गुरुवार, दिसंबर 16, 2010

पारदर्शी समय ---आर पार दिखता है


पारदर्शी समय
वीरेन्द्र जैन


हमारे समय को सूचना क्रान्ति के युग की तरह पहचाना जा रहा है। यह नई तकनीक के कारण ही सम्भव हो सका है। भूमण्डलीकरण का विचार इसी कारण विस्तार पा सका है क्योंकि अब पुरानी तरह की सीमाबन्दी और गोपनीयता सम्भव नहीं रह गयी है। अमेरिका के सैटेलाइट आज एशिया के देशों के बाजारों के साइनबोर्ड तक पढ सकते हैं।
आज अपने देश में ही सैकड़ों चैनलों और हजारों अखबारों के लाखों सम्वाददाता व कैमरामैन चौबीसों घन्टे किसी सामान्य असामान्य गतिविधि को कैमरे में कैद करने और उसे समाचार बना दुनिया भर में प्रसारित करने के लिए सक्रिय हैं। मोबाइलों में ही नहीं पैनों में भी कैमरे लगे हुये हैं और मोबाइल फोनों की संख्या पैंसठ करोड़ का आंकड़ा पार गयी है। इससे राजनीति का स्वरूप भी बदल रहा है। गत वर्षों में इन समाचार चैनलों के सम्वाददाताओं ने देश की एक सत्तारूढ पार्टी के अध्यक्ष को रक्षा सौदों के लिए सिफारिश करने हेतु नोटों की गिड्डियां दराज में डालते व डालरों में मांगते दिखा कर अपना पद छोड़ने के लिए व तत्कालीन रक्षामंत्री को त्यागपत्र देने के लिए को विवश कर दिया था। इन्हीं संवाददाताओं ने संसद सदस्यों को सवाल पूछने और सांसद निधि से धन आवंटन के लिए रिश्वत लेते दिखा कर पद छोड़ने को मजबूर कर स्वयं को लोकतंत्र में सचमुच चौथा पाया होने के प्रमाण दिये थे। एक सांसद कबूतरबाजी के लिये रंगे हाथ दबोचे गये थे। स्टिंग आपरेशनों में सैकड़ों भ्रष्टाचारी जनता के सामने लाये जा चुके हैं और अनेकों के पकड़े जाने की सम्भावनाएं पैदा की जा चुकी हैं। पुलिस के अधिकारियों को हत्या की सुपारी लेते और उसे कानूनी रूप देने की तरकीब स्पष्ट करते हुये कैमरों में दिखाया गया है। जेल के कैदियों को अवैध सुविधाएं पहुंचाने वाले डाक्टर भी कैमरों की कैद में आकर निलंबित हो चुके हैं। सेना में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को भी न्यूज चैनल दिखा ही चंके हैं। एक स्वयं सेवक के अंतरंग संबन्ध तो देश भर ने सीडी द्वारा देखे ही थे धर्म परिवर्तन के बहाने राजनीति करने वाले एक मंत्री तो जाम उठा कर पैसे को खुदा बताते और रिश्वत की गिड्डियां लेते देश भर में मीडिया के द्वारा देखे गये थे। देश के एक प्रभावशाली नेता की सीडी और टेलीफोन पर सौ घन्टों से अधिक की बातचीत के टेप भी चर्चित रहे हैं। उन टेपों को ट्रम्प कार्ड की तरह स्तेमाल करने के उद्देश्यवश उसी दल में विरोधी गुट के नेता लिये घूमते रहे। एक प्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी को नोट गिनने की मशीन बेचने वाले ने ही मशीन खरीदते समय वीडियो रिकार्डिंग करा के उनके प्रदेश के एक मंत्री को बेच दी थी, जो मुख्यमंत्री को ब्लेकमेल करता रहा।
आयकर विभाग वालों ने गत वर्ष में पिछले वर्ष से डेढ गुना अधिक राजस्व वसूली की है जिसमें सेवा कर की भी बड़ी राशि सम्मिलित है। आज सरकारों में बैठे लोग भले ही अपने स्वार्थों के कारण काला धन निकलवाने में विलंब कर रहे हों पर सच तो यह है कि आज के समय में सरकार चाहे तो काले सफेद सभी तरह के धन के प्रवाह को देख सकती है और उचित नियंत्रण कर सकती है। चाहे तो स्विस बैंकों में जमा धन के बारे में पता कर सकती है।
अब चुनाव आयोग पहले जैसा औपचारिक ढंग से काम निबटाने वाला संस्थान नहीं है अपितु वह मन और वचन दोनों से ही नियमों की घोषित भावनाओं के पालन हेतु भरसक प्रयत्न रत है। न्याय भी अब आगे बढ कर प्रकरणों को दुबारा खुलवा कर सुनवाई करवा रहा है और सरकारों पर सख्त टिप्पणियां कर रहा है। सरकारों को मजबूर होकर जनता को सूचना का अधिकार देना पड़ा है, जो अभी भले ही वांछित गति नहीं पकड़ पाया हो पर इरादा होने पर इस दौर में उसे देर नहीं लगेगी। इससे नौकरशाही में एक दहशत सी है, भले ही भ्रष्टाचार के नितप्रति उद्घाटनों से वह बड़ा हुआ महसूस हो रहा हो।
यह पारदर्शी समय है। जिन मोबाइल फोनों ने अपराधियों को अनेक सुविधायें दी हैं उन्हीं में दर्ज रिकार्ड के कारण अपराधियों और उनके सम्पर्कों तथा सन्देहास्पदों की पिछली गतिविधियों का पता चल जाता है। मंत्रालयों, बैंकों, एटीएमों, पेट्रोलपम्पों, प्रमुख मार्गों और रेलवे स्टेशनों पर कैमरे लगे हैं। अब इंटरनेट से सारी दुनिया के नक्शे ही नहीं सड़कें और बाजार भी देखे जा सकते हैं। दुनिया के अरबों लोगों के प्रोफाइल इंटरनेट पर उपलब्ध हैं जिसकी विभिन्न साइटों पर लोग प्रतिदिन अपने मनोभाव उगलते रहते हैं। यह खुलने का समय है और जो खुद नहीं भी खुलना चाहते उन्हें समय खोल रहा है। कार्यालयों में आने जाने और हाजिरी व छुट्टियों के हिसाब का काम कम्प्यूटर से होने लगा है। मोबाइल पर फील्ड के अधिकारियों की लोकेशन समझी जा सकती है। कम्प्यूटर और नेट इस बात का स्थायी रिकार्ड रखते हैं कि आपने कब कब कितने बजे कितने समय तक कौन सी साइट देखी या किस फाइल पर काम किया। आज दुनिया वालों के दिलों और दिमागों को भी पढे और समझे जाने की ओर तेजी से प्रगति हो रही है। विकीलीक्स ने जिन रहस्यों से पर्दा उठाया है उससे अमरीका समेत दुनिया भर के नेता और सरकारें हिल गयी हैं।
यह आश्चर्यजनक है कि इस पारदर्शी समय में भी हमारे देश के राजनीतिक नेता सरेआम नंगा झूठ बोलने से गुरेज नहीं करते। ढीठतापूर्वक झूठ बोलते हैं और उस झूठ को एक कुलीन भाषा में पिरोने के लिए जाने माने वकीलों को प्रवक्ता बनाते हैं। लाखों लोगों द्वारा देखे गये अपराध को भी भाषायी कौशल से छुपाने की कोशिश करते हैं। ये लोग धर्म ग्रन्थों की शपथ लेकर जैसा सच बोलते हैं वह ''अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो'' जैसा सच होता है।
अब हम जितनी जल्दी यह स्वीकार लें उतना ही अच्छा होगा कि यह समय नंगे यथार्थ का समय है तथा भविष्य में कुछ भी ढका मुँदा नहीं रह जाने वाला है। कोई नहीं जानता कि कौन सा कैमरा किसे शूट कर रहा है, कौन सा टेप किसकी आवाज रिकार्ड कर रहा है, किसके खातों की नकल किसके पास है और तो और अब नारको टैस्ट से भी सच उगलवाया जा सकता है। महापुरुषों ने सदियों से जिस सत्य को बोलने के लिए उपदेश दिये हैं पर फिर भी मानव जाति जिस पर अमल नहीं कर रही थी आज तकनीक उस पर अमल कराने के की ओर बढ रही है।

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल म.प्र.
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