चोरियों पर चुप रहने की भाजपा की मजबूरी या चालाकी
वीरेन्द्र जैन
भाजपा टैक्स बचाने वाले व्यापारियों की प्रिय पार्टी रही है, और कहा जाता रहा है कि जब ऐसा कोई व्यापारी लुट जाता था या उस के यहाँ चोरी हो जाती तो उसकी मजबूरी होती थी कि वह लूटी गयी पूरी रकम की रिपोर्ट नहीं लिखा पाता था क्योंकि अगर वह ऐसा करता तो इनकम टैक्स वाले पूछते कि इतना पैसा कहाँ से आया जबकि तुम्हारे खाते तो इतनी रकम दिखा ही नहीं रहे हैं। लगता है व्यापारियों की प्रिय पार्टी का भी यही हाल है और वह --जैसा आया वैसा गया- की तर्ज़ पर चुप लगा कर बैठ जाने में ही अपना ज्यादा भला समझती है। ताज़ा घटना क्रम यह है कि जिस दिन नितिन गडकरी को भाजपा के नये अध्यक्ष के रूप में स्थापित किया गया उसी दिन उनके स्वागत समारोह के दौरान उनकी जेब से बटुआ चोरी चला गया। उस अवसर पर यह अनुभव् अकेले नये भाजपा अध्यक्ष को ही नहीं मिला अपितु उस दौरान अठारह लोगों की जेब से बटुये गायब हो गये और कई लोगों के मोबाइल और घड़ियां भी अंतर्ध्यान हो गयीं। यह इस बात का नमूना था कि भाजपा को कैसे लोगों का नेतृत्व करना है। पर पार्टी इस अवसर पर चुप लगा गई और दिल्ली सरकार की कानून व्यवस्था को कोसने की भी ज़रूरत नहीं समझी।
याद करने वाली बात तो यह है कि पिछले ही दिनों भाजपा के मुख्यालय की तिजोरी से बिना ताला टूटे या सैंध लगे कुछ राशि गायब हो गयी थी और यह रकम दो तीन सौ रुपयों की नहीं थी जो एक गरीब आदमी की महीने भर की पेंसन होती है अपितु यह रकम दो करोड़ साठ लाख रुपयों की थी। यह रकम जिस कक्ष में रखी तिजोरी से गायब हुयी थी वह कक्ष भाजपा अध्यक्ष के ठीक सामने वाला कक्ष है जहाँ पर ज़ेड श्रेणी सुरक्षा प्राप्त आडवानी जी का आना जाना लगा रहता था इसलिये उक्त स्थल को विशेष सुरक्षा प्राप्त होती है। रोचक बात यह रही कि भाजपा ने इस मामूली रकम के लिये पुलिस में रिपोर्ट लिखाने की ज़रूरत भी नहीं समझी थी। संगठन के प्रभारी महामंत्री राम लाल ने पत्रकारों द्वारा कुरदने पर बताया था कि जांच का काम एक प्राईवेट जासूस कम्पनी को दे दिया है। उस जांच का क्या हुआ यह किसी को पता नहीं है।
जब भाजपा सांसद के एल शर्मा का देहांत हुआ था तब भी उनकी एक महिला मित्र ने उनके घर में रखी एक अलमारी पर अपना दावा किया था जबकि भाजपा नेतृत्व का कहना था कि अलमारी किसी की हो पर पैसा पार्टी का है, और वह महिला दिवंगत के साथ अपनी मित्रता रही होने का गलत फायदा उठा रही है।
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री ने जब विदिशा में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का चिंतन शिविर आयोजित किया था जिसमें इतने वरिष्ठ नेता सम्मलित थे कि साधारण कार्यकर्ता को दूर दूर तक फटकने की भी अनुमति नहीं थी तब शिवराज सिंह की हीरे की अंगूठी गायब हो गयी थी जिसे वो किसी भरोसे के ज्योतिषी की सलाह पर पहिने हुये थे। मध्य प्रदेश में ही विधान सभा चुनाव से पूर्व मुख्य मंत्री ने साइकिल से सचिवालय जाने के नाम सुर्खियां बटोरने का काम किया था जिसके लिये नई साइकिलें मंगवाई गयीं थीं जो बाद में कहां गायब हो गयीं यह पता ही नहीं चला। मुख्यमंत्री ने जब दूसरी बार प्रदेश के मुख्य मंत्री की शपथ ली थी तब वह आयोजन खुले मैदान में किया था जिसके लिये पूरे प्रदेश से भीड़ जुटायी गयी थी। इस रैली में आये हुये लोगों की पचासों घड़ियां और मोबाइल गायब हो गये थे जबकि सारे ही भागीदार किसी न किसी भाजपा नेता के कोटे से आये हुये थे। मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री जब ए सी पंडाल में केन्द्र सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे तब उनके साथ बैठे हुये लोगों की मोटर-साइकिलें गायब हो गयी थीं। भोपाल और इन्दौर जैसे नगरों में आये दिन जंजीरें खींचे जाने की घटनायें हो रही हैं किंतु ना तो भाजपा वालों को कोई शिकायत हुयी और ना ही उन्होंने कोई आन्दोलन ही किया, जबकि राम सेतु के लिये वे लोगों का जीना हराम कर देते हैं।
पता नहीं यह भाजपा की मज़बूरी है या चालाकी है। हो सकता है कि नव नियुक्त अध्यक्ष कम से कम अपने बटुये की खातिर ही कुछ सुधारात्मक कदमों को तलाश सकें। समाचार यह भी है कि नये अध्यक्ष को पहली चुनावी सौगात में उनके अपने क्षेत्र में भाजपा की हार प्राप्त हुयी है जहाँ विधान परिषद के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के राजेन्द्र मुलाक निर्वाचित हुये हैं।
वीरेन्द्र जैन
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क्या बात है..?
जवाब देंहटाएंकहाँ से बटोर लाये इतनी खुफ़िया जानकारी.. जय हो।
ये मान्यता तो जन-जन में गहरे पैठ चुकी है कि भाजपा बनियों की पार्टी है.. मुझे लगता है कि इसी राह चलते रहे तो किसी की न रह पायेगी।
लोकतंत्र की सफलता के लिये भाजपा-कांग्रेस दोनों का मजबूत होना जरूरी है..
वर्ड वेरिफिकेशन हटा देते तो सहूलियत रहती..
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