शुक्रवार, जुलाई 23, 2010

भाजपा में मुख्यमंत्री चयन निष्कासन प्रणाली में धन की भूमिका


भाजपा में मुख्यमंत्री की चयन-निष्कासन प्रणाली में धन की भूमिका
वीरेन्द्र जैन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधान सभा में विपक्ष के हंगामे के बाद और दो दिन तक लगातार सदन स्थगन होते रहने के बाद अपने विवादास्पद बयान का भाष्य करना स्वीकार किया। समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों को गलत ठहराते हुए उन्होंने अपने कथन का आशय स्पष्ट करते हुये सन्दर्भित भाषण की सीडी भी जारी करवाई जिसके अनुसार वे उसमें कहते नजर आते हैं–
“प्रदेश में जिनके खिलाफ कार्यवाही होती है, वे परेशान होते हैं, वो बिलबिलाते हैं। यहाँ तक सोचते हैं कि यह मुख्यमंत्री न रहे। इसके लिए पैसे इकट्ठा करो, जोड़ तोड़ करो। इसको मत रहने दो। मैं सच बता रहा हूं, इस स्तर तक कोशिशें करते हैं। जो पैसे वाले लोग हैं, जो माफिया हैं वो इस स्तर तक जाने की कोशिश करते हैं। इन्दौर में हमने अभियान चलाया भू माफियाओं के खिलाफ। एक नहीं, , बड़े बड़े माफिया जेल में हैं, और हमने यही काम इस सीमा तक किया है कि आपको पता है कि अगर किसी ने गलत काम किया है तो चाहे भाजपा में ही क्यों न हो। एक उदाहरण मर्डर का सामने आया, एक बड़ा आदमी, जिसके बारे में आपको पता ही है कि वह् कहाँ है........यह कोई नहीं मानता था कि इन्दौर में भूमाफिया पर कार्यवाही होगी। कांग्रेस सरकार में ये सब फले फूले। आप सब जानते हैं कि ये किसी पार्टी के भी नहीं हैं। ये लोग तो सरकारी होते हैं। जिसकी आयी उसके संग। लोग सोचते थे कि हमारा कोई क्या करेगा। यह सोचते थे कि कि पैसे के प्रभाव से चीजें रोकी जा सकती हैं। लेकिन मैं आप सब लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि जब तक मैं हूं, गलत काम नहीं होने दूंगा। जो गलत काम करेंगे, चाहे वे जितने बडे हों, उनके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। ..................“ [सन्दर्भित अंश]
वैसे तो इस भाषण के आधार पर कोई भी समझ सकता है कि कि प्रदेश का भूमाफिया उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए प्रभाव बनाने हेतु पैसे एकत्रित कर रहे हैं, क्योंकि वे स्वयं ही कह रहे हैं कि भूमाफिया ऐसा करते हैं और उन पर कार्यवाही करके उन्होंने वैसा करने का आधार भी दिया है। वे जोर दे के कहते हैं कि – जब तक मैं हूं, मैं गलत काम नहीं होने दूंगा- अर्थात आसन हिलाया जा रहा है। उन्होंने अपने भाषण में जो इकलौता उदाहरण पेश किया वह इन्दौर के एक बड़े भूमाफिया पर हाथ डालने के दुस्साहस का था। इस भूमाफिया से सम्बन्धित गिरोह के बारे में पिछले महीने भर से अखबारों में यह छपता रहा है कि वह प्रदेश के एक सबसे दबंग और भ्रष्ट मंत्री का कृपा पात्र है तथा मुख्य मंत्रीजी उस मंत्री का बाल भी बांका नहीं कर पा रहे हैं। वह मंत्री और उसके गिरोह के अधिकारी अपने खिलाफ चल रही जाँचों में सहयोग ही नहीं कर रहे हैं और फाइलें गायब करा दे रहे हैं, बाद में जिनमें से कोई फाइल अगर मिलती है तो वो भी मुख्य मंत्री के दाहिने हाथ बने मंत्री के पास से मिलती है। मध्य प्रदेश के लोकायुक्त में भले ही संतोष हेगड़े जैसा साहस न हो, किंतु वे भी यदा कदा जाँच अधिकारियों को फटकार लगाने की औपचारिकता करते रहते हैं।
भू माफिया [या किसी भी दूसरे तरह के अपराधियों] पर कार्यवाही करना किसी भी मुख्यमंत्री के दायित्वों का हिस्सा है और ये काम करने के लिए भी अगर कोई मुख्य मंत्री जनता से श्रेय चाहता है, तो कल के दिन वो स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराने के लिए भी ऐसी ही अपेक्षा करने लगेगा। अगर प्रदेश के पिछले मुख्य मंत्रियों की तुलना में पहल लेने का सवाल है तो पिछले सात साल से भाजपा का ही शासन रहा है और पिछले दो मुख्य मंत्री भी भाजपा के ही रहे हैं इसलिए इस दायित्व के बहुत मामूली से काम को पूरा करने के आधार पर वे अपनी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्रियों की तुलना में स्वयं को ही कर्मठ दिखाना चाह रहे हैं। जिस इन्दौर के भू माफिया को हवालात में भेजने के आधार पर वे अपनी पीठ थपथपा रहे हैं उसी इन्दौर में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कई करोड़ का एक अवैध रूप से निर्मित मार्केट डायनामाइट से उड़वाने की कार्यवाही कर चुके हैं। किंतु मुख्य मंत्री को समझना चाहिए कि ऐसे इक्के दुक्के कार्यों से व्यवस्था नहीं बदलती जिसकी सच्चाई सामने दिख रही है, और पूरे प्रदेश की राजनीति में निर्भयता से माफिया ही छाये हुये हैं।
यदि मुख्यमंत्री की सूचना को विश्वसनीय मान कर चलें तो सवाल उठता है कि ये भूमाफिया मुख्यमंत्री को हटाने के लिए पैसा क्यों एकत्रित कर रहे हैं? विधि अनुसार मुख्यमंत्री चुने हुये विधायकों के बहुमत का समर्थन मिलने से बनता है, किंतु भाजपा द्वारा बहुमत प्राप्त राज्यों में मुख्य मंत्री हाई कमान चुन कर भेजता है जिस पर विधायकों को सहमति देना पड़ती है। शिवराज ऐसे ही मुख्यमंत्री हैं। 2003 के विधान सभा चुनावों में सांसद होते हुए भी हाईकमान के निर्देशानुसार उन्होंने दिग्विजय सिंह के खिलाफ विधान सभा चुनाव लड़ा था और उसमें वे पराजित हो गये थे। बाद में जब उमा भारती को स्तीफा देना पड़ा तब एक बार फिर दिल्ली से शिवराज सिंह को अरुण जैटली के साथ भेजा गया था ताकि उनकी ताजपोशी की जा सके, किंतु सचेत उमा भारती ने 97 विधायक अपने समर्थन में जोड़ रखे थे और इसी शर्त पर स्तीफा देने को तैयार थीं कि मुख्यमंत्री उनकी पसन्द का ही होगा। बाद में उन्होंने अपना राज पाट बाबू लाल गौर को सौंपा था जिन पर उन्हें ये भरोसा था कि समय आने पर वे उनके लिए कुर्सी छोड़ देंगे। वे तैयार भी थे किंतु पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व तो शिवराज को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहता था, इसलिए उन्हें सख्ती से ऐसे किसी भी आचरण और बयान के लिए रोक दिया गया था। बाद में उन्हें हटा कर विधान सभा के लिए जनादेश न पाने वाले शिवराज को मुख्यमंत्री की तरह थोप दिया गया व सुश्री उमा भारती यह चिल्लाती ही रह गयीं कि विधायकों के बहुमत की राय ली जाना चाहिए। मजबूरी में उन्हें ही पार्टी को छोड़ देना पड़ा और विधायक भी भावी सम्भावनाओं को देखते हुए शिवराज की जय जय कार करने लगे।बाद में विधानसभा का उप चुनाव वे मुख्यमंत्री के रूप में जीते व उसके लिए भी निर्वाचन आयोग को चुनाव की तिथियां बदलना पड़ी थीं व जिलाधीश को हटाना पड़ा था।
जब भाजपा में मुख्यमंत्री चुने जाने का कोई लोकतांत्रिक ढंग नहीं है तो तय है कि भूमाफिया द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए ही धन एकत्रित किया जा रहा होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री का मनोनयन तो वही करते हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री इतने आशंकित हैं कि गत दिनों उन्होंने उज्जैन की एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब तक जिऊंगा आपके [जनता के] लिए जिऊंगा और जरूरत पड़ी तो आपके लिए जान भी दे दूंगा। विडम्बना यह है कि मुख्यमंत्री मंत्रिमण्डल में मंत्री रखने के अपने विशेष अधिकार का उपयोग करते हुए वे भू माफिया को संरक्षण देने वाले मंत्री को तो हटा नहीं पा रहे हैं किंतु जीने मरने की बातें करके लोगों की सहानिभूति जरूर बटोर रहे हैं। एक सम्भावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि यह उमा भारती को पार्टी में प्रवेश देने से रोकने के लिए हाई कमान पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। रोचक यह है कि इस प्रकरण पर कैलाश विजयवर्गीय समेत मंत्रिपरिषद के अधिकांश सदस्य कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और वेट एंड वाच की नीति पर अमल कर रहे हैं, क्योंकि पता नहीं कल के दिन कौन ज्यादा धन जोड़ ले और मुख्यमंत्री पद खरीद ले। विधायक तो थाना खरीदने के लिए मुख्यमंत्री के सामने खुले आम आफर दे ही रहे हैं।

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें