सोमवार, मई 02, 2011

आदमखोर बना कर दाल खिलाने की कोशिशें


म.प्र. में भाजपा का क्लास रूम
आदमखोर बना के दाल खिलाने की कोशिशें
वीरेन्द्र जैन
भोपाल में पिछले दिनों प्रदेश भाजपा के विधायकों और जिला अध्यक्षों के प्रशिक्षण की पाठशाला सम्पन्न हुयी जिसे पार्टी के प्रदेश प्रभारी संचार मंत्रालय घोटाले की प्रसिद्धि वाले अनंत कुमार ने सम्बोधित किया। इन दिनों भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ दिनों दिन गिरता जा रहा है जिससे ऊपर से नीचे तक हड़कम्प मचा हुआ है। इसका असर यह हुआ है कि पहले से ही अपने दोहरेपन के लिए मशहूर पार्टी को आम जनता और अपने पदाधिकारियों के बीच द्वन्द से निरंतर गुजरना पड़ता है। एक ओर वे कहते हैं कि हमारी पार्टी बहुत संगठित और अनुशासित है तो दूसरी ओर अपनों के बीच उन्हें कहना पड़ता है जिस अनुशासनहीनता और लालच की अति से विधायक और जिलाध्यक्ष गुजर रहे हैं उससे अगला चुनाव किसी तरह नहीं जीता जा सकता।
इस पार्टी ने प्रारम्भ से ही येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाने और जमीनों, भवनों पर वैध अवैध तरीकों से कब्जा जमाने का लक्ष्य सामने रखा है। ये ऐसी पार्टी रही है जो संविद शासन के दौर से प्रत्येक संविद शासन में शामिल रही है भले ही उसका रंग कुछ भी रहा हो। ऐसा करते समय इस पार्टी ने नैतिकता और राजनैतिक शुचिता के सारे मानकों को निरंतर ध्वस्त किया है। किसी भी जीत सकने वाले राजनेता को दलबदलवा कर अपनी पार्टी में शामिल करने और उसे टिकिट देने में इसने कभी भी गुरेज नहीं किया। यही कारण है कि आज इस पार्टी में विभिन्न पार्टियों से दलबदलकर आये विधायक सांसद सर्वाधिक हैं। जिस नेहरू-गान्धी परिवार को ये पानी पी पी कर कोसते रहते हैं उसी परिवार के दो सदस्यों को सांसद चुनवाकर ये अपनी ताकत बताते रहते हैं। इनको वैचारिक रूप से सर्वाधिक तार्किक आधार पर चुनौती देने वाले दिग्विजय सिंह के भाई, जो कांग्रेस के सांसद रहे हैं, को न केवल पार्टी में ही शामिल किया अपितु टिकिट देकर सांसद भी बनवाया। ऐसे सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं।
चुनाव जीतने के लिए जब दलबदल और प्रायोजित साम्प्रदायिक तनावों से भी सम्भावनाएं बनती नजर नहीं आतीं तो ये किसी भी क्षेत्र में लोकप्रिय लोगों के साथ सौदा करते हैं और उनकी लोकप्रियता को वोटों में बदलने के लिए उनकी सेवाएं प्राप्त करते हैं। ऐसे सर्वाधिक सांसद इसी पार्टी से हैं जो न तो सदन की कार्यवाही में सक्रिय भाग लेते हैं और ना ही संगठन के कामों में आते हैं। वे केवल चुनावी सभाओं और सदन में मतदान करने के लिए ही अनुबन्धित किये जाते हैं। यह जानना रोचक है कि जितने भी फिल्मी कलाकार या क्रिकेट खिलाड़ी इस पार्टी में सम्मलित हुए उन सबको टिकिट दिया गया और चुनाव लड़वाया गया। पिछले दिनों इस पार्टी के विधायक, मंत्री और जिला स्तर के पदाधिकारी अपने अपने क्षेत्र के असामाजिक तत्वों को पार्टी से जोड़ने में लगे हुये हैं। समझौता हो जाने पर जो जेल में बन्द हैं उनकी जमानतें करवायी जा रही हैं और जिनके प्रकरण चल रहे हैं उनके प्रकरणों को कमजोर कराया जा रहा है। पुलिस अधिकारी हतप्रभ रह जाते हैं जब वे देखते हैं कि मंत्री और विधायक ऐसे अपराधियों के गले में हाथ डाले घूम रहे हैं जिनकी तस्वीर थाने में लगी है। जिनसे समझौता नहीं हो पाता उनके प्रति कठोरतम कार्यवाही के लिए पुलिस पर दबाव बनाया जाता है। जिस एक अधिकारी के घर से इनकम टैक्स के छापे में तीन सौ करोड़ के काला धन मिला उसी का पिता प्रदेश में होने वाले हिन्दू संगम का अध्यक्ष बनाया गया था। तय है कि यह सब अनजाने में नहीं हुआ होगा। कोई सप्ताह ऐसा नहीं जाता जब प्रदेश में कहीं न कहीं कोई न कोई भ्रष्ट अधिकारी कर अपवंचन में छापे का शिकार न होता हो और उसकी तिजोरियां और बेड करोड़ों रुपयों की नकदी या जमा पालिसियां न उगलते हों। आज इस पार्टी का प्रत्येक सक्रिय कार्यकर्ता दलाली, अवैध ठेकेदारी, या सरकारी सप्लाई में लगा हुआ है। इन कार्यकर्ताओं के हाल के रहन सहन को पिछले रहन सहन से तौलने पर किसी अन्य सबूत की जरूरत नहीं पड़ती। अवैध खनन, शराब की दुकानों के ठेकों, आदि पर पार्टी का एकाधिकार सा हो गया है। सहकारिता की सारी संस्थाओं पर पार्टी ने अधिकार करने के लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं किया। पिछले पखवाड़े में ही एक संघ के कार्यकर्ता की जहर खाने से मौत हो गयी जो एक मंत्री के पीए को काम करवाने के लिए पैसे दे चुका था और काम न होने पर पैसे मांगने गया था। इस मृत्यु को आत्म हत्या बताया गया जबकि उसके घर वाले इसे हत्या बता रहे हैं।
जमीनों पर कब्जे, सरकार के मलाईदार संस्थानों पर अपने लोगों को बैठाने के बाद पुलिस थानों में केवल स्वामिभक्त पुलिस अधिकारियों को ही पदस्थ किया गया है जिससे निर्भय होकर प्रदेश को चरा जा रहा है। पार्टी के अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी पूर्व घोषणा कर के प्रदेश की राजधानी में हफ्ता न देने वाले ट्रांस्पोर्टर की हत्या कर देता है और फरार हो जाता है। जब बिना मेहनत के अकूत कमाई घर में आती है तो वह अपने साथ कई तरह की विकृत्तियां भी साथ लाती है, यही कारण है कि आज भाजपा के पदाधिकारियों के गिरते चरित्र के कारण ऊपर तक चिंता व्याप्त है। गत दिनों उक्त प्रदेश प्रभारी ने हिकारत से मंत्रियों को अय्याश और दारूखोर बतलाया था तो इस बार विधायकों और जिला अध्यक्षों से कहा कि अनैतिक कर्म आप लोग करते हो और भुगतना पार्टी को पड़ता है। स्मरणीय है कि इसी दौरान एक जिला अध्यक्ष की अश्लील सीडी सार्वजनिक हो गयी और एक जिला अध्यक्ष को घर में घुस कर मारपीट करने के आरोप में दो साल की सजा हो गयी। रोचक यह है कि प्रदेश प्रभारी की बात को किसी ने गम्भीरता से नहीं लिया क्योंकि एक तो सारे ही लोग उनके केन्द्रीय मंत्री होते हुए संचार मंत्रालय के कार्यकलापों से अवगत थे तो दूसरी ओर देश के शीर्षस्थ नेताओं के कारनामों के बारे में भी सुन रखा है। एक विधायक ने तो साफ कहा कि जब हम जनता के बीच में जाते हैं तो लोग कर्नाटक के येदुरप्पा कांड के बारे में पूछते हैं तो हमें जबाब देते नहीं बनता। एक ने तो पूछा कि जब राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष टूजी मामले में डीबी रियल्टी से 15 करोड़ लेना स्वीकारते हैं तो हम भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करें। किस्सा कोताह यह कि जब पूरी भरती ही मीठे मीठे सपने दिखा कर की गयी हो और दाढ से खून लगवा दिया गया हो तब दाल रोटी खाने की सलाह को कौन मानेगा!
अब इसे स्थिति की बिडम्बना ही कहेंगे कि इस प्रशिक्षण के तुरंत बाद ही एक जिले के भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ पार्टी की एक महिला पदाधिकारी के पति ने थाने में शिकायत दर्ज करायी कि उसकी पत्नी को जिलाध्यक्ष ने गायब कर दिया है। अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार उस महिला के पति की पीड़ा को एक मंत्री समझ रहे हैं और वे उसे उसकी पत्नी वापिस दिलाने के लिए हनुमत प्रयास कर रहे हैं क्योंकि उन्हें जिले में अपनी पसन्द का जिलाध्यक्ष बैठाने की जल्दी है। राम भक्त पार्टी में ऐसी रामलीलाएं पूरे प्रदेश में हो रही हैं।

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

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