रामदेव के बयानों के भूसे में सत्य की तलाश
वीरेन्द्र जैन
रामकिशन यादव ने बाबा रामदेव बनते ही अपने बाल बढाये, भगवा कपड़े पहने और माथे पर तिलक लगाने लगे। इस भेषभूषा को एक सन्यासी की भेषभूषा माना जाता है, तथा हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले इसी भेषभूषा के कारण उस व्यक्ति को सत्य अहिंसा और सर्वे भवंतु सुखिना की कामना करने वाला मानते हैं। इस तरह उन्होंने हजारों वर्ष पूर्व के पतंजलि योग को रंगीन टीवी रखने वाले मध्यम वर्ग के बीच पहुँचाया और उनका ध्यान आकर्षित किया। उनका यह अभियान उस दौर में प्रारम्भ हुआ जब नये नये चौबीस घंटे वाले चैनल अपने प्रसार की तेज दौड़ में थे और नया नया दृष्य मीडिया अपना स्थान बना रहा था। अचानक मिली इस लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्होंने आशाराम बापू आदि की तरह आयुर्वेदिक दवाइयों की बिक्री भी प्रारम्भ की जो एक सस्ती और प्राचीन देशी पद्धति होने के कारण किसी भगवा भेषधारी से जुड़ कर धार्मिक सी महसूस होती है। योग से लेकर आयुर्वेद तक रामदेव के पास कुछ भी मौलिक नहीं था। उन्होंने राजीव दीक्षित आदि के सहयोग से आर्यसमाज की तरह के सुधारवादी लेख भी लिखे, और समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाये, जो नवविकसित मध्यम वर्ग को प्रभावित करते थे। उनके पास अगर कुछ मौलिक है तो वह है उनकी मार्केटिंग की क्षमता और उसके लिए उचित समय का चुनाव।
राजनीति में आने के लिए भी उन्होंने जो समय और मुद्दा चुना वह बहुत ही उपयुक्त था तथा यदि अन्ना हजारे जैसे व्यक्ति सामने नहीं आते तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जनभावनाओं का नेतृत्व हथियाने में वे सफल हो जाते। खादीधारी अन्ना के आगे निकल जाने से वे देर तक अन्ना हजारे का साथ नहीं दे सके और उनके सहयोगी से प्रतियोगी होने में उन्होंने देर नहीं की तथा भाजपा से तुरंत ही सहयोग का हाथ बढा दिया।
अपराध शास्त्र में बताया गया है कि कोई व्यक्ति कितना भी बनावटी क्यों न हो किंतु जब भी अचानक घटी कोई घटना उसे हतप्रभ कर देती है तो उसकी सहज प्रतिक्रिया से उसके व्यक्तित्व की असलियत सामने आ जाती है। गत 4 जून 2011 को आधी रात के दौरान जब पुलिस ने छापा मार कर उन्हें गिरफ्तार किया और वहाँ एकत्रित भीड़ को खदेड़ा तब रामदेवजी ने जो कुछ किया उससे उनकी सोच, भाषा, और आत्मविश्वास की दशा के साथ भाजपा और संघ परिवार की भाषा का साफ संकेत मिलता है। गत 5 जून को पत्रकारों से उन्होंने कहा-
- मेरी जान को इस समय केन्द्र सरकार से खतरा है। यदि मुझे कुछ होता है तो इसके लिए सोनिया गान्धी और कांग्रेस जिम्मेवार होगी। [सारे आरोपों को सोनिया गान्धी पर लगाने की संघ परिवार की नीति]
- मुझ पर और मेरे समर्थकों पर हमला सोनिया गान्धी और उनके सिपहसालारों ने कराया। उन्हें देश की जनता से प्यार नहीं है। [उपरोक्त]
- पुलिस ने मेरे साफे से मेरा गला घोंट कर मारने की कोशिश की थी। पुलिस ने बेदर्दी से मेरे हाथ पैर पकड़े और पुलिस की जीप में डाल दिया, जिससे मेरी गरदन में चोट आयी। [हत्यारी पुलिस कमजोर सिद्ध हुयी]
- मैं दो घंटे तक मंच के नीचे महिलाओं के बीच छुपा रहा, और देखा कि पुलिस ने कई राउंड गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े, निहत्थे लोगों को बेदर्दी से मारा पीटा, जिनमें से सौ से अधिक लोग घायल हैं और कई की हालत गम्भीर हैं। मैं आंखों पर पट्टी बांध कर बैठा रहा [पुलिस को इसका हिसाब देना पड़ता है कि कितने राउंड गोलियां चलायीं। पर महिलाओं के बीच आंखों पर पट्टी बाँधे छुपे बाबा ने देख और गिन लिया कि सौ से ज्यादा लोग घायल हैं और कई गम्भीर हैं]
- पुलिस वाले राक्षसी प्रवृत्ति पर उतारू थे, उनका मकसद मुझे कुचल कर मारने का था।[ एक ही प्रैस कांफ्रेंस में पुलिस द्वारा दूसरी तरह से मारने की कोशिश का आरोप ]
- मेरे साथी बालकृष्ण ने चिट्ठी पर दस्तखत दबाव में किये थे। यदि वे दस्तखत नहीं करते तो केन्द्र सरकार उनके लाखों समर्थकों की लाशें बिछवा देती। [ पर बाद में मंच पर आकर न तो दबाव महसूस किया और ना ही उन्होंने अनशन स्थगित किया, न इसका खुलासा किया]
- पुलिस से कुचलवा कर मारने की केन्द्र की साजिश थी। [उसी प्रैस कांफ्रेंस में, दिल्ली राज्य पुलिस की जगह केन्द्रीय सरकार ने ले ली]
- यदि मेरा और चारों मंत्रियों का नार्को टेस्ट करवाया जाये तो सच का पता चल जायेगा। [सुझाव तो अच्छा था, पर पता नहीं कि वे इस मांग पर टिके रहते या येदुरप्पा की तरह शपथ लेने से मुकर जाते, अगर यह मांग मानी जाती तो यह टेस्ट बाबा के बारे में और भी कुछ जानकारियां जनता के सामने ला देता, पर केन्द्रीय मंत्रियों की गोपनीयता के शपथ का क्या होता?]
[जनसत्ता, 6 जून2011 की रिपोर्ट से]
इसके अलावा भी बौखलाये बाबा ने घटना के पूर्व और पश्चात जो बयान दिये वे भी ध्यान देने लायक हैं।
· कभी उन्होंने उत्तराखण्ड सरकार से कहा था कि स्वास्थ और पेय पदार्थों से जुड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का भंडाफोड़ करने के कारण उन्हें अपने विरोधियों से हमले की आशंका है, इसलिए उन्हें ज़ेड श्रेणी सुरक्षा दी जानी चाहिए।[बाद में उन्होंने खतरे का ड्रामा भी रचा पर पकड़े गये पात्र ने सच बयान कर दिया]
· लखनऊ\ बाबा रामदेव ने दावा किया कि करोड़ों दलित उनके अनुयायी हैं और अगर वे बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे तो सब उनका साथ देंगे।
· मैं जल्द ही अपनी पार्टी बनाउंगा जिसका नाम भारत स्वाभिमान पार्टी होगा। अगले लोकसभा चुनावों में मेरी पार्टी सभी 543 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
· नई दिल्ली\ बाबा रामदेव ने कहा कि वे राष्ट्रीय सवयं सेवक संघ को राष्ट्र द्रोही संगठन नहीं मानते और अपने आन्दोलन में उसका साथ लेने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
· जून के बाद देश की राजनीति में बड़े बदलाव की सम्भावना है। देश में आर्थिक सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है।
· नई दिल्ली 28 फरबरी 2011\ बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार में लिप्त केन्द्र सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों को सड़क पर उतरने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारतमाता के एक सेवक को ब्लडी इंडियन और कुत्ता कहने वाले को संसद में बिठाया जाता है और बाबा से हिसाब मांगा जाता है।
· हरिद्वार 12 अप्रैल 2011- बाबा रामदेव ने अपनी सन्यास दीक्षा की सोलहवीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि उनके हाथों में हथकड़ियां, और पैरों में बेड़ियां डालने की तैयारी की जा रही है। जो ताकतें यह साजिश रच रही हैं उनमें उद्योग जगत, भ्रष्ट राजनेता व अफसरशाही शामिल हैं, इनका खुलासा वे वक्त आने पर करेंगे। अपने खुद के उद्योगपति होने के जबाब में उन्होने कहा कि आर्थिक समृद्धि होना, दरिद्रता दूर करना कोई उद्योगपति बनना नहीं है, अर्थ से समर्थता आती है।
· नई दिल्ली 26 जून 2011\ मुझे गीदड़ की मौत नहीं मरना था। मुझे केन्द्र की कठपुतली बनी पुलिस के हाथों नहीं मरना था इसलिए में वहाँ से निकल गया। मुझ से मुरारी बापू और श्री श्री रवि शंकर सहित अखाड़ों के संतों ने अनुरोध किया कि था, इसलिए मैंने अनशन तोड़ा। मैंने अनशन इसलिए नहीं तोड़ा कि प्राण संकट में थे। जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायेगा हम उसी के साथ खड़े होंगे।
· हरिद्वार 1 जुलाई 2011\ रामदेव ने आरोप लगाया है जहर का इंजेक्शन देकर मरवाये गये स्वामी नित्यानन्द की तरह ही उनकी भी हत्या की गहरी साजिश रची गयी थी। पर वे निगमानन्द की तरह नहीं मरना चाहते थे। दिल्ली पुलिस की यह साजिश थी कि उन्हें मार कर यह कह दिया जाए कि वे भीड़ की भगदड़ में कुचल कर मर गये। उन्होंने दिल्ली पुलिस के अफसरों से तीन बार कहा कि वे उन्हें गिरफ्तार करें। [ शायद बाबा महिला भेष में गिरफ्तार होना चाहते होंगे तभी उन्होंने किसी महिला के कपड़े पहिन लिए थे]
यदि सुदर्शन की कहानी ‘हार की जीत’ के सन्देश को याद किया जाये तो ऐसे बाबाओं की वजह से भविष्य में लोग बाबाओं पर भरोसा करना छोड़ सकते हैं। बाबा समुदाय को ध्यान देना चाहिए।
वीरेन्द्र जैन
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कोई अन्तर नहीं कांग्रेस व राम यादव में
जवाब देंहटाएंवीरेंद्र जैन जी क्या बुरा किया है बाबा रामदेव ने सच की बात करके और आपको क्या लगता है की वो जो मुददों पर बात कर रहे हैं उन सबसे देश को फायदा नहीं होने वाला है ? आप भी.....क्या कहूँ अब धन्य हैं ऐसे लेखक इस हिन्दुस्तान के ...
जवाब देंहटाएंgandi parivar ka bhi khulasa kre ....
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