सोमवार, फ़रवरी 24, 2020

वारिस पठान के नाम खुला खत


वारिस पठान के नाम खुला खत
वीरेन्द्र जैन
प्रिय वारिस पठान
तुम अपने एक बयान से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बने हो। इस बयान में तुमने भाजपा और संघ परिवार का वह काम करने की कोशिश की है जिसमें उक्त संगठन खुद से असफल हो गये थे। तुम अच्छी तरह जानते थे कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और इसमें सत्ता की शक्ति बहुमत के आधार पर अर्जित होती है। अगर देश में समाज हिन्दू मुस्लिम के आधार पर विभाजित हो जायेगा तो जो दल बहुसंख्यक अर्थात हिन्दू पक्ष का नेतृत्व प्राप्त कर लेगा वह सत्ता और उसकी शक्ति प्राप्त कर लेगा। हमारे स्वतंत्रता संग्राम में जब हिन्दू मुस्लिम दोनों ही अंग्रेजों के खिलाफ साथ साथ मिल कर लड़े तो मुट्ठी भर अंग्रेजों ने अपनी बन्दूकों की ताकत के साथ साथ हिन्दू मुसलमानों की एकता को तोड़ने की कूटनीति भी स्तेमाल की। जनसंघ से लेकर भाजपा के रूप में उसके मुखौटा बदलने तक इस दल और उसके पितृ संगठन का एक ही लक्ष्य रहा है कि इस एकता को तोड़ा जाये व स्वयं को हिन्दुओं का इकलौता खैरख्वाह घोषित किया जाये। यही कारण रहा कि इन्होंने पहले हिन्दू महासभा का सफाया किया, और दूसरे लगातार मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाते हुए साम्प्रदायिक तनाव बढाने के लिए काम करते रहे। आज की उनकी हैसियत इसी कूटनीति का परिणाम है। वे तनाव बढाने के लिए निरंतर काम करते रहते हैं, गलत इतिहास पढाते हैं, अफवाहें फैलाते हैं और उनके समर्पित भोले भाले लोग उसे सच मानने लगते हैं। डिजिटल मीडिया आने के बाद तो इनका काम और आसान हो गया है. पिछले दिनों बेहूदा आर्थिक नीतियों, और गलत कदमों ने अर्थ व्यवस्था को चौपट कर दिया है, मंहगाई आकाश छूने लगी है और बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी है, जिससे सरकार का संकट और बड़ा हो गया है।  इससे बचने के लिए सरकार ने साम्प्रदायिक विभाजन के प्रयास तेज कर दिये हैं। नागरिकता कानून संशोधन तो इन प्रयासों का चरम है जिसे संख्या बल के आधार पर स्वीकृत करा लिया गया है।
इस कानून के विरोध में सभी धर्मनिरपेक्ष संगठन उतरे और उन्होंने लड़ाई को हिन्दू-मुसलमानों की जगह साम्प्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता का रूप दे दिया जिससे भाजपा की कूटनीति को करारा तमाचा लगा। इसकी काट के लिए ही उन्होंने इस आन्दोलन को हिन्दू बनाम मुसलमान बनाने की  पूरी पूरी कोशिश की, प्रधानमंत्री ने स्वयं ही आन्दोलन कारियों को उनके कपड़ों से पहचानने का बयान दिया, आन्दोलनकारी महिलाओं को 500\- रुपये की दैनिक मजदूर बताया व भीषण सर्दी में रात बिताने वाली महिलाओं को मुफ्त बिरियानी खाने वाली बताया। इस आन्दोलन का पूरा इतिहास तो जगजाहिर है इसलिए इसकी शांति भंग करने और इसे हिन्दू बनाम मुसलमान के रूप में बदलने के प्रयास किये जाने लगे।
वारिस पठान जी, तुम्हारा बयान भी इसी का हिस्सा लगा क्योंकि कोई भी स्वस्थ मस्तिष्क तो इसे हजम नहीं कर पा रहा है। तुमने उक्त बयान सार्वजनिक मंच से यह प्रभाव बनाते हुए दिया जैसे यह लड़ाई सौ करोड़ हिन्दुओं और 15 करोड़ मुसलमानों के बीच हो रही हो जिसका फैसला किसी पानीपत के मैदान में सैनिकों की बहादुरी के आधार पर होना हो। मित्र, मनुष्य मनुष्य सब बराबर हैं व इतिहास में वीरता के किस्से हर तरफ मौजूद हैं, तुम्हारे बयान के पक्ष में कोई हिन्दू मुसलमान सामने नहीं आया अपितु ज्यादातर मुसलमानों ने तुम्हारे नेतृत्व और बयान को अस्वीकृत करते हुए खुद को 135 करोड़ हिन्दुस्तानियों का हिस्सा बताया जिन्हें आम नागरिकों की तरह लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त हैं, व इन्हीं का उपयोग करते हुए वे अपनी सरकार के फैसलों के विरोध में देश भर में आन्दोलनरत हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे यह अहिंसक लोकतांत्रिक लड़ाई मुसलमान के रूप में नहीं लड़ रहे हैं अपितु धर्म निरपेक्षता में भरोसा करने वाले वामपंथियों, दलितों, छात्रों व मध्यममार्गी दलों के साथ मिल कर लड़ रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि ना तो एक तरफ कुल 15 करोड़ हैं और ना ही दूसरी तरफ सौ करोड़ हैं। इसी कमजोरी को समझते हुए ही आर एस एस प्रमुख को आदिवासियों को हिन्दू बनाने के प्रयास तेज करने का आवाहन करना पड़ा। राष्ट्रवाद को हिटलरशाही बताना पड़ा।
वारिस भाई, तुम्हारे बयान से ना तो देश भर में चल रहे शाहीन बाग जैसे तीनसौ धरनों को कोई बल मिला है और ना ही उनके आन्दोलनों की कोई मदद हुयी है। इसके उलट इसे हिन्दू मुस्लिम बनाने की कोशिश करने वालों को अपनी बात सही साबित करने का एक तर्क मिला है। जोर शोर से यह साबित हो जाने के बाद भी कि तुम्हारे साथ कोई मुसलमान संगठन या समुदाय नहीं है, भाजपा के सम्बित पात्रा जैसे लोग तुम्हारी आवाज को पूरे मुसलमानों की आवाज बताने में जुट गये हैं व उनके अन्धभक्त उस पर भरोसा भी कर रहे हैं। जब यह सिद्ध हो चुका है कि तुम उनका प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हो, और भाजपा नेताओं के साथ गलबहियां करते हुए तुम्हारे फोटो वायरल हो रहे हैं तब तुम किसकी मदद कर रहे हो? जब भाजपा उत्तराखण्ड से गोआ और कर्नाटक तक विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए जानी जाने लगी है, तब तुम्हारी उपरोक्त हरकत को अगर लोग सौदेबाजी भी कह रहे हैं, तो क्या गलत कह रहे हैं! अगर सौदेबाजी नहीं भी हो तो कम से कम मूर्खतापूर्ण काम तो है ही!
क्या तुम आत्मनिरीक्षण करके कुछ कहोगे और अपनी भूल के लिए क्षमा मांगोगे? नहीं मांगोगे तो पिछले सत्तर दिनों से धरने पर बैठी महिलाएं तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगी। 
वीरेन्द्र जैन
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