घूंघट वाली महिला ब्लागर भाग -2
मेरे इस ब्लाग पर उम्मीद से अधिक टिप्पणियां हुयीं हैं। यह लगभग वैसा ही है जैसे कि मोटर साइकिल चलाते हुये किसी भी लड़के से अगर कोई छोटा बच्चा टकरा जाता है जिसमें गलती आम तौर पर बच्चे की बेध्यानी और उसके ट्रैफिक के प्रति सावधानियों का ज्ञान न होने की होती है पर फिर भी गलती हमेशा ही मोटरसाइकिल वाले की ही मानी जाती है। इसी तरह भीड़ में अगर कोई महिला किसी पुरूष पर धक्का मारने का आरोप लगाती है तो भले ही उसे भ्रम हुआ हो या उसका आरोप गलत हो पर भीड़ हमेशा ही उस पुरूष को ही आरोपी मानते हुये महिला की पक्षधरता करती है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि पहली स्तिथि में मोटर साइकिल वाले की वर्गीय स्तिथि के कारण प्रतिक्रिया उसके खिलाफ होती है तथा दूसरे मामले में लोग महिला की सहानिभूति जीतना चाहते हैं। ये दोनों ही स्तिथियां सत्य को नुकसान पहुँचाती हैं। मेरी पोस्ट के बारे में भी ऐसा ही हुआ है।
· इस पोस्ट पर विपरीत टिप्पणी करने वालों में नब्बे प्रतिशत पुरूष हैं जबकि बेहतर यह होता कि लवली कुमारी की तरह इतने प्रतिशत महिलाएं अपना पक्ष रखतीं।
· ऐसा लगता है कि लोगों ने पोस्ट को बिना पड़े ही अपने हाथ आजमाने शुरू कर दिये ताकि वे महिलाओं से सहानिभूति अर्जित करने में पहल पा सकें।
· पोस्ट में मेरी आपत्ति अपनी पहचान छुपाने वाली सभी महिलाओं से नहीं है। मैंने केवल उन महिलाओं की बात की है जो अपनी पोस्ट में या अपनी टिप्पणियों में बड़ी बड़ी क्रान्तिकारी बातें करती हैं किंतु अभी भी भीगी बिल्ली बनी अपनी पहचान को छुपाये रखना चाहती हैं। जो महिलाएं घूंघट को बड़ों के प्रति सम्मान या लाज को औरत का जेवर आदि समझती हैं उनके परदे के पीछे छुप कर बात करने से मुझे कोई आपत्ति नहीं है किंतु तस्लीमा नसरीन की परंपरा में झंडा उठाने का दम भरने वाली यदि बुरका पहिन कर आयेंगीं तो मुझे अटपटा लगता है और मैं उनकी कलम से उनके तर्क जानना चाह रहा था। दुर्भाग्य से वे तो नहीं बोलीं पर उनके चंपू बाहें चढा कर आ गये और कहने लगे कि क्यों वे महिलाओं को छेड़ता है। कुछ जो खुद भारतीय संस्कृति के पुरातन नशे में रहते हैं वे तो कहने लगे कि ये तो नशे में बहक गया है।
· मेरे एक टीचर मित्र थे जो उम्र में तो काफी बड़े थे पर बौद्धिक मित्रता मानते थे क्योंकि उन दिनों हम दोनों ही रजनीश को पढ रहे थे व उस समय उस छोटे कस्बे में उनसे रजनीश के कथनों पर मुग्ध होकर बात करने वाला कोई दूसरा नहीं था। वे कहते थे कि यह बहुत विचित्र बात है कि प्रेमिकाएं कहती हैं कि वे प्रेम में दिल दे रही हैं, जान दे सकती हैं, पर शादी से पहले शरीर से हाथ मत लगाना। ऐसी प्रमिकाओं के लिए वे कहते थे कि वे झूठी प्रेमिकाएं होती हैं। प्रेम में दिल और जान के आगे शरीर महत्वहीन है। जिसे आत्मा दी जा सकती है जो अमर है उसे नश्वर शरीर से हाथ नहीं लगाने दिया जा सकता है! ऐसी प्रमिका प्रेमिका नहीं हो सकती जो अपने प्रेमी पर इतना अविश्वास कर रही हो और जिसको विवाह का पाखंडी सामाजिक बंधन अधिक विश्वसनीय लगता हो क्योंकि वह कानूनी अधिकार दिलाता है। ऐसा प्रेम पति फांसने वाला प्रेम है। सच्चा प्रेमी तो वैसे भी प्रेम रस में इतना मगन रहता है कि उसको देह महत्वहीन ही लगती है। मीरा हजारों साल पहले हुये माने गये कृष्ण से प्रेम कर सकती हैं और अपने वैधानिक पति से कह सकती हैं कि जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
दरअसल महिलावादी क्रान्तिकारिता भी अपनी उम्र फोटो व पता छुपा कर नहीं की जा सकती। इसके लिए सिमान दि बाउवा तस्लीमा नसरीन या प्रभा खेतान का पूरा जीवन पढना ही नहीं समझना भी पड़ेगा। खेद है कि चौराहे पर ऐसे ही अवसरों की ताक में बैठे रहने वाले ठलुओं ने एक वैचारिक बहस को गलत पटरी पर उतार दिया।
बहुत बढ़िया बात कही आपने जब आदमी प्रेम में है तो उसे खुद का ख्याल ही नही रहता ये शरीर क्या है ..
जवाब देंहटाएंअगर ऐसा नही है तो समझो की पक्का यह पति फसानें वाला प्रेम है..बहुत मजेदार प्रसंग..बधाई
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जवाब देंहटाएंdekha ghunghat wale benaamiyon ka kamal
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमित्रो,
जवाब देंहटाएंदेखिये इस बेनामी व्यक्ति की भाषा और प्रतिक्रिया जो सामान्य स्तिथि में तब भी नहीं होती जब किसी पर व्यक्तिगत हमला किया गया होता पर मेरी पोस्टों से तो किसी व्यक्ति विशेष का क्या आहत होना
पर असल में पेंच यह है की इस व्यक्ति को भी उस सब से कुछ लेने देना नहीं है जिसके बहाने यह उत्तेजित करने का प्रयास वाली गाली गलोज कर रहा है. असल रहस्य कहीं और है और वह कल तक मुझे पता चल जायेगा . संभावना यह है की में लगातार जिस पोंगापंथ और साम्प्रदायिक राजनीति का विरोध कर रहा हूँ यह उनका भोंपू है जो गाली गलोज इस छद्म नाम से करता है. में पूछना चाहता हूँ की घुघती बासूती के ब्लॉग पर ४९ टिप्पणियां करने वाले लोग अब कहाँ हैं और उन्हें इस पर क्या कहना है . क्या ये उन्हें आपत्तिज़नक लगता है या नहीं? तालाश जारी है और ज़ल्दी ही पर्दा उठेगा