मंगलवार, मार्च 29, 2016

ट्वेंटी-ट्वेंटी में निजता हनन करता सोशल मीडिया

 ट्वेंटी-ट्वेंटी में निजता हनन करता सोशल मीडिया

वीरेन्द्र जैन

टेस्ट मैच से वन डे और उसके बाद ट्वेंटी-ट्वेंटी तक आ गये क्रिकेट में, खेल व मनोरंजन के साथ जुए का सम्मिश्रण अधिक हो गया है। खेल में एक खास अनुशासन के अंतर्गत शारीरिक मानसिक श्रम और कौशल को विकसित करने की प्रवृत्ति होती है जिसमें अपने व सार्वजनिक मनोरंजन के साथ एक स्वस्थ प्रतियोगी भाव भी रहता है। इस प्रतियोगिता के बीच जो परिणाम की अनिश्चितता रहती है उसके पूर्वानुमान के आधार पर जब शर्तें प्रारम्भ हुयीं वे आगे चलकर जुए का आधार बनती गयीं। जब इस खेल को जुआ खिलाने वाले प्रायोजित करने लगे तो उन्होंने इसकी समय सीमा को उसी तरह संकुचित करना प्रारम्भ किया जिस तरह से रमी खेलने वाले मांग पत्ता खेलने लगें। टीवी चनलों के प्रसार ने इसे दुनिया के किसी भी हिस्से से सीधे प्रसारण की सुविधा दी और दुनिया का एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग इससे एक साथ सीधे जुड़ने लगा। इस बड़े दर्शक वर्ग के सम्पर्क का लाभ उठाने के कारण विभिन्न उत्पादकों ने विज्ञापन देकर इसके प्रायोजकों को आर्थिक मजबूती प्रदान की जिसका लाभ खिलाड़ियों तक भी पहुँचा। कुछ मामलों में जब इसके परिणामों को तय करने के सौदे हुए तो जुआरियों के साथ व्यापारी भी जुड़ गये जिन्होंने खिलाड़ियों को अपने अनैतिक व्यापार का भागीदार बना लिया।
बड़े दर्शक वर्ग के कारण इस खेल के खिलाड़ी सितारे बने और किसी भी तरह सत्ता हासिल करने के लिए उतावले राजनीतिक दलों ने इन खिलाड़ियों को चुनाव में प्रचार करने के लिए उतारा। कई मामलों में तो उन्हें सीधे उम्मीदवार ही बना दिया। चयन समितियों तथा खेल पुरस्कारों को तय करने में सत्तारूढ दल के राजनेता अपना लाभ देख कर हस्तक्षेप करने लगे। लोकप्रियता पर आधारित फिल्म उद्योग की कई अभिनेत्रियां लोकप्रिय क्रिकेट खिलाड़ियों से जुड़ कर चर्चा में बने रहने का खेल खेलने लगीं। इसी क्रम में उनकी मित्रता और ‘ब्रेक-अप’ भी लम्पट समाज के बीच उन्हें खबरों में रखने लगा। फिल्म निर्माताओं को भी उनकी नायिकाओं का चर्चा में बने रहना लाभ का सौदा दिखा इसलिए उन्होंने भी खबरों की खेती को सिंचित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
पिछले वन डे मैचों के दौरान जब अभिनेत्री अनुष्का शर्मा, विराट कोहली के साथ दिखायी दीं व उन मैचों में वे अपने खेल का अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके तो खबरें गढने वालों ने इसको उनके साथ से जोड़ा जिसे बड़ी रुचि के साथ पढा गया और आपसी बात चीत में चुभलाया गया। इसके विपरीत जब ट्वेंटी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप 2016 के दौरान विराट ने अच्छा प्रदर्शन किया और अनुष्का शर्मा वहाँ नहीं दिखीं तो मनोरंजन प्रेमी दर्शकों के एक वर्ग ने तरह तरह के मजाक गढ कर सोशल मीडिया के माध्यम से इसे फैलाया। अमर्यादित सोशल मीडिया ने कुछ अशालीन टिप्पणियां भी कीं। जब ये टिप्पणियां अपनी सीमा तोड़ गयीं तो दुखी होकर विराट कोहली ने अपने इन्हीं प्रशंसकों के खिलाफ कटु टिप्पणी करते हुए लिखा- “ उन लोगों को शर्म आनी चाहिए, जो हर गलत और नकारात्मक चीज को अनुष्का से जोड़ रहे हैं। उन लोगों को खुद को पढा-लिखा कहने में शर्म आनी चाहिए। खेल में मैं कैसा प्रदर्शन करता हूं, उसका अनुष्का से से कोई लेना देना नहीं है, तो उसे दोषी क्यों ठहराया जाता है? अगर उन्होंने [अनुष्का] कुछ किया है, तो वह है कि मुझे मोटीवेट किया, और हमेशा मुझे सकारात्मकता दी। यह बात मैं बहुत पहले कह देना चाहता था। ...... और हाँ मुझे इस पोस्ट के लिए किसी का सम्मान नहीं चाहिए, बल्कि तरस खाइये और उनका सम्मान कीजिए। अपनी बहन, गर्ल फ्रैंड, या पत्नी के बारे में सोचिए, वो कैसा महसूस करेंगी, जब कोई उनके पीछे पड़ा रहे और सहजता से किसी भी समय सार्वजनिक रूप से उनका मजाक उड़ाए।“
मैंने सोशल मीडिया पर उपरोक्त आलोच्य टिप्पणियों के लिखने वालों को परखने की कोशिश की तो पाया कि ये अशालीन टिप्पणियां लिखने वालों का बहुमत उन लोगों में से था जिन्होंने जे एन यू में चल रहे छात्र आन्दोलन का विरोध किया था। इनमें से अधिकांश अपनी मौलिक टिप्पणियां नहीं लिखते अपितु किसी केन्द्र से आने वाली टिप्पणियों को ही कापी पेस्ट करके फारवर्ड कर देते हैं। एक ने तो कह ही दिया कि सोशल मीडिया में विराट अनुष्का प्रकरण चल निकलने से कन्हैया का प्रकरण गुम हो गया और देख लेना वह भी हार्दिक पटेल की तरह गुम हो जायेगा।
ट्वेंटी-ट्वेंटी का यह खेल जिस सक्रिय मध्यम वर्ग को मनोरंजन और अपने उत्पादन की बिक्री के लिए सम्बोधित करता है, उसी मध्यम वर्ग का एक बड़ा हिस्सा भाजपा और मोदी समर्थक रहा है। इसी हिस्से को पिछले दिनों सबसे ज्यादा निराशा भी हुयी थी जो विभिन्न चुनाव परिणामों में दिखायी भी दी। अलग अलग समय पर सिद्धू, चेतन चौहान, कीर्ति आज़ाद, आदि के बाद अब केरल में फिक्सिंग का आरोप झेल चुके श्रीसंत को उम्मीदवार बनाने वाली भाजपा के सोशल मीडिया केन्द्रों और उनके सन्देशों को फैलाने वाली भीड़ को विराट की खरी खरी से धक्का लगा होगा। अगर उनमें जरा भी शर्म होगी तो वे वैसे ही पूरे खेल जगत से क्षमा मांगने का साहस दिखायेंगे जिस तरह गन्दे सन्देश फैलाने का काम करते हैं।
वीरेन्द्र जैन
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