शनिवार, नवंबर 21, 2009

भाजपा में खाने और दिखाने के दांत्

भाजपा के खाने और दिखाने के दांत
रामलला की फिर से याद आने का रहस्य
वीरेन्द्र जैन्
भाजपा की राजनीति में जो कहा जाता है हमेशा चीजें वैसी ही नहीं होतीं। बहुत कुछ ऐसा घटता रहता है जिसका पता आम लोगों को नहीं होता। हाल ही में भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के साथ साथ युवा नेतृत्व की बड़ी बड़ी बातें की गयीं किंतु उनका मतलब युवा नेतृत्व को कमान सौंपना भर नहीं था। जिस पार्टी को संघ ने तरह तरह के षड़यंत्र रच कर खड़ा किया और पूरे देश से रंग बिरंगे फिल्मी कलाकार, क्रिर्केट खिलाड़ी, भगवाभेषधारी, राजा रानी, दलबदलू आदि लोग तलाश कर जिसकी झांकी सजाई उसे वह थोथे आदर्शों पर कुर्बान नहीं कर सकती। पिछले लोक सभा चुनाव में ही उसने भोपाल लखनऊ और मन्दसौर समेत अनेक स्थानों में जिन लोगों को टिकिट दिये थे वे युवा अवस्था को वर्षों पीछे छोड़ चुके हैं।
सच तो यह है कि बाबरी मस्ज़िद तोड़ने के बारे में लिब्राहन आयोग ने सत्तरह साल लगा कर जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी उसे छह माह होने वाले हैं और सरकार को आगामी 31 दिसम्बर के पहले कार्यवाही रिपोर्ट देश के सामने पेश करना होगी। जिन भाजापा के बड़े बड़े कद वाले नेताओं के घेरे में आने की सम्भावना है वे अब उम्र दराज़ हो चुके हैं। यदि सरकार चाहेगी तो उनमें से कई नेताओं को जेल की हवा खाना पड़ सकती है। यही कारण है कि भाजपा, जिसका जनाधार निरंतर सिकुड़ता जा रहा है और उसकी हुड़दंग बिग्रेड के सदस्य अवैध कमाने में संलग्न हो गये हैं इस रिपोर्ट से आशंकित है और वह सम्भावित अपराधियों को उम्र के आधार पर छूट दिलाने के रास्ते तलाश रही है।
जिन उमा भारती ने मुख्य मंत्री पद से हटाये जाने पर भाजपा और उसके नेताओं को पानी पी पी कर कोसा था वे पिछले कई महीनों से उसमें प्रवेश पाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रहीं थीं।पर जब उनको यह समझ में आ गया कि संघ परिवार की नज़र में वे अब लाभ का सौदा न होकर एक बोझ हैं तो वे किसी तरह एन डी ए में सम्मलित होने के लिये गुहार लगाने लगीं थीं पर उनकी यह गुहार भी यह कह कर अस्वीकार कर दी गयी कि एन डी ए में सम्मिलित होने के लिये कम से कम एक सांसद का होना ज़रूरी है। वे चाहती थीं कि जब अपराधियों के प्रति कार्यवाही की घोषणा के बाद भाजपा जो हुड़दंग मचाये उस समय वे अकेली न पड़ जायें। कल्याण सिंह का भाजपा की ओर वापिस जाने के पीछे भी यही रहस्य है तथा बिना किसी बात के बाल ठाकरे बिग्रेड द्वारा मुम्बई में हुड़दंग शुरू कर देने के पीछे दूर तक सोची रणनीति नज़र आती है।
भाजपा इस मामले पर अकेली पड़ सकती है क्योंकि एन डी ए के सबसे बड़े सहयोगी जेडी(यू) और अकाली भी इस समय उनसे कन्नी काटना चाहेंगे।एन डी ए में भाजपा के सबसे बड़े संरक्षक ज़ार्ज़ तो अब शरद यादव और नीतिश की कृपा पर हैं। सपा के अमर सिंह को भी समझ में आ गया है अब कांग्रेस उन्हें मायावती को साथ लेकर फंसा सकती है और उनके इकलौते राज्य में भी अब उनका समर्थन नहीं रहा है इसलिये उन्होंने इस रिपोर्ट पर तुरंत कार्यवाही की मांग कर डाली। यदि कानून व्यवस्था के बहाने कांग्रेस कुछ कमजोरी दिखाती है तो समाजवादी पार्टी ज्यादा शोर मचा कर अपने मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने का प्रयास कर सकती है।
इस समय राज्य सरकारों को सुरक्षित रखना उसके लिये बहुत ज़रूरी हो गया है क्योंकि गुजरात के अनुभव से उसे समझ में आ गया है कि सरकार के होने पर बड़े से बड़ा अपराध भी दब सकता है। इसीलिये भाजपा ने हर तरह से झुक कर और सारे घोषित सिद्धांतों से समझौता करते हुये एक समर्पित ईमानदार महिला मंत्री को निकाल कर कर्नाटक में समझौता किया।
अब न केवल कल्याण सिंह् को ही रामलला याद आने लगे हैं अपितु बाल ठाकरे को भी मन्दिर् बनवाने की याद आने लगी है। उन्हें उम्मीद है कि धर्म भीरु जनता शायद फिर उनके झांसे में आ जाये। बहुत सम्भव है कि कुछ भावनात्मक मुद्दों को उछलने की बाढ ही आ जाये

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