रविवार, अप्रैल 15, 2012

म.प्र. भाजपा - प्र्देश कार्यसमिति की बैठक में उमा भारती की अनुपस्थिति


म.प्र. भाजपा
प्रदेश कार्यसमिति की बुन्देलखण्ड में बैठक और उमा भारती की अनुपस्थिति
वीरेन्द्र जैन
      मध्यप्रदेश में तीसरी बार सरकार बनाने का सपना देखने वाली भाजपा ने अपनी कार्यसमिति की बैठक, अयोध्या के बाद रामलला का दूसरा स्थान माने जाने वाले ओरछा में की और इस बैठक में भाजपा को बुन्देलखण्ड में जगह दिलाने वाली उमा भारती को झांकने भी नहीं दिया गया। उल्लेखनीय है कि  मध्यप्रदेश की सरकार उमा भारती को कश्मीरी पंडितों की तरह पहले ही प्रदेश निकाला दिला कर गदगद थी और उसके बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उन्हें चरखारी से टिकिट दिला कर जिताने में चौहान सरकार ने सारी ताकत झोंक दी थी। जिन शिवराज सिंह चौहान पर सुश्री भारती उनकी हत्या कराने का आरोप लगा चुकी थीं, उन्हीं उमा भारती के साथ पहला सार्वजनिक मंच चरखारी में ही साझा किया और भरपूर प्रचार किया। स्मरणीय है कि दिल्ली में हुयी उनकी वापिसी के समय न तो प्रदेश भाजपा का कोई नेता उपस्थित था और ना ही प्रदेश में उनकी वापिसी पर कोई स्वागत समारोह ही किया गया था। उनके विधायकों तक को विधायक दल में सम्मलित करने में महीनों की देर हुयी। नितिन गडकरी को भी जब समझ में आ गया था कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार नहीं बनाने जा रही तो उन्होंने उदारता दिखाते हुए जीतने की दशा में उमा भारती को मुख्यमंत्री पद देने की घोषणा कर दी थी ताकि मतदाता भ्रम में पढ कर उन्हें जिता दे। बिडम्बना यह रही कि जिस मध्य प्रदेश में 2003 में उन्होंने पूरा बहुमत पाया था व कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद वे बहुमत विधायकों का समर्थन पाकर लगातार इस बात के लिए चीखती चिल्लाती रहीं कि मुख्यमंत्री का फैसला लोकतांत्रिक ढंग से बहुमत विधायकों के आधार पर ही होना चाहिए पर उनकी पुकार अरण्यरोदन होकर रह गयी थी। उन्हीं उमा भारती को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में हार सुनिश्चित मान लेने के बाद मुख्यमंत्री पद प्रत्याशी का झुनझुना पकड़ा दिया था। ऐसा करके सभी कुटिलता से मुस्करा रहे थे, इसलिए ये घोषणा निर्विरोध रही। भाजपा नेताओं का यह सम्मलित प्रयास रंग लाया, उमा भारती चरखारी से चुनाव जीत गयीं, जिससे शिवराज सिंह ने माना कि उनका काँटा निकाल दिया गया है। अब वे इस प्रतीक्षा में मौन साधे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री होने व घोषित मुख्यमंत्री पद प्रत्याशीके आधार पर उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा में पार्टी के नेता का पद मिल जाये, पर यह सम्भव नहीं दिखता। इस तरह अब वे घर की हैं न घाट की।
      पवित्र नगरी घोषित ओरछा में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक रखने के पीछे रामलला से पुनर्जुड़ाव का विचार भर नहीं रहा, अपितु उमा भारती के बाद उनका बुन्देलखण्ड में नेता विहीन हो जाना भी है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए चुनावों से संकेत मिलता है कि अलग बुन्देलखण्ड राज्य का विरोध करने के बाद इस क्षेत्र में उन्होंने अपनी लोकप्रियता तेजी से खोयी है। वे फायर ब्रांड कहलाने वाली अतिमुखर उमा भारती की भौतिक उपस्थिति तो नहीं चाहते थे पर उनके प्रभाव का स्तेमाल जरूर कर लेना चाहते थे सो उन्होंने शिवराज सिंह के साथ उमाभारती को पोस्टर में स्थान देने की कृपा जरूर की। स्मरणीय है कि इस प्रदेश सरकार के पितृ पुरुष सुन्दरलाल पटवा ने उमा भारती की आलोचना त्रिया चरित्र कह के की थी, जो अंततः पूरे महिला वर्ग की आलोचना थी।
      भाजपा के चेहरा चाल चरित्र की कहानियाँ तो आज देश भर में ‘सत्य-कथाओं’ को पीछे छोड़ रही हैं, पर इस आयोजन के दौरान ही ओरछा के जिले टीकमगढ नगर पलिका की एक भाजपा पार्षद रानी सोनी ने नगर पालिका और भारतीय जनता युवा मोर्चे के अध्यक्ष राकेश गिरि गोस्वामी पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके वार्ड में विकास कराने की माँग के बदले में गलत इरादे से साथ आने की शर्त रखते हैं। रानी सोनी उमा भारती की बड़ी प्रशंसक रही हैं। जब उसकी बात नहीं सुनी गयी तो उसने प्रैस कांफ्रेंस के दौरान चीख चीख कर गुहार की व  न्याय न मिलने की स्थिति में आत्महत्या करने की धमकी दी। भाजपा का संकट यह है कि अगर उसने चरित्र के आधार पर कार्यवाही करने की कोशिश की तो फिर पूरी पार्टी में इक्का दुक्का युवक ही बचेंगे। 1 नवम्बर 2011 से लेकर 29 फरबरी 2012 के बीच 120 दिन में ही प्रदेश में 103 बलात्कार के मामले प्रकाश में आये हैं और शायद ही कोई ऐसा मामला रहा हो जहाँ किसी भाजपा नेता ने आरोपी की सिफारिश में फोन न किया हो। शहला मसूद कांड में उभर कर आये भाजपा के नेतओं को लोकसभा में भाजपा की नेता सुषमा स्वराज सीबीआई जाँच से पहले ही क्लीन चिट दे चुकी हैं जबकि इसमें स्थानीय विधायक ही नहीं राष्ट्रीय नेता भी सन्देह के घेरे में हैं। अगर मामला स्थानीय पुलिस के पास रहता तो अब तक संजय जोशी कांड की तरह आरोपियों को क्लीन चिट मिल ही चुकी होती। मालवा क्षेत्र की संघ की दो महिला कार्यकर्ता तो स्वयं सेवकों द्वारा दैहिक शोषण की शिकायत भागवत से करने के बाद अब न्याय की उम्मीद खो चुकी हैं। दर्जनों मंत्रियों और मन्दसौर के जिला अध्यक्ष आदि से लेकर स्थानीय स्तर के नेताओं की सैकड़ों कहानियाँ जनता की जुबान पर हैं।
      कार्यसमिति में पधारे प्रादेशिक और राष्ट्रीय नेताओं की उपस्थिति के कारण बड़ी संख्या में संवाददाता वहाँ मौजूद थे, पर उनसे बेपरवाह भगवा तौलियाधारी भाजपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने देशी विदेशी मदिरा की दुकानों की अच्छी बिक्री करवाई। ओरछा के पाँच होटलों के पास बार लाइसेंस हैं और ये सभी भाजपा नेताओं से भरे रहे। इस डिजिटल युग में प्रत्येक गतिविधि रिकार्ड होती रहती है क्योंकि सुरक्षा के नाम पर जगह जगह डिजिटल कैमरे लगे होते हैं। ओरछा के पास पत्थरों की बहुतायत है इसलिए यहाँ पत्थर से गिट्टी तोड़ने वाले क्रेशर बहुतायत में हैं जो सीमित लाइसेंस से कई गुना पत्थर निकालने के रूप में खनिज माफियाओं की गिरफ्त में है। इन माफियाओं ने बदले में समुचित लक्जरी वाहन समेत सभी सुख साधन उपलब्ध कराये हुए थे। जिस गाँव में कभी राहुल गान्धी ने रोटी खायी थी और रात बितायी थी उसी में भाजपा अध्यक्ष ने भी भोजन किया। परा उन्होंने  किसी दलित के घर की रोटी नहीं खायी अपितु ग्वालियर से बुलवाये गये हलवाई द्वारा बनायी गयी रसोई से भोजन किया जिसमें  तरह तरह के लजीज व्यंजन थे।
      भाजपा के प्रदेश महामंत्री की प्रैस कांफ्रेंस में तेरह बार बिजली गुल हुयी और जिसने सरकार के प्रबन्धन की स्थिति बता दी। वैसे तो पूरे कार्यक्रम के दौरान जनरेटर लगे थे जिन्होंने एयर कंडीशंड पंडाल में कोई तकलीफ नहीं होने दी, पर बिजली का आना जाना तो पता चलता ही रहा। ऐसे संकेत बार मिल रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान से मुख्यमंत्री पद छूट रहा है। गत दिनों एक समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित  महिलाओं पर केन्द्रित एक पत्रिका के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री का पद तो आना जाना है पर मैं बेटियों को बचाने के लिए जिन्दगी भर काम करता रहूंगा। कार्यसमिति की बैठक के समाप्त होने वाले दिन मुख्यमंत्री देर रात में संघ के भोपाल मुख्यालय समिधा में गये और विशेष चर्चा में भाग लिया। स्मरणीय है कि चुनाव के लिए भाजपा ने दिन गिनना शुरू कर दिया है और छवि सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत इसी दिन राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने प्रदेश नेतृत्व को विवादस्पद मंत्रियों, विधायकों के स्थान पर साफ सुथरी छवि वालों को जगह देने देने की घोषणा की थी जब कि मुख्य मंत्री के सबसे निकट के 14 मंत्रियों पर बेहद गम्भीर आरोप हैं। आयकर विभाग उनके निकट के लोगों के यहाँ छापा मारकर करोड़ों रुपये, सोना, और कागजात बरामद कर चुका है । इन्हें लोकसभा का चुनाव होने तक मंत्री बनने से रोक लिया गया था, पर उसके बाद तो उन्होंने दोनों हाथों से लूट मचा दी थी।
      पूरा प्रदेश साँस रोके किसी बड़ी करवट की प्रतीक्षा कर रहा है।
वीरेन्द्र जैन
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