कम्प्यूटर शिक्षा तक का ही सफर तय किया अपितु अपनी पंचायत का सारा काम कम्प्यूटर से करके पंचायत के पूरे कामकाज को पारदर्शी बना दिया। अजमेर जिले के हरमौदा ग्राम की सरपंच श्रीमती नौरती बाई ऐसी ही सरपंच के रूप में उन लोगों के सामने आयीं जो देश भर में चुनाव सुधारों का अलख जगाये हुए हैं। उनके यहाँ मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाएं न केवल सफलतापूर्वक ही चलायी जा रही हैं अपितु वे किसी भी सम्बन्धित को उसकी ईमानदारी परखने की चुनौती भी देती हैं। इस आयोजन में ऐसे भी सरपंच थे जो न केवल छहसौ रुपये ही खर्च करके चुनाव जीते थे, अपितु उन्होंने लाखों रुपये खर्च करने वाले उम्मीदवारों को बुरी तरह हराया भी था। उल्लेखनीय है कि अपने सामाजिक कार्यों के लिए बुकर सम्मान से सम्मानित पूर्व आई ए एस अधिकारी अरुणा राय, जो राष्ट्रीय सलाहकार समिति की सदस्य भी हैं उन्हें निरंतर मार्गदर्शन देती हैं और उनके उत्साहवर्धन के लिए वे इस कार्यक्रम में भी उपस्थित थीं। इन सरपंचों ने मनरेगा में पानी पिलाने के लिए दलितजाति के मजदूर की भागीदारी भी सुनिश्चित करके इस रोजगार गारण्टी कार्यक्रम को सामाजिक बदलाव के कार्यक्रम से भी जोड़ने जैसे कई कामों को अंजाम दिया है।
       निर्वाचन आयोग के सन्युक्त संचालक [खर्च नियंत्रण इकाई] ने पिछले चुनावों के अनुभवों को बताते हुए कि पिछले दिनों गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने ढाईलाख से अधिक की राशि नगद लेकर जाते हुए व्यक्तियों से पूछताछ का जो नियम बनाया था उसे बीच चुनाव में गुजरात हाईकोर्ट ने रोक दिया और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे प्रत्याशी और उसके प्रतिनिधि आदि तक सीमित कर दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी अपने उद्बोधन में बताया कि वे जल्दी ही सभी जिलों के आयकर अधिकारियों की बैठकें आहूत करने जा रहे हैं ताकि चुनावों में काले धन के उपयोग पर प्रभावी रोक लगायी जा सके। इस कांफ्रेंस में निर्वाचन आयोग से मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री वी एस सम्पत, सन्युक्त संचालक भारत भूषण गर्ग, देश को सूचना का अधिकार दिलाने वाली श्रीमती अरुणा राय, विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ राजनेता, ट्रांसिपरेंसी इंटरनैशनल, पीयूसीएल, एमकेएसएस, सोसाइटी फार सोशल जस्टिस, कामन काज, विकास सम्वाद, महिला पुनर्वास समिति, विभिन्न सक्रिय पत्रकार, उत्तरपूर्व से लेकर तामिलनाडु तक के इलेक्शन वाच पदाधिकारियों, ने भाग लेकर दलितों, महिलाओं, और अल्पसंख्यकों आदि के दृष्टिकोण से भी चुनाव सुधारों को देखा। इसमें बीबीसी के पत्रकार नारायण बरेठ, और एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन ने प्रैस और पेड मीडिया की समस्या पर रोचक व महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
       आईआईएम के प्रोफेसर रहे जगदीप छोकर, त्रिलोचन शास्त्री, एवं निखिल डे. अरुन बैरीवाल की सतत सक्रिय भागीदारी से चुनाव सुधारों का यह अभियान भारतीय लोकतंत्र को संविधान की मूल भावना वाले सच्चे लोकतंत्र तक ले जाने में आने वाले अवरोधों को दूर करने के लिए निरंतर और निर्विवाद रूप से सक्रिय है। इस वर्ष की कांफ्रेंस ने राजनैतिक दलों के पंजीकरण एवं गतिविधियों के विनियमन से सम्बन्धित विधेयक का प्रारूप सार्वजनिक राय के लिए रखा है जिसमे राजनीतिक दलों को अलोकतांत्रिक और व्यक्ति केन्द्रित होने से रोकने में मदद मिलेगी। आगामी छह राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए इलेक्शन वाच की टीमें तैयार हैं जो अगले माह बैंगलौर में तैयारी बैठकें कर रही हैं। इस कांफ्रेंस में किसी को भी मत नहीं देने का अधिकार और उस मत की गिनती करने का अधिकार भी सर्वसम्मति से मांगा गया है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
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मोबाइल 9425674629
                

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