क्या यही स्वर्णिम मध्य प्रदेश की दिशा है?
वीरेन्द्र जैन
गत दिनों मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव स्तर के दो अधिकारियों, जो रिश्ते में पति-पत्नी हैं, और उन से जुड़े व्यापारिक एवं निवेशक संस्थानों के प्रमुखों के यहाँ मारे गये छापों में रु.30438000/-नकद, रु.700000/- की विदेशी मुद्रा, रु.836000/- के आभूषण, उनके पिता के निवास से रु.175000/- नकद,627000/- के आभूषण बरामद किये गये हैं। जोशी दम्पत्ति के व्यापारिक हिस्सेदार पवन अग्रवाल सुनील अग्रवाल आदि के यहाँ से कुल रु.935000/- नकद और रु.1656000/- के आभूषण प्राप्त हुये, तथा दीपक असाई के यहाँ से रु.48000/- नकद रु.150000/- के नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट और 445000/- के आभूषण प्राप्त हुये। इसी दौरान सेवानिवृत्त अधिकारी एम ए खान के यहाँ से रु.68000/- नकद और रु.1529000/- के आभूषण मिले। एक अन्य अधिकारी रामदास चौधरी के यहाँ छापे में नकद रु.499000/- मिले। आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल की ब्रांच मैनेजर सीमा जायसवाल के यहाँ से जो अवैध राशि को नियम विरुद्ध जमा कराने में कुशल अधिकारी हैं के यहाँ छापे में रु.359000/- नकद और रु.993000/- के आभूषण मिले। अभी बैंकों के और लाकर खुलने शेष हैं। इसके अलावा गत वर्ष से कुछ अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जाँच घिसिट रही है उनमें अलीरजपुर के जिलाधीश अशोक देशवाल, राजस्व मंडल सचिव डा. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव राजस्व एम एम उपाध्याय, लोकसेवा आयोग सचिव आरके गुप्ता, इन्दौर नगर निगम के कमिश्नर सीबी सिंह, माध्यमिक शिक्षा मंडल में पदस्थ लक्ष्मी कांत द्विवेदी आदि शामिल हैं। इसके अलाव राज्य आर्थिक अपराध अंवेषण ब्यूरो में तीन आई ए एस के खिलाफ प्रकरण अभी चल रहे हैं।
पिछले दिनों प्रदेश के लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना ने वरिष्ठ जिला पंजीयक के यहाँ छापा मारकर 12लाख रुपये नकद और लगभग एक किलो सोने के आभूषण बरामद किय थे और भोपाल व इन्दौर में उसकी 15 करोड़ की ज़मीनों का पता चला था।
अर्थिक अनुसन्धान ब्यूरो ने इन्दौर में म.प्र. वित्त निगम के इंजीनियर और एक डाक्टर के लाकरों की तलाशी ली थी जिनमें से 6 करोड़ से अधिक के गहने और सोने कि बिस्कुट बरामद किये थे।
लोकायुक्त ने इन्दौर और कन्नौद में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के उपयंत्री के घर पर की गयी छापामार कार्यवाही में उसकी दर्ज़नों मकानों दुकानों के कागज़ात मिले जिनकी कीमत कई करोड़ है।
पिछले ही दिनों खनिज़ व्यापारी के यहाँ पड़े आयकर विभाग के छापों में 90 करोड़ की फिक्सड डिपाज़िट रसीदों के साथ सैकड़ों करोड़ रुपये के अवैध कारोबार से सम्बन्धित सबूत मिले थे
इन्दौर और धार में लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के ईई के यहाँ लोकायुक्त पुलिस के छापे में लगभग 5करोड़ रुपयों की नकदी ज़ेवर व ज़मीनों मकानों के कागज़ात मिले और गाड़ियाँ आदि मिलीं।
प्रोफेशनल कालेजों के पाँच समूहों पर आयकर विभाग के छापों में अरबों रुपयों की अनियमित्ताओं के खुलासे हुये हैं जिनमें पेड सीटों पर अधिकांशतयः अवैध सम्पत्तियों से ही धन लगाया जाता रहा है जो कालेजों में उसी तरह की पूंजी बनाता है।
यह स्मरणीय है कि विभागीय मंत्रियों की सहमति के बिना इतनी बड़ी मात्रा में काला धन पैदा नहीं किया जा सकता तथा इस सारे कारोबार में मंत्री और उनकी पार्टी का हिस्सा भी सबसे बड़ा होता है। इसका प्रमाण पिछले वर्ष कुछ मंत्रियों के निकट के लोगों के यहाँ पड़े छापों में करोड़ों की दौलत तो उनके ड्राईवरों के लाकरों से ही बरामद हुयी थी। जहिर है कि राजनीतिक दबाव में मंत्रियों और विधायकों को आयकर विभाग थोड़े दूर से ही छूने की कोशिश करता है अन्यथा अधिकारियों के यहाँ पड़ रहे छापों के बाद सम्बन्धित विभाग के मंत्री की चुप्पियों को देखकर तो लगता है कि शायद ही कोई मंत्री दूध का धुला निकले। मंत्रियों और विधायकों की सम्पत्तियों में होता निरंतर विकास कुछ और ही कहानी कहता है कि इस हम्माम में सब नंगे हैं।
विचारणीय बात यह है कि ये सारा पैसा वंचित वर्ग के लिये लायी गयी विकास और सशक्तीकरण योजनाओं में पलीता लगा कर ही पैदा किया जाता है, जिसे जनता पर अनाप शनाप टैक्स लगाकर वसूला जाता है, और इन भारी भरकम टैक्सों के कारण ही टैक्स वंचन की प्रवृत्ति पनपती है। इस परिवेश की सामने आ गयी और उससे कई गुनी दबी ढकी कालिमा को देखते हुये प्रदेश के मुख्य मंत्री का स्वर्णिम मध्य प्रदेश का खोखला नारा एक मज़ाक सा लगता है और बीस रुपये रोज पर जीवन गुजारने वाली जनता का विश्वास व्यवस्था से टूटता जाता है। देश के प्रधानमंत्री जब बामपंथी उग्रवाद को आंतरिक सुरक्षा के लिये प्रमुख खतरा बताते हैं तब इस बात पर भी विचार किया जाना चाहिये कि यह उग्रवाद दिन प्रति दिन क्यों फैलता जा रहा है और इस के प्रसार में वर्तमान व्यवस्था के प्रति दिन होने वाले विश्वासभंजन की कितनी भूमिका है। हमारे देश के नेता इस विश्वास की स्थापना के लिये क्या करने जा रहे हैं।
वीरेन्द्र जैन
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अफसरों के लिए तो स्वर्णिम है ही! और, मप्र क्या, तमाम भारत के दीगर राज्यों में भी यही हाल है. कुछेक साल पहले उप्र में उस अफसर को मुख्य सचिव बनाया गया था जिसे उनके ही असोशिएसन ने सर्वाधिक भ्रष्ट अफसर चुना था!
जवाब देंहटाएंरवि रतलामी जी सहमत, समस्या पूरे देश की है और आज की नहीं पिछले 60 सालों की है…।
जवाब देंहटाएंजो लोग इसे पूरे देश के एक जैसी समस्या मान रहे हैं वे मेरी थोड़ी सी मदाद करें और अपने ज्ञान का उपयोग करते हुये ये बताने का कष्ट करें कि पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में कितने मंत्रियों उनके रिर्श्तेदारों और आइएएस अधिकारियों के यहाँ आयकर विभाग का छापा पड़ा है? कौन अपने आप को एक डिफरेंट पार्टी प्रचारित करता रहता है और कौन है?
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