गुरुवार, सितंबर 12, 2024

श्रद्धांजलि कामरेड सीताराम येचुरी

 

श्रद्धांजलि कामरेड सीताराम येचुरी

वीरेन्द्र जैन

[ अध्यक्ष, म.प्र. जनवादी लेखक संघ ]


कामरेड येचुरी देश के ऐसे प्रमुख युवा नेताओं में से थे जिनकी प्रतिभा से देश की राजनीति का हर वर्ग प्रभावित था। वे अजातशत्रु थे। जे एन यू की छात्र राजनीति से प्रारम्भ करके येचुरी ने वहाँ ऐसी नींव डाली कि यह विश्वविद्यालय देश और दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल हो गया था। इस विश्वविद्यालय का हर कोना एक क्लासरूम बन गया था जहां चौबीसों घंटे हर विषय पर गहनतम विमर्श चलता रहता था और सामूहिक मंथन से जो प्रतिभाएं विकसित हुयी हैं उन्होंने हर क्षेत्र में नेतृत्वकारी व्यक्ति दिये हैं।

कामरेड येचुरी कम से कम नौ भाषाओं के जानकार थे और हिन्दी, अंग्रेजी, तेलगु, मलयालम. बंगला, उर्दू के साथ साथ अनेक विदेशी भाषाओं में धारा प्रवाह विचार व्यक्त कर सकने में सक्षम थे। आमतौर पर वामपंथी नेता सर्वाधिक शिक्षित और अध्ययन शील नेताओं में आते हैं किंतु ऐसे नेता कम ही मिलते हैं जो सरल हिन्दी या क्षेत्रीय भाषाओं में राजनीतिक विश्लेषण को आम मजदूर किसान तक पहुंचा सकें। यही कारण रहा कि वामपंथ को राजनीतिक चुनौती न मिलने के बाद भी वह पूरे भारत में उस वर्ग तक नहीं पहुंच सका जिसके साथ होने का वह दावा करता रहा है। येचुरी इसमें अपवाद थे। वे अपनी वक्तृत्व कला की क्षमता से देश भर के मजदूरों, किसानों, युवाओं, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रभावित करते थे। वे राज्यसभा के उन विरले सांसदों में रहे जिन्हें बिना टोके पूरे ध्यान से सुना जाता था और उनके कथन की गहराई को महसूस किया जाता था। विरोधी दल के प्रमुख नेता होते हुए भी उन्हें कभी उत्तेजित या क्रोधित मुद्रा में नहीं देखा गया। वे कठोर से कठोर बात भी अपने हँसमुख स्वभाव से कह जाते थे। जब देश में वी पी सिंह की सरकार रही हो या यूनाइटिड फ्रंट की सरकार रही हो जिसमें उनकी पार्टी प्रमुख सहयोगी पार्टी रही, उन्हें कभी सत्ता के शक्ति का उपयोग करते नहीं देखा गया।

जब यूनाइटिड फ्रंट सरकार में उन्हें बयान देने के लिए रोज रोज टीवी पर आना पड़ता था, उन्हीं दिनों हम लोगों ने मुलाकात होने पर उनसे मजाक मजाक में कहा कि कामरेड अब तो आपको देश भर में पहचाना जाने लगा है तो उन्होंने एक दिलचस्प घटना सुनायी। एक बार वे महाराष्ट्र के सचिव के साथ कार से रत्नागिरि से लौट रहे थे तो उन्होंने बताया कि रास्ते में एक ढाबा मिलता है जिसमें बहुत अच्छा सी फूड मिलता है। वे लोग उसमें पहुंच गये और मीनू देखा, देख कर अपनी अपनी जेबें टटोलीं तो पाया कि मीनू में उनके लोकप्रिय आइटम की जो दरें दर्शायी गयी थीं उन्हें चुकाने लायक पैसा तो दोनों के पास नहीं था। इसलिए उन्होंने अपनी जेब के अनुसार आर्डर किया और वह विशिष्ट आइटम खाने की तमन्ना शेष रह गयी। जब वे बिल चुकाने काउंटर पर गये तो मालिक ने हाथ जोड़ कर कहा कि आपका आना ही हमारे लिए गौरव की बात है, आपसे बिल कैसे ले सकते हैं। येचुरी जी बोले अगर पहले पता होता तो वह आइटम मंगा लेते जिसके लिए इस ढाबे पर रुके थे। उन दिनों डिजिटल मुद्रा का चलन प्रारम्भ नहीं हुआ था।

येचुरी जी देश की राजनीति में बड़ी जगह खाली कर गये हैं। उन्हें क्रांतिकारी सलाम के साथ श्रद्धांजलि।