इन अवैग्यानिकों को नौकरी से निकालो
देखा गया है की पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ डाक्टर इंजिनियर व विज्ञान के प्रोफेसर भी घरों से बाहर नहीं निकले या नदियों आदि में स्नान करने गए . इन्होंने पका हुआ खाना फेंक दिया और इस दौरान कुछ भी न खाया और न ही बच्चों को खाने दिया . ऐसे लोग निरे अवैज्ञानिक हैं और जिस डिग्री के आधार पर लाखों रुपये साल का वेतन डकार रहे हैं उसके योग्य नहीं हैं . वे विज्ञान के आधार पर नौकरी करके भी साधारण अशिक्छितों की तरह व्यवहार कर रहे हैं .जब ये अपने नौकरी के आधार की अयोग्यता को स्वयं ही प्रमाणित कर रहे हैं तब इन्हें विज्ञान से सम्बंधित नौकरी में बनाये रखने की क्या जरुरत है? स्मरणीय है की भारतीय वैज्ञानिकों ने आजादी के बाद कोई भी महत्वपूर्ण आविष्कार नहीं किया है और जब ऐसे लोग नौकरी में रहेंगे तो कर भी नहीं सकते . जरुरत है देश में वैज्ञानिक दृष्टि से संपन्न वैज्ञानिकों की तभी देश का कुछ उद्धार हो सकेगा
सही कहना है आपका !!
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