बैंकों में राइट आफ किये गये ऋण
वीरेन्द्र जैन
राइट
आफ के बारे में कुछ स्मरण हो आया। मैं कभी पंजाब नैशनल बैंक की एक ग्रमीण शाखा में
ब्रांच मैनेजर था। उसी समय NPA आया था, जिससे
खराब खातों में लगाये गये और वसूल ना हुए ब्याज को प्राफिट में शामिल करना रोक
दिया गया था और परिणामस्वरूप अनेक बैंकों ने उस वर्ष नुकसान दिखाया था। मेरी शाखा
में भी शासन द्वारा प्रायोजित [अव्यवहारिक]
योजनाओं में दिये गये सैकड़ों ऋण एनपीए में आ गये थे [ जो मुझ
से पहले पदस्थ अधिकारी द्वारा दिये गये थे।]
आदेश आया कि ऐसे सारे ऋणों को राइट आफ करने का प्रस्ताव भेजा जाये। आदेश का पालन किया गया और शाखा के ऋण बिल्कुल साफ सुथरे होने से बैलेंस शीट सुन्दर हो गयी। मैं ऋण की वसूली में बहुत रुचि रखता था। स्थानीय होने के अलावा मुझे अपनी ईमानदार छवि व समाचार पत्रों से जुड़े होने के कारण कुछ विशिष्ट स्थान प्राप्त था इसलिए मैं अपेक्षाकृत निर्भय और मुखर रूप में बदनाम भी था।
आमतौर पर राइट आफ हो चुके खातों में वसूली के प्रति किसी मैनेजर की रुचि नहीं होती है, क्योंकि जिस अधिकारी ने वे ऋण दिये होते हैं, वह जा चुका होता है। जब मैंने देखा कि उन ऋणों में जानबूझ कर चूक करने वालों के भी ऋण माफ हो जाने से, नये ऋणों की वसूली पर भी प्रभाव पड़ रहा है तो मैंने उन प्रकरणों में वसूली पर भी जोर दिया, जिसके परिणाम स्वरूप सक्षम खातों से अच्छी वसूली हुयी। चूंकि राइट आफ का सारा पैसा हैड आफिस से आया था इसलिए नियम यह था कि उन खातों में हुयी वसूली को हैड आफिस को वापिस किया जाये।
मैंने
एक मीटिंग में जोनल मैनेजर को सुझाव दिया कि राइट आफ खातों में जो वसूली होती है
उसे आय के एक विशेष मद जिसे ‘राइट आफ खातों में वसूली’ के नाम से शाखा के लाभ में
ही दर्शाया जाये। इसका लाभ यह होगा कि अपनी शाखा का लाभ बढाने के लिए शाखा
प्रबन्धक इन खातों में भी जहाँ सम्भव है, वसूली का प्रयास करेंगे। प्राथमिक रूप से
तो बड़े अधिकारी जूनियर अधिकारियों को नये विचार रखने का मौका नहीं देना चाहते
इसलिए उन्होंने सामने तो मेरे विचार को यह कह कर नकार दिया कि वाह, राइट आफ का
पैसा हैड आफिस दे और प्राफिट ब्रांच दिखाये। किंतु उसे उन्होंने कहीं नोट किया
होगा, परिणाम यह हुआ कि इस तरह का आदेश निकला और मेरी अपनी शाखा का लाभ भी इस मद
के कारण उस वर्ष दो लाख से अधिक बढ गया था।
वर्तमान सरकार द्वारा 68000 करोड़ से अधिक के ऋण राइट आफ करने की खबरों के बीच बीस वर्ष पुरानी यह घटना याद आ गयी।
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