आशारामदेवों की
सरपरस्त पार्टी – भाजपा
वीरेन्द्र जैन
जो
लोग देश के नागरिकों की आस्थाओं से खिलवाड़ करते हुए अपना धन्धा करते हैं उन्हें
भाजपा और संघ परिवार बहुत सुहाता है। वैसे तो धर्म के नाम पर भावनाओं को भुनाने का
काम अकाली दल, मुस्लिम लीग र शिव सेना और केरलकांग्रेस आदि भी करती है किंतु गलत कामों
की खुली वकालत करने और मुँहजोरी करने में भाजपा समेत पूरे संघ परिवार का कोई सानी
नहीं। यही कारण है कि धर्म से जुड़ी पुरानी मान्यताओं को सफल धन्धे में बदलने वालों के लिए यह पार्टी सबसे
अनुकूल पड़ती है।
गत
दिनों जब आशाराम के ही एक अन्धभक्त ने अपनी लड़की के साथ हुए बलात्कार से दुखी होकर
आशाराम की रिपोर्ट करने का साहस दिखाया और पूरा देश थू थू करते हुए कार्यवाही की
माँग करने लगा तब भाजपा ने अपने दो राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्षों के माध्यम से
अपनी पक्षधरता स्पष्ट करते हुए अपने सदस्यों को सन्देश दिया कि उन्हें क्या करना
है। उनका सन्देश पाकर ही मध्यप्रदेश शासन के वरिष्ठ केबिनेट मंत्री कैलाश
विजयवर्गीय जो पहले भी आसाराम के सौदे म.प्र. के मुख्यमंत्री से कराते रहे हैं, ने
उनके के पक्ष में आवाज ही नहीं बुलन्द की अपितु एक टीवी चैनल की ग्रुप चर्चा में
असंतुलित अशालीन व्यवहार कर अपने पक्ष को चर्चा के केन्द्र में लाने की सफल कोशिश
की। उनसे ही संकेत ग्रहण करके छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और गृहमंत्री ननकी
राम ने भी जाँच के लिए लम्बित मामले पर भाजपा का इकतरफा फैसला सुनाते हुए आसाराम
को निर्दोष बता कर हुए उन्हें षड़यंत्र का शिकार बता दिया। निर्दोष होने का यह
प्रमाणपत्र जारी करते समय उन्हें अपने ‘दिव्यज्ञान’ का आधार बताने की कोई जरूरत
महसूस नहीं हुयी क्योंकि इस बयान के माध्यम से तो उन्हें अपने लोगों को सन्देश भर
देना था कि उन्हें क्या कार्यवाही करनी है। आसाराम ने भी इन्दौर में भाजपा नेताओं,
विधायकों और वकीलों से चर्चा करने के बाद अपने खिलाफ षड़यंत्र में कांग्रेस अध्यक्ष
श्रीमती सोनिया गान्धी और उनके पुत्र की ओर भाजपायी अन्दाज़ में संकेत कर दिया कि
वे लोग उनके खिलाफ षड़यंत्र कर रहे हैं। ऐसा करके वह गैर कांग्रेसी लोगों से समर्थन
की उम्मीद कर रहा था। स्मरणीय है कि जब विश्व हिन्दू परिषद के दारा सिंह ने कुष्ट
रोगियों की सेवा के लिए भारत आये आस्ट्रेलिया के पादरी फादर स्टेंस की उनके दो मासूम
बच्चों के साथ आग लगा कर हत्या कर दी थी तब देश के तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण
अडवाणी ने तुरंत बयान दिया था कि इस नृशंस हत्याकांड में वीएचपीए का कोई हाथ नहीं
है जबकि बाद में इसी आरोपी को सजा हुयी। यह तो संयोग ही था कि सबूत इतने स्पष्ट थे
कि जाँच एजेंसियां प्रभावित नहीं हो सकीं। आसाराम की गिरफ्तारी और उससे पहले छुपने
की कोशिश के दौरान मीडियाकर्मियों पर जिन लोगों ने हमले किये और उनके कैमरे तोड़
दिये वे ही लोग चुनावों और रैलियों के दौरान भाजपा द्वारा आहूत भीड़ में भी दिखायी
देते हैं।
अगर
प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी बनने की प्रत्याशा में डूबे नरेन्द्र मोदी ने अपने मतभेदों
के कारण दूरदर्शिता दिखाते हुए फिलहाल आसाराम से दूरी बनाने के संकेत न दिये होते
तो एक निरीह अन्धभक्त परिवार की अवयस्क लड़की के साथ हुये घटनाक्रम को इन मुँह के
जबर लोगों द्वारा भीड़ जुटा कर वैसे ही दबा दिया गया होता जैसे कि इनके शासन काल
में गुजरात और मध्यप्रदेश आदि भाजपा शासित राज्यों में सैकड़ों मामले जाँच में ही
दबा दिये गये हैं या गवाहों को धमका लोक अभियोजकों पर दबाव बना कर निबटा दिये गये
हैं। स्मरणीय है कि पिछले दिनों प्रोफेसर सभ्भरवाल की दिन दहाड़े हुयी हत्या में मध्यप्रदेश
के बाहर मामला ले जाने पर भी गवाहों के बदलने और अभियोजन के नरम हो जाने के कारण
आरोपी छूट गये थे और अपने फैसले की इस मजबूरी की चर्चा न्यायधीश ने स्वयं की थी।
उल्लेखनीय यह भी है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं जेल अस्पताल में इन आरोपियों
से मिलने गये थे और इनके छूट जाने पर आरोपियों का शानदार स्वागत जलूस निकाला गया
था जिसमें मध्य प्रदेश शासन के एक मंत्री खुशी से नाचते हुए चल रहे थे। इन्हीं
मंत्री ने बयान भी दिया था कि आज में जितना खुश हूं उतनी खुशी मुझे मंत्री बनते
समय भी नहीं हुयी थी। उल्लेखनीय यह है कि बाद में इन्हीं आरोपियों में से एक की
ग्वालियर में अस्वाभाविक मृत्यु हुयी थी जिसे आत्महत्या बताया गया था। उसके परिवार
के लोगों ने आत्महत्या की कहानी से असहमति जताते हुए जाँच की मांग की थी, पर
नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ।
भले
ही कूटनीतिक रूप से भाजपा के एक गुट ने अपने मुँह को बन्द कर विश्व हिन्दू परिषद
को आगे कर दिया है किंतु जब शरद यादव जैसे उनके पुराने सहयोगी संसद में आरोपी
आशाराम को भूमाफिया बतलाते हुए तुरंत कानूनी कार्यवाही की मांग कर रहे थे तब भाजपा
के लोग चुप लगा कर बैठे थे। एक ज्वलंत मुद्दे पर देश के सबसे बड़े और मुखर दल की
चुप्पी का भी साफ संकेत होता है। स्मरणीय है कि गत 16 दिसम्बर को दिल्ली में हुए
बर्बर गैंग रेप के खिलाफ जब पूरा देश उठ खड़ा हुआ था तब भाजपा की नेता सुषमा स्वराज
बड़े जोर शोर से अपराधी को फाँसी देने की माँग कर रही थीं। बाबा रामदेव द्वारा
भाजपा को पिछले दिनों नौ लाख रुपये का चन्दा देने का मामला सामने आया था और इसमें
कोई सन्देह नहीं कि आसाराम भी भाजपा को अपने प्रवचन के धन्धे से अर्जित राशि, और
ज़मीनों के कारोबार से बड़ा सहयोग करते होंगे, तभी तो भाजपा कार्यालय में इतनी नगदी
जोड़ कर रखी जाती है कि डेढ करोढ रुपये चोरी हो जाने पर भी भाजपा रिपोर्ट लिखाने तक
की जरूरत नहीं समझती।
रामदेव
के गुरु के गायब हो जाने की जाँच सीबीआई कर रही है और रामदेव ने जिन गुरु से ज्ञान
प्राप्त कर आयुर्वेद दवाओं व योग प्रशिक्षण का इतना बड़ा व्यापार शुरू किया है कि
कुछ ही वर्षों में ग्यारह सौ करोड़ से अधिक की दौलत अर्जित कर ली, उन्होंने अपने
गुरु के गायब हो जाने पर कभी चिंता व्यक्त नहीं की अपितु एक रहस्यमयी चुप्पी ओढ कर
जाँच और जाँच की मांग से दूरी बना कर रखी। हर संवेदनशील घटना को राजनीतिक मुद्दा
बना लेने की कोशिश करने वाली भाजपा रामदेव के गुरु के सन्देहास्पद परिस्तिथियों
में गायब हो जाने पर कभी मुखर नहीं हुयी। जब रामदेव का संस्थान कर वंचन की जाँच
में आया तो भाजपा ने उसे रामदेव के खिलाफ षड़यंत्र बताने की कोशिश की। परिणाम यह
हुआ कि कभी अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले रामदेव अब केन्द्र
में भाजपा की सरकार बनवाने और नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री बनवाने के लिए तन मन
धन से लगे हैं।
भाजपा
के कारण आज धर्म राजनीति और व्यापार का एक गिरोह बन गया है जो परस्पर एक दूसरे के
सहयोगी बन कर काम कर रहे हैं। आसाराम के खुलासों के बाद इस गठजोड़ के नक्शे खुल कर
सामने आ गये हैं जिनसे अन्दर अन्दर आर्थिक और सामाजिक अपराधों को इस गठजोड़ द्वारा
दिये जा रहे संरक्षण का पता भी चलता है। लोकतंत्र के हित में ऐसे गठजोड़ों का टूटना
समाज के हित में होगा इसलिए धार्मिक संस्थानों में अधिक पारदर्शिता और उनके
कार्यों के प्रभाव के मूल्यांकन की जरूरत है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
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