दुष्कर्मी अपराधियों से कमतर नहीं है इनका अपराध
वीरेन्द्र जैन
मन्दसौर में एक सात वर्षीय बालिका के साथ
जो दुष्कर्म और दरिन्दगी हुयी वह पिछले कई वर्षों से घट रही घटनाओं की श्रंखला में
एक कड़ी और जोड़ती है। ऐसी घटनाओं के प्रति जन आक्रोश विकसित होना सामाजिक संवेदना
बढने की दिशा में शुभ संकेत माना जा सकता है और इस आक्रोश में अपराधियों को तुरंत चौराहे
पर फाँसी देने की माँग आवेश की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। इसी आक्रोश में पिछले
दिनों अनेक लोगों को बच्चा चोरी के आरोप में भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला है और यह
बात बाद में पता चली कि कई घटनाओं में मारे गये लोग बच्चा चोर नहीं थे। अचानक ही
बच्चा चोरी के आरोप में पीट पीट कर मार दिये जाने के घटनाएं कुछ ही समय के अंतराल
में झारखण्ड, असम, तामिलनाडु, और महाराष्ट्र में घटित हुयी हैं, इससे शंका पैदा
होती है कि कहीं यह हत्या का वैसा ही बहाना तो नहीं बन रहा जैसा कि गौकशी के नाम
पर या देशविरोधी नारे लगाये जाने की ओट में की जाने वाली हिंसक घटनाओं के लिए
बनाये जाते रहे हैं।
यह खतरनाक समय है। न्याय पर भरोसा कम हो
रहा है क्योंकि न केवल न्याय दिलाने वाली व्यवस्था ही ईमानदार नहीं है अपितु बमुश्किल
मिले न्याय में लगने वाली देर के कारण ऐसा लगता है कि घाव सूख जाने के बाद चोट का
उपचार हुआ। झूठ और षड़यंत्र के आधार पर की गयी हिंसा को भी उन सामाजिक संस्थाओं से
मदद मिल रही है जो सत्ता से जुड़ी हुयी हैं, जिस कारण सुविधाओं के लालच में समाचार
माध्यम भी पक्षपाती होते जा रहे हैं। कोबरा पोस्ट का स्टिंग आपरेशन इसका ज्वलंत
उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मन्दसौर में घटित दुष्कर्म की घटना जिस
समय घटी, उसी के आसपास पिछले वर्ष मन्दसौर में किसान आन्दोलन में मारे गये किसानों
की बरसी मनाने के लिए विपक्षी दल एकत्रित हुये थे और इसी वर्ष होने वाले विधानसभा
चुनावों की तैयारी में विपक्ष सक्रिय और एकजुट होने की तैयारी कर रहा था। इस आयोजन
में भाग न लेने देने के लिए सरकार ने किसानों पर हर तरह का दबाव बनाया था। इसी
दौरान हार्दिक पटेल की सक्रियता भी इस क्षेत्र में बढी थी। यह संयोग ही है कि
इन्हीं दिनों दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष ने भाजपा के लिए सोशल मीडिया पर काम करने
वाले साढे तीन सौ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के टिप्स दिये।
दुष्कर्म की इस घटना में दो युवा पकड़े गये
जिनका पिछला आचरण भी अच्छा नहीं बताया गया। उनकी पहचान किसी सीसी टीवी कैमरे की
रिकार्डिंग से हुयी जिसमें चेहरा तो नहीं पहचाना गया किंतु जूतों के ब्रांड से
पहचाना गया। वे दोनों लड़के मुसलमान थे। घटना के खिलाफ आन्दोलन शुरू हुआ, जलूस
निकलने लगे, मन्दसौर बन्द का आवाहन हुआ जो व्यापक रूप से सफल हुआ, इसमें सभी
वर्गों के लोगों ने भाग लिया। आम तौर पर ऐसे आन्दोलन सरकार के खिलाफ होते हैं
किंतु आन्दोलन आरोपियों के खिलाफ केन्द्रित कर दिया गया। दुष्कर्म और दरिन्दगी की
घटना से आक्रोशित लोगों ने आरोपियों को ही अपराधी मान कर उन्हें तत्काल चौराहे पर
फाँसी देने की मांग की और उनके पुतलों को जलाया जाना व फाँसी देने के प्रतीक रचे
गये। एबीपी के विशेष संवाददाता लिखते हैं कि हर थोड़ी देर में समाज के अलग अलग तबके
ज्ञापन देने आ रहे थे और एसपी कलैक्टर के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। वे एसपी मनोज
सिंह के हवाले से लिखते हैं कि शहर में तनाव का महौल है और कुछ लोग इस घटना की आड़
में महौल बिगाड़ कर समाजों के बीच बंटवारा कर लड़वाने की फिराक में हैं, और इसके लिए
रात में अलग अलग संगठनों के दफ्तरों में जाकर दबिश देनी पड़ती है।
मुस्लिम संगठनों ने भी न केवल घटना की
भर्त्सना की अपितु आन्दोलन में बराबरी से भाग लिया, अपराधियों को फाँसी की सजा
देने की मांग की अपितु कहा कि वे अपने कब्रिस्तान तक में उन्हें जगह नहीं देंगे।
दूसरी ओर इस घटना को साम्प्रदायिक रूप
देने के लिए वे लोग उतावले हो गये जिन्हें साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण से राजनीतिक लाभ
मिलता है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसमें अपनी पहचान छुपा कर कुछ भी सच झूठ
फैलाया जा सकता है और जब तक असली अपराधी तक पहुँचा जा सके तब तक बड़ा नुकसान हो
चुका होता है। पता नहीं कि क्यों हर जगह आधार कार्ड को अनिवार्य करने वाली सरकार
इस क्षेत्र में बेनामी लोगों के खाते बन्द करने के लिए कुछ भी नहीं कर रही। उल्लेखनीय
है कि वर्तमान सरकार के नेताओं पर ही सबसे पहले इसके दुरुपयोग के आरोप लगे थे और
अब तो यह बीमारी सर्व व्यापी हो चुकी है। इस घटना के बाद एक नये तरह का
साम्प्रदायिक राजनीतिकरण किया गया। ट्राल्स ने गैर भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि
उन्होंने सोशल मीडिया पर इस घटना के खिलाफ वैसा प्रतिरोध नहीं किया जैसा कि जम्मू के
कठुआ की घटना में किया था। उल्लेखनीय है कि उस घटना में शिकार और बाद में मार डाली
गयी लड़की मुस्लिम थी और इस घटना में रेप की शिकार पीड़िता हिन्दू थी। इस तरह से वे
एक ओर तो उस घटना का विरोध करने वालों को धार्मिक तुष्टीकरण करने वाला बता रहे थे
और इस घटना का विरोध न करने को हिन्दू विरोधी सिद्ध कर रहे थे। सवाल उठता है कि कठुआ
काण्ड में क्या बलात्कार और हत्या नहीं हुयी थी? क्या उसका विरोध करना गलत था?
क्या शांतिपूर्ण ढंग से अपना प्रतिरोध दर्ज करने और मृतक को श्रद्धांजलि देने के
लिए मोमबत्ती जलाना तुष्टीकरण है? दूसरी ओर आरोपियों के पक्ष में खुले आम एक
मंत्री और विधायक का जलूस में शामिल होना और सर्वाधिक निष्पक्ष और कर्मठ पुलिस
अधिकारियों को बुरा भला कहना उचित था? मन्दसौर में हुयी दरिन्दगी के विरोध में ऐसा
कौन है जो आरोपियों के पक्ष में खड़ा होगा या ऐसा कौन सा दल था जो विरोध में नहीं
उतरा? जो लोग समाज में साम्प्रदायिकता नहीं चाहते वे क्षणिक उत्तेजना से संचालित नहीं
होते क्योंकि साम्प्रदायिकों के हथकण्डों को समझना भी होता है। अगर आज सुबह मैंने
नहीं कहा कि सदा सच बोलो, तो उसका मतलब यह तो नहीं निकलता कि मैं झूठ बोलने का
समर्थन करता हूं।
उल्लेखनीय है कि अफजल गुरु और कसाव को न्यायिक
प्रक्रिया पूरी होने से पहले फाँसी देने की मांग कर के राजनीतिक लाभ के लिए कैसा
वातावरण बनाने की कोशिश की गयी थी? परोक्ष में यह भारत के मुसलमानों के प्रति
विषाक्त वातावरण बनाना था कि मुसलमान इन लोगों को बचाने की कोशिश करने वालों के
पक्ष में वोट करते हैं, इसीलिए तत्कालीन सरकार के लोग इन्हें फाँसी नहीं दे रहे
हैं। जबकि मुम्बई के मुसलमानों ने उन हमलावरों को अपने कब्रिस्तान में स्थान देने
से मना कर दिया था। मुम्बई के पुलिस प्रासीक्यूटर ने पद्मश्री मिलते समय बताया था
कि कसाव को बिरयानी खिलाने की बात मनगढंत थी, जिसके आधार पर एक बड़ा साम्प्रदायिक
राजनीतिक वातावरण बनाया गया था।
एक बार फिर से रेखांकित करना चाहता हूं कि
मन्दसौर सहित ऐसी सारी घटनाएं चाहे वे दिल्ली में घटी हों, जम्मू में घटी हों,
बिहार में घटी हों या मन्दसौर में घटी हों वे भयानक हैं और उनसे सम्बन्धित सभी अपराधियों
को कानून के अनुसार अधिकतम दण्ड शीघ्र से शीघ्र मिलना ही चाहिए। किंतु इन घटनाओं
के सहारे अपनी राजनीति के लिए साम्प्रदायिकता फैलाना ऐसा ही है जैसा कि उत्तराखण्ड
में भयानक भूस्खलन और बर्फीले तूफान से पीड़ित महिला तीर्थयात्रियों के हाथ काटने
वाले साधुवेषधारियों ने किया था। यह दुष्कर्म किसी तरह से भी उस मासूम बालिका के
साथ घटित दुष्कर्म से कम नहीं है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग, रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 09425674629
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