शनिवार, जून 18, 2011

अब आपका स्वास्थ कैसा है उमाजी


अब आपका स्वास्थ कैसा है उमाजी? वीरेन्द्र जैन
अंततः उमा भारती को भाजपा में सम्मलित कर लिया गया है।
वे 2008 में मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव हारने के बाद हिम्मत भी हार गयी थीं। भारतीय जनशक्ति, जो उनकी पार्टी का नाम था, पर कुछ दिनों से ऐसा लगने लगा था जैसे वह किसी उस आयुर्वेदिक दवा का ब्रांड नेम हो, जो भरपूर प्रचार के बाद भी बाजार में नहीं चल पायी। भारतीय जनशक्ति प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश और कुछ दूसरे राज्यों के उन लोगों का प्लेटफार्म बनी जिन्हें भाजपा में वह स्थान नहीं मिल सका था जो स्थान वे चाहते थे। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमाभारती के पास समुचित संसाधन थे इसलिए वे स्वाभाविक रूप से पदवंचितों की इस भीड़ की नेता हो गयी थीं। उनके पास गोबिन्दाचार्य जैसा सलाहकार था जिनके बारे में प्रचारित है कि भाजपा के थिंकटैंक के रूप में उसको लोकसभा की दो सीटों से दो सौ तक पहुँचाने में उनके निर्देशों की बड़ी भूमिका रही। उमाजी को भरोसा था कि राम जन्मभूमि मन्दिर के नाम पर बनायी गयी कूटनीतिक योजनाओं के कार्यांवयन में उनकी भूमिका विशिष्ट थी और बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में उनके वादा माफ गवाह बन जाने पर कई बड़े बड़े नेता संकट में आ सकते हैं, अतः न्यायालय से मुक्त होने तक वे उनके दबाव में रहेंगे। वे रहे भी, और उन्होंने उमाभारती की प्रत्येक जिद को पूरा किया। यह पुनर्वापिसी भी उसी दबाव का हिस्सा है। जो लोग यह प्रचारित कर रहे हैं कि उन्हें यूपी के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सम्मलित किया गया है वे अपने समर्थकों को बहला रहे हैं। यूपी के चुनावों में भाजपा अपनी हैसियत से पूर्ण परिचित है किंतु उमाभारती को मध्य प्रदेश में प्रवेश करने से रोकने के लिए यह बहाना बनाया जा रहा है। यदि उन्हें इतना ही महत्वपूर्ण समझा जाता तो इस महत्व को और बढाने के लिए मध्य प्रदेश के 2003 के विधानसभा चुनावों की तरह पहले से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया गया होता।
जब दूसरी बार खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में उमाजी को अपनी जीत सन्दिग्ध लगी तो उन्होंने भोपाल जैसे सुरक्षित क्षेत्र से अपनी जिम्मेवारी ठोक दी व चुनाव समिति को दबाव में उन्हें भोपाल लोकसभा क्षेत्र से टिकिट देकर लोकसभा में भेजना पड़ा। सार्वजनिक रूप से उमाभारती ने क्षेत्र परिवर्तन का जो कारण बताया था वह यह था कि उस क्षेत्र में उनका स्वास्थ ठीक नहीं रहता। यह चिकित्साशास्त्र और पर्यावरण की खोज का विषय हो सकता था, किंतु किसी सजग पत्रकार ने भी चुनाव क्षेत्र और स्वास्थ के इस सम्बन्ध की खोज नहीं की।
वे केन्द्र में मंत्री बनीं या कहें कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को उन्हें मंत्री बनाना पड़ा। केन्द्र में मंत्री रहते हुए वे भोपाल में दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठीं। इसी दौरान यह आरोप उछला कि कुछ लोग अनशन स्थल पर चाकू छुरे लेकर उनकी जान लेने के लिए घूम रहे थे। उत्तर में दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित हैं, व सरकारी चिकित्सकों से उनके स्वास्थ की जाँच कराये देते हैं, पर सरकारी डाक्टरों की जाँच से पहले ही वे अनशन से उठ गयीं और केन्द्रीय मंत्री पद से त्यागपत्र देते हुए सीधे अज्ञातवास के लिए रवाना हो गयीं। ऐसा बताया गया था कि वे अपना स्वास्थ ठीक करने के लिए तप कर रही हैं। उनके अज्ञातवास का पता उनके कुछ समर्थकों को था जिन्होंने निश्चित समय पर अज्ञातवास से बाहर आने का अनुरोध किया जिसे उन्होंने मान लिया। अज्ञातवास से वापिसी पर एक अंग्रेजी अखबार द्वारा उनके बारे में कुछ तथ्यहीन लिख दिये जाने के बाद वे उस अखबार के दरवाजे अनशन पर बैठ गयीं। इस घटना में ऎतिहासिक यह है कि इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के घुटनों का आपरेशन एक विदेशी डाक्टर ने किया था और आपरेशन की बेहोशी से बाहर आने के बाद अटलजी ने पहला सवाल उमा भारती के अनशन और स्वास्थ के बारे में ही पूछा था।
सन 2003 में विधानसभा का चुनाव भाजपा ने उनकी साध्वी छवि की ओट में लड़ा, जबकि वे केन्द्र सरकार में रहते हुए मंत्री पद पर दिल्ली निवास में अधिक स्वस्थ महसूस कर रही थीं। पार्टी के दबाव को मानकर उन्होंने भी खुद टिकिट बाँटने से लेकर जीतने पर उन्हें ही मुख्य मंत्री बनाये जाने की शर्त रखी जिसे जीत के प्रति नाउम्मीद पार्टी ने मान ली थी। बाद में पहला अवसर मिलते ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने में देर नहीं की और दुबारा बनाने का वादा नहीं निभाया, फिर मुख्यमंत्री का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से कराने की उनकी माँग को दरकिनार किया, जिससे उन्हें पार्टी छोड़ देनी पड़ी व अपनी ही सरकार, जिसे वे अपना बच्चा कहती थीं, के खिलाफ रामरोटी पदयात्रा करना पड़ी। इस पदयात्रा से कुछ ही दिनों में उनके पाँवों में छाले पड़ गये तो स्वास्थ सम्बन्धी कारणों से उन्हें पद यात्रा को छोड़ नई पार्टी बनाने की ओर बढना पड़ा। पिछले तीन चार साल से वे लगातार भाजपा में पुनर्वापिसी के लिए प्रयत्न करती रही थीं किंतु यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकारती नहीं थीं। इस बारे में साध्वी वेशभूषा धारी इस महिला ने जो सच बोला उसे अखबारों की कतरनें बताती हैं कि सत्ता से दूर रहकर वे कितनी अस्थिर चित्त होकर सोचती हैं-
• भोपाल\ उन्होंने भाजपा में वापिसी से इंकार करते हुए कहा कि अभी उनकी आयु कम है और अराजनीतिक मुद्दों पर काम कर देश हित में वे कुछ योगदान दे सकती हैं। राम मन्दिर निर्माण के लिए सर्वानुमति बनाना, महिला आरक्षण में पिछड़ी जाति की महिलाओं का कोटा तय करना, अमीर गरीब के बीच बढती खाई को पाटना, घुसपैठ, राजनीति का अपराधीकरण जैसे विषयों पर काम करना चाहती हैं।
• भोपाल\ उमाजी ने कहा कि न तो उनका राजनीति से मोह भंग हुआ है और न ही वे कभी राजनीति छोड़ेंगीं। उ.प्र. से म.प्र. छ्ग, और विदर्भ तक राम मन्दिर निर्माण, पिछड़े वर्ग की महिलाओं को विशेष आरक्षण, गरीबी जैसे मुद्दों पर जनमानस टटोलने के बाद अगले दो तीन माह में वे अपनी राजनीतिक दशा तय करेंगीं।
• भोपाल\ आडवाणी द्वारा ब्लाग पर लिखी बातों को सत्य बताते हुए उमा भारती ने अभी भाजपा में लौटने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन की दिशा और दशा तय करने के लिए उन्हें कुछ और वक़्त चाहिए। तब तक वे अराजनीतिक तौर पर राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर काम करेंगीं।
• नागपुर। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने खुद को वर्तमान राजनीति में मिसफिट बताते हुए कहा कि आज की राजनीति में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है और राजनीति बुरी तरह से थैलीशाहों के कब्जे में है। ...शायद ही कोई दल ऐसा बचा हो जिस पर भ्रष्टाचार के मामले में उंगली न उठी हो। राष्ट्रीय स्वय़ं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत से मिलने के बाद मीडिया के सामने उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर राजनीतिक दलों पर प्रहार किये। उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी वह समय आयेगा जब देश की जनता भ्रष्ट नेताओं को खदेड़ेगी, उस समय हमारे जैसे लोग सामने खड़े होंगे। मैं भविष्य के लिए अपने आप को सुरक्षित रखे हुए हूं।
• नई दिल्ली\ भाजपा का अध्यक्ष पद ग्रहण करने के बाद नितिन गडकरी ने पार्टी से दूर हुए नेताओं को वापिस लाने की इच्छा जतायी थी,। उसी परिप्रेक्ष्य में श्री गडकरी से मुलाकात के बाद उमा भारती ने ऎलान किया कि उन्होंने भाजपा में वापिसी का इरादा छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उनका स्वास्थ इसकी प्रमुख वजह है।
• ग्वालियर। साध्वी उमा भारती का मन राजनीति से उचट गया है। एक साल राजनीति से दूर रहकर वे पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहती हैं। वे एक साल तक अपने भतीजे भतीजी की देखभाल करेंगीं।
• नई दिल्ली\ उमा भारती ने स्वगठित भारतीय जनशक्ति के अध्यक्ष पद से गुरुवार को स्तीफा दे दिया। सुश्री भारती ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संघ प्रिय गौतम को भेजे एक पत्र में खराब सेहत तथा आत्म निरीक्षण एवं आत्म चिंतन के लिए अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही है।
• भुवनेश्वर। नितिन गडकरी ने कहा कि उमा भारती जब चाहें पार्टी में लौट सकती हैं पर उन्होंने बताया है कि स्वास्थ के कारणों से वे अभी पार्टी में शामिल होने में सक्षम नहीं हैं। वे अभी चिंतन मनन के लिए कुछ और समय चाहती हैं।
अब यह उमा भारती को दुबारा से सोचना है कि नई जिम्मेवारी उठाने के लिहाज से उनका स्वास्थ अब कैसा है, वे जो अराजनीतिक काम करना चाह्ती थीं, क्या वह पूरा हो चुका है, क्या देश के राजनीतिक दलों से भ्रष्टाचार खत्म हो चुका है और क्या उनके पारिवारिक दायित्व पूरे हो चुके हैं?


वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

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