शनिवार, जून 04, 2011

न्यायपालिका को गुस्सा क्यों आता है?


आखिर न्यायपालिका को गुस्सा क्यों आता है!
वीरेन्द्र जैन
पिछले दिनों देश और समाज के प्रति चिंतित न्यायपालिका ने दण्ड के जो नये नये सुझाव दिये हैं, उससे लगता है कि वह अपनी जिम्मेवारियां पूरी कर पाने में आ रही अड़चनें व उससे हो रही आलोचनाओं को कितनी गम्भीरता से ले रही है।
• नईदिल्ली। 16 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में अपराध न्याय प्रणाली उचित तरीके से काम नहीं कर रही है। दुष्कर्म और अपहरण के एक आरोपी को बरी करने में इलाहाबाद हाई कोर्ट के नजरिये से नाराज अदालत ने यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आरएम लोढा की एक खण्डपीठ ने अफसोस जताते हुए कहा कि वे यह देखने को विवश हैं कि देश में अपराध न्याय प्रणाली वैसा काम नहीं कर रही है जैसा कि उसे करना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि राज्य के खिलाफ अपराध, भ्रष्टाचार, दहेज के लिए मौत, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और साइबर अपराध के मामलों में मुकदमा त्वरित गति से चलना चाहिए। अच्छा हो कि तय समय सीमा के भीतर फैसला हो जाये। यह समय अधिकतम तीन साल हो सकता है। सर्वोच्च न्यायलय ने पुलिस सुधारों के सम्बन्ध में 2006 में जो निर्देश दिये थे वे लागू किये जाने अभी तक शेष हैं।
• नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहाँ कुछ गड़बड़ है। न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा की पीठ ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि वह सुधारे न जा सकने वाले जजों के तबादले की अनुशंसा समेत कुछ कठोर उपाय करें। जज सिंड्रोम के तहत जज उन पक्षों के अनुकूल आदेश पारित कर रहे हैं, जिन केसों को उनके जान पहचान वाले वकील देख रहे हैं।
• नई दिल्ली। जेसिकालाल हत्याकांड मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन सभी 32 गवाहों पर मुकदमा चलाने का फैसला किया जो सुनवाई के दौरान अपने बयान से पलट गये थे। जस्टिस एस. रविंद्र भट और जीपी मित्तल की बेंच ने ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यह फैसला किया है। इस कांड के आरोपी एक मंत्रीपुत्र को ट्रायल कोर्ट ने गवाहों के पलट जाने की वजह से बरी कर दिया था।
• नई दिल्ली। 10 सितम्बर। मिर्चपुर कांड के आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को शुक्रवार को फिर फटकार लगायी। हिसार जिले के मिर्चपुर गाँव में दबंग सवर्णों ने एक दलित और उसकी विकलांग बेटी को जिन्दा जला दिया था, तथा साथ ही कई दलितों के घरों को आग लगा दी थी।
• सुप्रीम कोर्ट ने कथित ‘वोट के बदले धन’ घोटाले में सांसदों पर की गई कार्रवाई के बारे में केन्द्र सरकार से स्तिथि रिपोर्ट मांगी है। न्यायमूर्ति आफताब आलम और आरएम लोढा की पीठ ने केन्द्र सरकार और शहर पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है।
• नई दिल्ली। निचली अदालतों के लापरवाहीपूर्ण रवैये और भ्रष्टाचार में लिप्तता के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को जम कर बरसा। जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा की बेंच ने कहा कि भ्रष्ट जजों, वकीलों और अधिकारियों को उठा कर बाहर फेंक देना चाहिए। आप सुप्रीम कोर्ट को मजाक में नहीं ले सकते। आज लोग न्यायपालिका को सन्देह की दृष्टि से देखते हैं। निचली अदालतें अस्सी फीसदी तक भ्रष्ट हैं जो शर्मनाक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध फैसला सुनाने के लिए अतिरिक्त जिला न्यायधीश अर्चना सिन्हा को फटकार लगाते हुए पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट से जाँच करने और निर्णय मुख्य न्यायधीश को सौंपने का निर्णय सुनाया और उक्त न्यायधीश से कहा कि आपको सस्पेंड भी किया जा सकता है और जेल भी भेजा जा सकता है।
• नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में कुपोषण के कारण होने वाली मौतों पर गम्भीर चिंता जताते हुए सरकार से सवाल किया कि सरकार सस्ती दर पर अनाज गरीबों परिवारों को क्यों वितरित नहीं कर रही है? जस्टिस दलबीर सिंह भंडारी और दीपक वर्मा की बेंच ने दोहराया कि यदि अनाज के गोदाम ओवरफ्लो हैं या किसी कारण से अनाज सड़ रहा है तो सरकार सस्ती दर पर बीपीएल और अंत्योदय योजना के तहत अनाज बाँटे।
• दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि किसी अपराधी को दिया जाने वाला दंड उसके अपराध के अनुरूप होने के सिद्धांत के अनुसार बलात्कारी को क्यों न उसके पुरुषतत्व से वंचित कर दिया जाये जिससे वह आगे से इस अपराध को दुहरा पाने लायक न रहे। उल्लेखनीय है कि इसी दौरान सऊदी अरब के एक जज ने सजा के तौर पर एक व्यक्ति की रीढ की हड्डी क्षतिग्रस्त करने के लिए अस्पताल से राय मांगी है। इस व्यक्ति को एक व्यक्ति पर हमला कर उसे लकवाग्रस्त करने का आरोप है। इस्लामिक कानून में आँख का बदला आँख होती है। इसी तरह ईरान के सुप्रीम कोर्ट ने एक आशिक की आँखों में तेजाब डालने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। 34 वर्षीय आमना को इकतरफा प्यार करने वाले माजिद ने 2004 में इंकार करने पर उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था जिससे आमना की आँखों की रोशनी चली गयी थी।
इसी तरह लगातार हमारे न्यायालय ऐसे फैसले दे रहे हैं, जैसे उन्हें लग रहा हो कि हमारी न्याय व्यवस्था का दिन प्रति दिन मजाक बनाया जा रहा है और अपराधी बेखौफ होकर अपराध पर अपराध करते जा रहे हैं। देश की अदालतों में तीन करोड़ से भी अधिक मामले लम्बित हैं और यह अम्बार बढता ही जा रहा है। न्याय के बारे में आम आदमी की सोच कहाँ पहुँच रही है उसके लिए निम्नांकित खबरें उसकी सूचना दे रही है-
• मुम्बई। तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, पेशी के लिए चार बार पुणे से मुम्बई का चक्कर लगाने से तंग आ चुके एक वृद्ध ने बाम्बे हाई कोर्ट से को बीस हजार रुपये का चेक भेज कर सुनवाई के लिए एक घंटे का समय मांगा ताकि उसे फालतू चक्कर लगाने मुक्ति मिल सके।
• जाँजगीर [छत्तीसगढ] की एक अदालत में दुखु राम नाम के व्यक्ति ने अपना केस जल्दी निपटाने के लिए जज की टेबुल पर तीन सौ रुपये रख कर कहा कि मेरा मुकदमा जल्दी निपटा दो। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया जहाँ उसने पुलिस को बताया कि गाँव में उसे बताया गया था कि पेशी में पैसे देने पर ही सुनवाई होती है।
• छिन्दवाड़ा। छिन्दवाड़ा की अतिरिक्त जज विभा जोशी की कोर्ट में हत्या के आरोपी अजय राजपूत नामक व्यक्ति ने सुनवाई पूरी होने के बाद रजिस्टर में दस्तखत कराये जाते समय जेब में पालीथिन में रखी गन्दगी जज पर उछाल दी। उसका कहना था कि वह निर्दोष है और पुलिस ने उसे झूठा फँसा दिया है।
सच तो यह है कि न्यायपालिका इस बात से चिंतित हो रही है कि वह लोगों को न्याय नहीं दे पा रही है, जिससे एक ओर तो अपराधियों के हौसले बुलन्द हो रहे हैं तो दूसरी ओर पूरी न्यायपालिका की बदनामी हो रही है। यदि यही दशा रही तो जनता अराजकता की ओर बढ जायेगी। गत दिनों अन्ना हजारे के आवाहन पर जितनी बड़ी संख्या में लोगों ने समर्थन दिया उससे लगता है कि जनता तंत्र के बारे में निरंतर असंतुष्ट होती जा रही है व किसी बदलाव की तलाश में है और कई बार इस बदलाव की तीव्र आँकाक्षा में गलत बदलाव की शिकार भी हो जाती है। अभी वे न्यायपालिका की ओर अंतिम उम्मीद की तरह देखते हैं, इसलिए न्याय को सक्रिय होना ही चाहिए।



वीरेन्द्र जैन
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