गुरुवार, जुलाई 30, 2009

आगामी चंदाग्रहण से मुक्ति के उपाय

आगामी 'चन्दाग्रहण' के प्रभाव से मुक्ति के उपाय
वीरेन्द्र जैन
आजकल त्योहारों का मौसम गुन्डों का भी मौसम होता है विशेषरूप से उन गुन्डों का जो अपने परिवेश से धन वसूली के लिए धर्मान्धता और ईश्वरीय प्रकोप के आतंक का लाभ उठा कर जगह जगह झांकी सजाने के नाम पर अकूत धन उगाते हैं। ये धंधे विशेष रूप से उन बाजारों के आस पास ज्यादा पनपते हें जहाँ बड़े बड़े बाजार होते हें या जो उच्च आय वर्ग की रिहायशी कालोनियां होती हैं जिनमें जड़ों से उखड़े हुये लोग अकेलेपन से भयभीत रह कर प्रत्येक चन्दा वसूलक को कुछ दे दिला कर राहत की सांस लेना चाहता है।
ये लोग झांकी स्थापित करने से पहले किसी से सलाह नहीं लेते।
पदाधिकारी बनने के लिए कोई बैठक नहीं करते अपितु स्वयंभू पदाधिकारी बन जाते हैं।
आयोजन के बजट के बारे में कोई विर्मश नहीं करते
आयोजन के कार्यक्रम के बारे में चन्दादायकों से सलाह लेने की जरूरत नहीं महसूस करते
आयोजन स्थल के बारे में अपने आप फैसला लेते हैं जो आम तौर पर चलने वाली सड़क को घेर कर बनाया जाता है जिससे उस स्थान पर रहने या व्यापार करने वालों को ही तकलीफ पहुँचाता है
अपनी अपनी झांकियों की दुकानें सजाने के चक्कर में झांकियों के घनत्व का कोई ध्यान नहीं रखा जाता जिससे एक ही स्थल पर आस पास अनेक झांकियां सज जाती हैं। ऐसा खास तौर पर बाजारों में अधिक होता है जहॉं जनता से ज्यादा मुनाफा लेने वाले व्यापारी अधिक संख्या में होते हें और उन्हें सभी को चन्दा 'देना पड़ता है'।
चन्दा मांगने वालों में आम तौर पर सत्तारूढ राजनीतिक दल की युवा वाहिनियों के नाम पर काम करने वाले गुन्डे या बेरोजगार युवक एकत्रित हो जाते हैं जिसमें स्थानीय पार्षद या पार्षद प्रत्याशी रहे लोग विशेष सक्रियता दिखाते हैं जिनके दबाव में चन्दा वसूला जाता है। जिन सब्जी बेचने वालों तक को उनके धर्म से असम्बंधित होने पर भी आयोजन के लिए चन्दा देना पड़ता है वे अपने जिंसों के दाम बढ़ाने को विवश हो जाते हैं जिसका असर आम लोगों और विशेष रूप से ईमानदारी से मेहनत मजदूरी करने वालों पर पड़ता है।
अब सवाल उठता है कि इस समस्या से कैसे निबटा जा सकता है! तो इसका उत्तर यह है कि समस्या से सामूहिक रूप से ही निबटा जा सकता है तथा बाजारों में व्यापारी संघ और कालोनियों में सोसाइटियां, या मुहल्ला समितियां ही इस समस्या से मुक्ति दिला सकती हैं। कुछ प्रमुख कदम निम्न प्रकार के हो सकते हैं।
झांकियों का मौसम प्रारंभ होने और चन्दा वसूली से पहले व्यापारी संघ और मुहल्ला समितियां अपनी इस विषय पर बैठकें करें या इस दौरान होने वाली सामान्य बैठकों में इसे एक एजेन्डे के रूप में सम्मिलित करें।
बैठकों में तय करें कि झांकी कमेटी में व्यापारी संघ या मुहल्ला समितियों के पदाधिकारी को कमेटी का पदाधिकारी बनाना अनिवार्य होगा
चन्दे की राशि या तो संध/समिति स्वयं तय करेगी या स्वयं सामूहिक रूप से एकत्रित करके देगी
किसी भी दुकान या मकान वाले से चन्दे के लिए कोई दबाव नहीं डाला जायेगा व यह पूर्ण रूप से स्वैच्छिक होगा।
किसी भिन्न धार्मिक विश्वास वाले से चन्दा नहीं मांगा जायेगा पर यदि वह स्वयं ही आगे आकर चन्दा देगा तो स्वीकार कर लिया जायेगा।
आयोजन स्थल का निर्घारण करने में संघसमिति की सलाह सर्वोपरि होगी जिससे स्थान की सामान्य दैनिंदिन गति विधियों में कोई व्यवधान ना पड़े
आयोजन में होने वाले सांस्कृतिक आयोजनों पर संघ/समिति के सदस्य की अनुमति अनिवार्य होगी ताकि कोई अपसंस्कृति प्रवेश न कर सके। रात्रि दस बजे के बाद शोर नहीं किया जायेगा
लाउडस्पीकर की जगह स्पीकर लगाये जायेंगे तथा उनका स्वर इतना रखा जायेगा कि आयोजन स्थल से बाहर किसी को तकलीफ न पहुँचा सकें।
झांकी के लिए विधिवत बिजली कनेक्शन लिया जायेगा तथा स्थानीय पुलिस स्टेशन में उसकी सूचना दी जायेगी
कमेटी के किसी कार्यकर्ता द्वारा अनैतिक आचरण करने जैसे शराब आदि पीकर आने पर कठोर प्रतिबंध रहेगा व नहीं मानने पर कानूनी कार्यवाही की जा सकेगी
आयोजन के आय व्यय का हिसाब ठीक तरह रखा जायेगा व वह प्रत्येक चन्दा देने वाले को देखने के लिए प्रदशित/प्रकाशित किया जायेगा। वे आपसे चन्दा मांग सकते हें तो क्या आप उनसे हिसाब नहीं मांग सकते। बची हुयी राशि को अगले साल के लिए बैंक खाते में जमा किया जायेगा।
जिलों के जिलाधीशों और पुलिस अधीक्षकों को चाहिये कि उपरोक्त सुझावों से मिलते जुलते सुझावों को एकत्रित कर नगरों में झांकी स्थापित करने की इच्छुक कमेटियों की बैठक बुला कर निर्देशित करें जिससे झांकियों की संख्या नियंत्रित रहेगी नगरों में शांति रहेगी व सुरक्षा बढने के साथ साथ आम नागरिक चन्दे के आतंक से मुक्त रह सकेगा
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629

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