राजनीतिक सामाजिक और साहित्यिक रंगमंच के नेपथ्य में चल रही घात प्रतिघातों का खुलासा
गुरुवार, जुलाई 02, 2009
सम्लेंगिकिता और ज़न्नत
समलेंगिकिता और ज़न्नत जो मज़हबी विद्वान् सम्लेंगिकिता के संभावित कानून पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं वे क्या यह बताने का कष्ट करेंगे कि ज़न्नत में गिलमे मिलने का जो लालच धर्मग्रंथों में दिया गया है वह क्या सम्लेंगिकता की श्रेणी में आता है या नहीं आता
एकदम आता है जी।
जवाब देंहटाएंवैसे मैं मजहबी विद्वान नहीं हूँ। ;)