पश्चिमी
उत्तर प्रदेश की हिंसा के पीछे की राजनीति
वीरेन्द्र जैन
वोटों की राजनीति में साम्प्रदायिक
ध्रुवीकरण हमेशा बहुसंख्यकों के नाम से बने दल को लाभ पहुँचाता है। यही कारण है कि
बहुसंख्यकों की पक्षधरता करने वाले राजनीतिक दल न केवल ऐसे अवसर तलाशते हैं अपितु
साम्प्रदायिक तनाव के बीज बोने की निरंतर कोशिश करते हैं। ऐसे दलों ने विधिवत
संगठन बना कर साम्प्रदायिकता को बढावा देने का अभियान चला रखा है। दिखावे के लिए
वे राष्ट्रवाद और समाजसेवा का चोगा पहिन लेते हैं क्योंकि अपने मूल स्वरूप की
बदसूरती से वे खुद भी परिचित होते हैं। अपने मूल स्वरूप में आने में उन्हें खुद भी
लज्जा आती है। आखिर क्या कारण है कि राष्ट्रवाद के नाम पर गठित संगठन जिसमें
विभिन्न पद और दर्जे होते हैं, अलग गणवेश होता है, जो संगठित होकर सुरक्षा की बात करता
है, वह अपने सदस्यों की कोई सूची न रखने का दावा करता है? क्या कारण है कि वह अपना
संगठन चलाने के लिए लोगों से जो आर्थिक सहयोग लेता है उसकी आवक का कोई हिसाब न
रखने के लिए उसे बन्द लिफाफों में लेता है। इस सहयोग में विभिन्न तरह के आर्थिक
अपराधियों, भ्रष्ट अफसरों, और विदेशी एजेंसियों की हिस्सेदारी भी सम्भव हो सकती है
और इस तरह से गलत सहयोग की ज़िम्मेवारियों से अनजान बन कर बचा जा सकता है। आखिर
क्यों ऐसे संगठन अलग से अपने आनुषांगिक संगठन गठित करते हैं और यह अलगाव काम के
बँटवारे के कारण नहीं अपितु समय समय पर इनके कामों की जिम्मेवारियों से मुकर जाने
के लिए होते हैं। यह ऐसे संगठनों की प्रवृत्ति ही होती है और यही कारण है कि आज से
अस्सी साल पहले भी सुप्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द ने अपने एक लेख में लिखा
था कि साप्रदायिकता हमेशा ही संस्कृति और राष्ट्रवाद का मुखौटा पहिन कर प्रकट होती
है। क्या यही कारण नहीं है कि जब जब देश में गहरा साम्प्रदायिक तनाव का वातावरण
बना तो ऐसे ही एक संगठन पर सबसे पहल्रे प्रतिबन्ध लगाना ही व्यवस्था को ठीक लगा
है, या सन्युक्त विपक्षी दल इनके साथ जुड़ाव के कारण ही भंग हुये हैं।
जब
दो व्यक्तियों और परिवारों के बीच कोई झगड़ा होता है तो वह समाज या पुलिस के
हस्तक्षेप से कुछ ही समय में नियंत्रण में आ जाता है पर जब ऐसा झगड़ा दो समुदायों
के बीच के झगड़े में बदल दिया जाता है तो पूरे क्षेत्र में दंगे होने लगते हैं और
समाज का तेज ध्रुवीकरण होता है जिसे चतुर राजनीतिज्ञ वोटों में बदल लेते हैं। 2014
के लोकसभा चुनावों में आये परिवर्तन की पृष्ठभूमि में जाकर इसे समझा जा सकता है। 2014
के लोकसभा चुनावों के पूर्व सामने आये विश्लेशणों में यह साफ कहा गया था कि भाजपा
का केन्द्र में सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश और विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर
प्रदेश के रास्ते जाता है। मुज़फ्फरनगर में दंगों की शुरुआत भले ही किसी घटना से
हुयी हो किंतु ऐसे किसी भी झगड़े को दो समुदायों के बीच के झगड़े में बदल देने का
काम बहुत पहले से शुरू हो गया था। दो समुदाय के युवाओं के बीच पनपने वाले प्रेम को
लव ज़ेहाद बताने का काम संघ परिवार के संगठन पहले ही शुरू कर चुके थे। जब किसी
क्षेत्र को सम्वेदनशील क्षेत्र में बदल दिया जाता है तो इस बात का अधिक महत्व नहीं
रह जाता कि चिनगारी किस की गलती से फूटी थी। इन दंगों के बारे में बहुत विस्तार से
लिखा जा चुका है पर याद रखने की बात यह है कि जिन व्यक्तियों ने नकली वीडियो को
नेट पर अपलोड कर के दंगों में आहुति दी उन्हें न केवल टिकिट दिया गया, अपितु
सार्वजनिक आमसभा में उनका अभिनन्दन भी किया गया। उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिकता
और जातिवाद दोनों ही चुनावों में गहरा असर डालते रहे हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश
में मुस्लिम मत निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि मुज़फ्फरनगर के
दंगों से न केवल जाट वोटों का ध्रुवीकरण ही हुआ अपितु मुस्लिम वोटों का भी
ध्रुवीकरण हुआ और समाजवादी पार्टी के वोटों की संख्या भी इसी कारण से बढी।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी को प्रदेश में 2009 के मुकाबले पचास लाख वोट अधिक
मिले हैं। चुनावों के दौरान भाजपा नेता अमित शाह द्वारा खुले आम बदला लेने का
आवाहन किया था।
[वोट हजार में]
क्षेत्र
|
भाजपा
2009
|
भाजपा
2014
|
सपा
2009
|
सपा
2014
|
बसपा
2009
|
बसपा
2014
|
आरलडी
2009
|
आरएलडी
2014
|
काँग्रेस
2009
|
काँग्रेस
2014
|
अलीगढ
|
126
|
514
|
176
|
226
|
192
|
227
|
--
|
---
|
165
|
062
|
आगरा
|
202
|
583
|
141
|
134
|
193
|
283
|
--
|
--
|
093
|
034
|
अमरोहा
|
----
|
528
|
191
|
370
|
170
|
162
|
282
|
009
|
016
|
----
|
बागपत
|
------
|
423
|
045
|
213
|
175
|
141
|
238
|
199
|
136
|
----
|
बिजनौर
|
------
|
486
|
051
|
281
|
216
|
230
|
|
024
|
085
|
-----
|
बुलन्द शहर
|
170
|
604
|
236
|
128
|
182
|
142
|
-----
|
059
|
100
|
-----
|
गौतम बुद्धनगर
|
229
|
599
|
118
|
319
|
245
|
198
|
------
|
------
|
116
|
012
|
गाज़िया बाद
|
359
|
758
|
----
|
106
|
180
|
173
|
-----
|
------
|
268
|
191
|
हाथरस
|
------
|
544
|
115
|
180
|
217
|
115
|
247
|
086
|
057
|
----
|
कैराना
|
260
|
565
|
124
|
329
|
283
|
160
|
-----
|
042
|
037
|
----
|
मथुरा
|
----
|
574
|
-----
|
036
|
210
|
173
|
379
|
243
|
085
|
----
|
मेरठ
|
232
|
532
|
183
|
211
|
184
|
300
|
-------
|
----
|
060
|
042
|
मोरादा बाद
|
251
|
485
|
027
|
397
|
147
|
160
|
------
|
----
|
073
|
012
|
मुज़फ्फर नगर
|
----
|
653
|
106
|
160
|
275
|
252
|
254
|
-----
|
073
|
012
|
नगीना
|
-----
|
367
|
234
|
275
|
175
|
245
|
-----
|
|
031
|
|
रामपुर
|
061
|
358
|
230
|
335
|
095
|
081
|
-----
|
----
|
199
|
156
|
सहारन पुर
|
099
|
472
|
269
|
052
|
354
|
253
|
------
|
----
|
062
|
407
|
सम्भल
|
231
|
360
|
193
|
355
|
207
|
252
|
------
|
----
|
156
|
041
|
[नोट- 2009 में
आरएलडी का चुनावी समझौता भाजपा के साथ था और 2014 में काँग्रेस के साथ था]
उत्तेजना
की उम्र लम्बी नहीं होती इसलिए उसे जल्दी से जल्दी भुना लेना होता है। स्मरणीय है
कि गुजरात में 2002 में जो हादसे हुए थे तब नरेन्द्र मोदी जल्दी से जल्दी चुनाव करा
लेना चाहते थे पर सामाजिक तनाव को देखते हुए तत्कालीन चुनाव आयुक्त लिंग्दोह ने
चुनावों की तिथि आगे बढा दी थी तब नरेन्द्र मोदी ने लगातार असंसदीय भाषा का प्रयोग
करते हुए उनकी आलोचना की थी। अब भी भाजपा का यह प्रयास है कि नवगठित सरकार के तेजी
से अलोकप्रिय होने से पहले उत्तरप्रदेश में चुनाव करा ले। काँठ में बिना बात के
तनाव की शुरुआत और सहारनपुर आदि में दंगों का प्रसार और उसमें भाजपा के
जनप्रतिनिधियों द्वारा बढावा देने के प्रयासों को गहराई से देखने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से ही खराब थी पर ताज़ा घटनाओं को
चयनित करके उत्तर प्रदेश के कमजोर नेतृत्व को लक्षित करना तथा दूसरे भाजपा शासित राज्यों
की वैसी ही गम्भीर घटनाओं पर ध्यान न देने से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि ये सारी कसरत
चुनावी तिकड़म का हिस्सा हैं।
आज
केन्द्र की सरकार कहने को तो बढती मँहगाई, भ्रष्टाचार के विरोध और विकास की
सम्भावनाओं के नाम पर सत्ता में आयी प्रचारित की गयी है पर उनके सत्तारूढ होने तक
पहुँचने के लिए बढत की नींव साम्प्रदायिक तनाव से जनित ध्रुवीकरण पर ही टिकी
है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
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